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    पंडारक PHC में बच्चा बदलने की अफवाह, रजिस्टर रिकॉर्ड से दूर हुई गलतफहमी; विवाद टला

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 07:57 PM (IST)

    पंडारक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चा बदलने की अफवाह से अफरा-तफरी मच गई। एक प्रसूता ने बेटी को अपनी मानने से इनकार कर दिया, जबकि रजिस्टर रिकॉर्ड ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर

    संवाद सहयोगी, बाढ़। पंडारक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल हो गया, जब एक प्रसूता ने गोद में आई बच्ची को अपनी मानने से इनकार कर दिया और बेटे को जन्म देने का दावा कर दिया। नवजात शिशु (बेटा या बेटी) को लेकर उपजी इस गलतफहमी ने अस्पताल प्रशासन और परिजनों के बीच तनाव पैदा कर दिया।

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    हालांकि, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की सूझबूझ से इस मामले को समय रहते सुलझा लिया गया और एक बड़ा विवाद टल गया।

    क्या था पूरा मामला?

    दरगाही टोला निवासी गुड्डू कुमार की पत्नी संजना कुमारी और गोपकिता निवासी नवलेश कुमार की पत्नी प्रियंका देवी डिलीवरी के लिए अस्पताल आई थीं।

    प्रसव के बाद संजना कुमारी ने दावा किया कि उन्हें पुत्र हुआ है, न कि पुत्री। जबकि दूसरी तरफ प्रियंका देवी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। संजना के दावे से वहां 'बच्चा बदलने' (Baby Swapping) की अफवाह उड़ गई और स्थिति असमंजस वाली हो गई।

    पुलिस और प्रभारी ने की जांच

    हंगामे की सूचना मिलते ही पंडारक थानाध्यक्ष नवनीत राय और स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी इकबाल खान मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों पक्षों को शांत कराया और मामले की निष्पक्ष जांच शुरू की।

    डिलीवरी रजिस्टर बना सबसे बड़ा गवाह

    सच्चाई जानने के लिए अधिकारियों ने अस्पताल का डिलीवरी रजिस्टर (डायरी) तलब किया। अस्पताल में प्रसूता की देखरेख करने वाली ममता कार्यकर्ता ने बताया कि हेराफेरी की गुंजाइश खत्म करने के लिए बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसका लिंग, वजन, समय, तारीख और माता का नाम डायरी में दर्ज कर लिया जाता है।

    जब प्रभारी इकबाल खान ने सबके सामने रजिस्टर चेक किया, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। रिकॉर्ड के अनुसार रजिस्टर में साफ अंकित था कि प्रियंका देवी को पुत्र और संजना कुमारी को पुत्री का जन्म हुआ है। सभी विवरण समय और तारीख के साथ स्पष्ट थे।

    रिकॉर्ड देख मान गए परिजन

    अस्पताल के पुख्ता रिकॉर्ड और पुलिस की मौजूदगी में समझाइश के बाद दोनों परिवारों की गलतफहमी दूर हो गई। जांच के बाद दोनों माताओं को उनके नवजात शिशु सौंप दिए गए और मामला शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया।