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    बिहार बोर्ड को क्लीन करने के बाद अब BSSC में ऑपरेशन सफाई

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sat, 11 Feb 2017 10:26 PM (IST)

    बिहार इंटर टॉपर्स घोटाले के बाद बीएसएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले में सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए अॉपरेशन क्लीन कर आयोग को साफ -सुथरा करने की बात कही है।

    बिहार बोर्ड को क्लीन करने के बाद अब BSSC में ऑपरेशन सफाई

    पटना [जेएनएन]। बिहार कर्मचारी चयन आयोग का हश्र भी वही होगा जो टॉपर घोटाले के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का हुआ था। आयोग की छवि में पड़े दाग धब्बे साफ किए जाएंगे, इसके संकेत मिलने लगे हैं। एसआइटी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है आयोग में पिछले कई वर्षों से चल रही 'सेंटिंग-गेटिंग' में शामिल रहे खिलाड़ी भी चिह्नित किए जाने लगे हैं। राज्य के मुख्य सचिव जांच के हर पहलू पर खुद नजर रख रहे हैं।

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    सूत्रों ने बताया कि सरकार ने आयोग से कई मसलों पर जानकारियां मांगी हैं। किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में प्रश्नपत्र सेट की करने की विधि क्या है और यह कार्य कौन करता है। इसमें कितना समय लगता है आयोग के स्तर पर सेट पेपर का चयन किस आधार पर होता है साथ ही इसकी प्रिंटिंग की क्या व्यवस्था है।

    प्रश्न पत्र प्रिंटिंग के लिए निजी एजेंसी का सहारा लिया जाता है या फिर सरकारी प्रेस का। इन जानकारियों के साथ ही यह जानकारी भी मांगी गई है कि सेंटर के चयन का तरीका क्या है। सरकार को अंदेशा है कि परीक्षा सेंटर के चयन में बड़ा खेल है।

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    ऐसी जानकारियां मिल रही हैं कि निजी स्कूल सेंटर पाने के लिए मोटी रकम आफर करते रहे हैं। की बिसात बिछाते रहे हैं। ऐसी तमाम जानकारियां मिलने के बाद सरकार कर्मचारी चयन आयोग में सफाई शुरू कर सकती है।

    गड़बडिय़ों की जानकारी सरकार को दी गई थी : अध्यक्ष

    बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने 2014 में यहां का कार्यभार संभाला था। उन्हें आयोग में कई प्रकार की अनियमितताएं मिली थीं।

    उन्होंने इस बात की लिखित शिकायत सरकार से की थी। शुक्रवार को सुधीर कुमार ने बताया कि पूर्व अध्यक्ष जेआरके राव की आयोग से विदाई के बाद उन्हें आयोग का कार्य अतिरिक्त प्रभार के रूप में दिया गया था।

    प्रभार संभालने के कुछ दिनों बाद ही वे ट्रेनिंग के लिए अवकाश पर चले गए तो आयोग के अध्यक्ष का काम अरविंद चौधरी को दिया गया। ट्रेनिंग से लौटने के बाद सरकार ने उन्हें आयोग के अध्यक्ष का पूर्णकालिक पद सौंपा।

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    उन्होंने योगदान करने के बाद ही महसूस किया कि आयोग कार्यालय में कई प्रकार की गड़बडिय़ां हैं। बगैर उनकी जानकारी के स्ट्रांग रूम खुल जाता है। जेई जैसी बहाली में अनियमितताएं होती है। इन गड़बडिय़ों को दूर करने के लिए उन्होंने कई कार्यक्रम लागू किए गए।

    कॉपियों के मूल्यांकन के पूर्व उसकी फोटोग्राफी की व्यवस्था उनमें से एक महत्वपूर्ण कदम था। बावजूद कोई खास सुधार न देख उन्होंने यहां की गड़बडिय़ों के संबंध में सरकार को लिखित तौर पर जानकारी दी थी।

    पैरवी के फोन आने के संबंध में उन्होंने कहा कि पद पर रहेंगे तो फोन तो आने ही हैं, बहुत लोगों के फोन आते हैं सबको याद रखना संभव नहीं।

    एक प्रश्न के जवाब में सुधीर कुमार ने कहा कि एसआइटी टीम शुक्रवार को उनसे पूछताछ करने नहीं आई थी। एसआइटी कुछ जानकारियां लेने आई थी जो मुहैया करा दी गई है। बहुत दबाव दिए जाने के बाद भी उन्होंने साफ नहीं किया कि एसआइटी ने क्या जानकारी मांगी है।