Bihar DGP पद का प्रभार सौंपने से पहले IPS आलोक राज ने दिया रिएक्शन, बोले- अपने बैचमेट विनय कुमार को...
Bihar News बिहार के पूर्व डीजीपी आलोक राज ने अपने 105 दिनों के कार्यकाल को संतोषजनक बताया। उन्होंने कहा कि इस दौरान पुलिस मुख्यालय का डीजीपी कार्यालय फरियादियों और जनता के लिए हर दिन खुला रहा। उन्होंने अपने कार्यकाल में तीन कुख्यात अपराधियों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने और कई बड़े पर्व-त्योहारों के शांतिपूर्ण आयोजन का भी उल्लेख किया।

राज्य ब्यूरो, पटना। पूर्व डीजीपी आलोक राज ने कहा कि वह अपने 105 दिनों के कार्यकाल से काफी संतुष्ट हैं। इस अवधि में पुलिस मुख्यालय का डीजीपी कार्यालय फरियादियों और जनता के लिए हर दिन खुला रहा। वह आम जनता के डीजीपी रहे।
उन्होंने पटना साइंस कॉलेज में आइएससी वर्ग के अपने बैचमेट विनय कुमार को डीजीपी बनने पर बधाई भी दी। इसके साथ ही अपने कार्यकाल के दौरान मिले सहयोग के लिए तमाम वरीय पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों का आभार जताया।
तीन कुख्यात अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए- आलोक राज
शनिवार को नए डीजीपी विनय कुमार को प्रभार सौंपने से पहले पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीजी आलोक राज ने कहा कि उनके संक्षिप्त कार्यकाल में तीन कुख्यात अपराधी पुलिस एनकाउंटर में मारे गए जबकि चार घायल हुए। एसटीएफ के सहयोग से बड़ी संख्या में इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
नए कानून के तहत सारण जिले में तिहरा हत्याकांड का मामला मात्र 50 दिन में सुलझाने का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया गया। हाल ही में ओडिशा में हुए पुलिस प्रमुखों की बैठक में सारण के एसपी ने इस पर विशेष प्रेजेंटेशन भी दिया।
उन्होंने कहा कि अपने डीजीपी के कार्यकाल में राज्य में दुर्गापूजा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा स्नान सहित कई बड़े पर्व-त्योहार और प्रमुख आयोजन बिलकुल शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए।
लगभग साढ़े तीन महीने डीजीपी पद पर रहे आलोक राज
- बता दें कि दो अगस्त को झारखंड के तत्कालीन डीजीपी आरएस भट्टी के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद आलोक राज को डीजीपी का प्रभार सौंपा गया था। वह लगभग साढ़े तीन माह से इस पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
- पुलिस सूत्रों के अनुसार, स्थायी डीजीपी के चयन के लिए केंद्र सरकार द्वारा तीन नाम भेजे जाते हैं, जिनमें से एक का चयन राज्य सरकार को करना होता है। इस बार डीजीपी के पद के लिए 1989 बैच के आलोक राज, 1990 बैच की शोभा ओहटकर और 1991 बैच के विनय कुमार के बीच से एक का चयन होना था।
- अंततः, राज्य सरकार ने स्थायी डीजीपी के लिए विनय कुमार के नाम पर सहमति जताई है। यह निर्णय राज्य पुलिस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और विनय कुमार के नेतृत्व में राज्य पुलिस की दिशा और गति पर निगाहें रहेंगी। अब देखने वाली बात यह है कि विनय कुमार के आने से पुलिस विभाग में कितना बदलाव होगा।
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