72 की उम्र में 14 दलों से जुड़े नागमणि तीसरी बार भाजपा में शामिल, बोले-अब जीना-मरना यहीं
आज पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए। राज्य की राजनीति में उनकी पहचान दल बदल का रिकॉर्ड बनाने वाले के रूप में होती है। हालत यह कि एक साथ उन सभी दलों का नाम भी नहीं बता सकते हैं जहां वे गए और लौटे हैं।

राज्य ब्यूरो,पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए। राज्य की राजनीति में उनकी पहचान दल बदल का रिकॉर्ड बनाने वाले के रूप में होती है। हालत यह कि एक साथ उन सभी दलों का नाम भी नहीं बता सकते हैं, जहां वे गए और लौटे हैं। भाजपा में वह तीसरी बार शामिल हुए हैं। इससे पहले राजद, जदयू, लोजपा सहित अन्य गैर वामपंथी दलाें में उनका आना-जाना हुआ है। उन्होंने खुद भी कई पार्टियां बनाई।
अंतिम चुनाव 2024 में वे चतरा से लड़े। बहुजन समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हैसियत से उन्हें 11950 वोट मिला। जमानत नहीं बच पाई। वे राज्य के उन चुनिन्दा नेताओं में से एक हैं, जिन्हें चारों सदनों-लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में रहने का अवसर मिला है। भाजपा में शामिल होते समय उन्होंने पार्टी नेतृत्व से वादा किया-अब जीना और मरना यहीं है। आ गए हैं तो कहीं नहीं जाएंगे। पार्टी में बिना शर्त के शामिल हुए हैं।
भाजपा के साथ अपने पुराने संबंधों को याद किया-राजद के तीन लोकसभा और छह राज्यसभा सांसदों के साथ उन्होंने केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (1999-2004) का समर्थन किया। उस सरकार में वे सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के मंत्री बने थे। नागमणि के पिता जगदेव प्रसाद बड़े समाजवादी नेता थे। मध्य बिहार और शाहाबाद में समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने में उनकी बड़़ी भूमिका थी। उनकी हत्या कर दी गई थी।
समाजवादियों और वामपंथियों के बीच स्व. जगदेव प्रसाद को बलिदानी का दर्जा मिला हुआ है। नागमणि के ससुर सतीश प्रसाद सिंह कुछ दिनों के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भी बने थे। एक समय में कुशवाहा समाज में नागमणि की मजबूत पकड़ थी। लेकिन, दल बदलते रहने के कारण वे किनारे लग गए थे। उन्होंने कहा-मेरे अलावा राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ही राज्य के कुशवाहा समाज के नेता हैं। अब हम तीनों एनडीए में हैं। इसलिए कुशवाहा समाज का शत प्रतिशत वोट एनडीए को मिलेगा।
नागमणि के साथ उनकी पत्नी सुचित्रा सिंह भी भाजपा में शामिल हुईं। वह विधायक और मंत्री रह चुकी हैं। 72 वर्षीय नागमणि हंसमुख स्वभाव के हैं। लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी दोस्ती और दुश्मनी का संबंध रहा है। अच्छी बात यह कि दोस्ती करते हैं तो बड़ी आसानी से पुरानी बातें भूल जाते हैं। दोस्त से दुश्मन बनने पर भी उनका यही अंदाज रहता है।
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