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    उमस भरी गर्मी में तीखी, खट्टी, नमकीन चीजों से करें परहेज, अपनाएं आयुर्वेदिक जीवनशैली

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 02:23 PM (IST)

    आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में पित्त दोष बढ़ता है। गर्मी में शरीर को स्वस्थ व ठंडा बनाए रखना जरूरी है। खानपान में तीखी (कटु) नमकीन (लवण) एवं खट्टी (अम्ल) चीजों से परहेज करना चाहिए। ये तीनों स्वाद (रस) पित्त दोष को और भड़काते हैं जिससे गर्मी के दुष्प्रभाव विकराल रूप में सामने आ सकते हैं।

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    पटना में गर्मी ने लोगों को परेशान किया है। सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, पटना। उमस भरी गर्मी में शरीर को स्वस्थ व ठंडा बनाए रखना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में पित्त दोष बढ़ता है। इससे पसीना अधिक आता है, शरीर में जलन, थकान, चिड़चिड़ापन व पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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    इससे बचाव के लिए खानपान में तीखी (कटु), नमकीन (लवण) एवं खट्टी (अम्ल) चीजों से परहेज करना चाहिए। ये तीनों स्वाद (रस) पित्त दोष को और भड़काते हैं जिससे गर्मी के दुष्प्रभाव विकराल रूप में सामने आ सकते हैं। साथ ही गरिष्ठ, तीखा व बहुत गर्म भोजन, तले-भुने, अधिक मिर्च-मसाले वाले व अधिक तेल वाले खाद्य पदार्थों, बासी भोजन, फास्ट फूड व डिब्बाबंद पेय से परहेज करना चाहिए। भोजन में घी व तेल की संतुलित मात्रा ठंडक प्रदान करती है लेकिन अधिक मात्रा नुकसानदेह हो सकती है।

    इसकी जगह मधुर, शीतल व रसयुक्त पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए। नारियल पानी, गन्ने का रस, बेल का शरबत, आम पना, छाछ, सत्तू, ताजे फलों के रस सेवन अधिक करें। तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी जैसे जलयुक्त फल खाएं। दूध से बने शीतल पेय जैसे ठंडाई या केसरयुक्त दूध का सीमित मात्रा में सेवन लाभकारी होता है। खाने में मसाले भी ठंडक देने वाले जैसे सौंफ, धनिया पाउडर, इलायची, गुलाब जल, पुदीना आदि का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए। ये बातें वैद्य डा. रोहित रंजन व राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. दीनेश्वर प्रसाद ने कहीं।  

    गर्मी में ठंडक देने वाली आयुर्वेदिक जीवनशैली 

    • -सुबह जल्दी उठें, शीतल जल से स्नान करें।
    • -दिन के समय अधिक मेहनत वाला कार्य न करें।
    • -हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें।
    • -दोपहर में थोड़ी देर विश्राम करें, जिससे शरीर की थकान दूर हो और गर्मी का असर कम हो।
    • - नारियल तेल, चंदन तेल या ब्राह्मी तेल से सिर व शरीर की मालिश करें, यह शरीर को ठंडा व मन को शांत रखती है।
    • -सिर पर टोपी या छाता रखें, आंखों को तेज धूप से बचाएं, पानी की बोतल साथ रखें।

    तीखे, नमकीन व खट्टे स्वादों के दुष्प्रभाव 

    • -तीखा (कटु रस): मिर्च, मसाले, अदरक, लहसुन, गरम मसाले अधिक लेने से शरीर में जलन, पसीना, चिड़चिड़ापन व मुंह के छाले हो सकते हैं।
    • -नमकीन (लवण रस):  अधिक नमक, पापड़, नमकीन स्नैक्स, अचार खाने से शरीर में पानी की कमी, प्यास ज्यादा लगना, ब्लड प्रेशर बढ़ना, त्वचा में जलन हाे सकती है।
    • -खट्टा (अम्ल रस): नींबू, इमली, टमाटर, खट्टा दही (विशेष रूप से दिन में), खट्टी चटनी अधिक लेने से एसिडिटी, पेट में जलन, त्वचा विकार हो सकते हैं।