31 मार्च के बाद इन 600 कर्मियों की हो जाएगी परमानेंट छुट्टी, बजट की कमी के चलते नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला
बिहार में 31 मार्च के बाद आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से मध्याह्न भोजन योजना के तहत काम करने वाले करीब 600 कर्मचारियों की सेवा समाप्त हो जाएगी। बजट की कमी के कारण यह फैसला लिया गया है। जिलों को जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि 31 मार्च के बाद कोई कर्मचारी कार्य पर रहेंगे तो उसकी पूरी जिम्मेदारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों की होगी।

राज्य ब्यूरो, पटना। 31 मार्च के बाद आउटसोर्स एजेसिंयों के माध्यम से मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्रखंडों और जिलों में कार्यरत करीब 600 कर्मचारियों की सेवा समाप्त होगी।
इसको लेकर मध्याह्न भोजन निदेशालय की ओर से सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
मध्याह्न भोजन निदेशालय के आदेश में कहा गया है कि बजट के अभाव में यह निर्णय लिया गया है। जिलों को जारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 31 मार्च के बाद कोई कर्मचारी कार्य पर रहेंगे तो इसकी सारी जवाबदेही आपकी होगी।
निदेशक सतीश चंद्र झा ने सोमवार को यह आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि जिन कर्मियों की नितांत आवश्यकता होगी, उनकी सेवा बरकरार रखने के लिए मुख्यालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद ही निर्णय लिया जा सकेगा।
2500 आंगनबाड़ी केंद्र भवनों के निर्माण पर खर्च होगा तीन सौ करोड़
- नाबार्ड ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि (आरआइडीएफ) मद से राज्य में 2500 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए निर्माण के लिए 255 करोड़ करोड़ा का ऋण राज्य सरकार को दिया है।
- इस निर्माण पर तीन सौ करोड़ रुपये खर्च होना है। बांकी 45 करोड़ राज्य योजना मद से व्यय की स्वीकृति दी गई है। इससे आंगनबाड़ी केंद्र भवनों का निर्माण किया जाएगा।
- यह पहल राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों को सुदृढ़ करने, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की जा रही है।
- यह कार्य समाज कल्याण विभाग के समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय करेगा। प्रति आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए 12 लाख निर्धारित किया गया है।
- इस निर्माण कार्य को एक वर्ष की अवधि में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए धनराशि जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी।
- निर्माण एजेंसी को 50 प्रतिशत राशि अग्रिम रूप से दी जाएगी और बाकी किश्तें निर्माण की प्रगति के आधार पर प्रदान की जाएगी।
- निर्माण कार्य की गुणवत्ता एवं समयबद्ध प्रगति सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक एवं तकनीकी टीमों द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाएगा।
मिथिला विश्वविद्यालय को बनाया गया नोडल
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा को दो वर्षीय बीएड एवं शिक्षा शास्त्री प्रवेश परीक्षा 2025 के लिए फिर से नोडल विश्वविद्यालय बनाया गया है।
कुलपति के नाम इससे संबंधित पत्र राजभवन पटना द्वारा सोमवार को विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने लगातार छठी बार मिथिला विश्वविद्यालय को यह महती दायित्व प्रदान करने के लिए राज्यपाल के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि 2020 से लगातार राज्यस्तरीय बीएड प्रवेश परीक्षा यह विश्वविद्यालय सफलतापूर्वक आयोजित कर रहा है।
इस बार भी राजभवन के दिशा-निर्देश और नियम के अनुरूप नामांकन संबंधी संपूर्ण प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 2024 में लगभग शत-प्रतिशत नामांकन हुआ। विश्वविद्यालय का प्रयास रहेगा कि यह मानक कायम रहे।
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