एंथ्रेक्स से बचाव के लिए सरकार ने जारी किए नए दिशानिर्देश, यहां जानें पशुओं में तेजी से फैल रही गिल्टी बीमारी से बचाव के उपाय
केंद्र सरकार ने एंथ्रेक्स (गिल्टी रोग) को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है जो पालतू पशुओं से मनुष्यों में फैलती है। पशुओं में अचानक मौत मल में खून आना और शरीर में सूजन आना इसके लक्षण हैं। मनुष्यों में यह बीमारी त्वचा श्वसन और पाचन तंत्र के जरिए फैलती है। क्यूटेनियस एंथ्रेक्स में काले फोड़े हो जाते हैं और संक्रमित मांस खाने से पेट दर्द हो सकता है।

राज्य ब्यूरो, पटना। गाय, भैंस, बकरी और भेड़ जैसे पालतू पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली खतरनाक बीमारी एंथ्रेक्स (गिल्टी रोग) को लेकर केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें लोगों से समय रहते इस बीमारी के लक्षणों को पहचानने और एहतियात बरतने की अपील की गई है।
पशुओं में एंथ्रेक्स के लक्षणों में उनकी अचानक मौत, मल के जरिए खून आना और शरीर में सूजन आना शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बीमारी मनुष्यों में त्वचा, श्वसन और पाचन तंत्र के जरिए फैलती है। इसका सबसे आम रूप क्यूटेनियस एंथ्रेक्स है, जिसमें पहले एक छोटा खुजली वाला घाव बनता है जो बाद में काले फोड़े का रूप ले लेता है।
यह अक्सर दर्द रहित होता है, जिस कारण लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। अन्य लक्षणों में कंपकंपी के साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और गले की ग्रंथियों में सूजन शामिल हैं। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति मांस खाता है, तो उसे पेट दर्द, उल्टी, यहां तक कि दांतों से खून आना जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।
जानकारी के अनुसार, यह बीमारी मुख्य रूप से किसानों, बूचड़खानों में काम करने वालों और ऊन व चमड़ा उद्योग से जुड़े श्रमिकों को प्रभावित करती है। जब कोई संक्रमित जानवर मर जाता है, तो उसके शरीर से निकलने वाला खून मिट्टी में मिलकर बीजाणुओं में बदल जाता है, जो हवा के संपर्क में आने पर और भी खतरनाक हो जाते हैं।
ये बीजाणु मिट्टी में सालों तक जीवित रह सकते हैं और चरते समय जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अपील की है कि अगर जानवरों या इंसानों में ऐसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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