बिहार के सरकारी स्कूलों में अब नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा, शिक्षा विभाग ने दोहरे नामांकन पर लिया बड़ा फैसला
बिहार शिक्षा विभाग ने दोहरे नामांकन पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब निजी विद्यालयों के 20 लाख छात्रों का आधार सीडिंग अनिवार्य होगा। सरकारी स ...और पढ़ें

स्कूल जाते बच्चे। फोटो पीटीआई
दीनानाथ साहनी, जागरण, पटना। बिहार में दोहरे नामांकन पर सख्ती और पाबंदी को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने हेतु जिन छात्र-छात्राओं ने निजी विद्यालयों के साथ-साथ सरकारी स्कूलों में नामांकन ले रखा है, उन बच्चों को चिन्हित कर सरकारी विद्यालयों से नामांकन काटे जाएंगे।
गत वर्ष दोहरे नामांकन वाले ऐसे 5 लाख 27 हजार छात्रों के नामांकन काटे गए थे। लेकिन, इसका स्थायी समाधान के लिए सरकार अब निजी विद्यालयों के तकरीबन 20 लाख बच्चों का आधार सीडिंग अनिवार्य कर दिया है।
जनवरी-फरवरी से राज्य के मान्यता प्राप्त तमाम निजी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की आधार सीडिंग करायी जाएगी। इसमें निजी विद्यालयों को भी सहयोग करना होगा। आधार सीडिंग हेतु कैंप लगाए जाएंगे।
सरकारी विद्यालयों के 1.76 करोड़ छात्रों का आधार सीडिंग
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि सभी सरकारी विद्यालयों में नामांकित 1.76 करोड़ बच्चों का आधार सीडिंग कराया जा रहा है। 90 प्रतिशत बच्चों का आधार सीडिंग कराया जा चुका है। 10 प्रतिशत बच्चों का आधार सीडिंग भी जनवरी में पूरा कराया लिया जाएगा।
इसके लिए विभागीय स्तर पर मानीटरिंग की जा रही है। राज्य के निजी विद्यालयों में 20 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन सभी बच्चों का आधार सीडिंग कराया जाएगा। इससे एक डाटा बैंक तैयार होगा।
इससे सरकारी और निजी विद्यालयों में दोहरे नामांकन पर रोकने लगाने में मदद मिलेगी। आधार सीडिंग कराने के पीछे शिक्षा विभाग का उद्देश्य यह है कि हर बच्चे की जानकारी बिहार सरकार के पोर्टल पर उपलब्ध हो।
शिक्षा का अधिकार कानून का क्रियान्वयन अनिवार्य
वर्तमान में सरकार से प्रस्वीकृति प्राप्त 16,221 निजी विद्यालय हैं। इनमें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) का क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा विभाग गंभीर है। विभाग ने आरटीई का अनुपालन नहीं करने वाले निजी विद्यालयों को हिदायत देते हुए कहा है कि गरीब बच्चों को 25 सीटों पर नामांकन नहीं लेने पर प्रस्वीकृति रद करने की कार्रवाई की जाएगी।
शैक्षणिक सत्र 2019-20 से निजी विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन और पढ़ाई के एवज डीबीटी के माध्यम से 125 करोड़ 71 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। वहीं शिक्षा विभाग के ज्ञानदीप पोर्टल पर अपलोड 3000 प्रस्वीकृति प्राप्त उन विद्यालयों की जांच चल रही है, जिन्होंने गरीब वर्ग के बच्चों का नामांकन लेकर पढ़ाई करा रहे हैं।
141 विद्यालयों की जांच पूरी होने पर नौ करोड़ 65 लाख रुपये जारी करने की कार्रवाई की जा रही है। सत्र
2024-25 में प्रस्वीकृति प्राप्त निजी विद्यालयों में 28,465 बच्चों का नामांकन कक्षा एक में हुआ था, जबकि चालू सत्र 2025-26 में 43,183 बच्चों का नामांकन कक्षा एक में हुआ था।
इस प्रकार पिछले सत्र की तुलना में कमजोर वर्ग के बच्चों के नामांकन में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हाल में केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 के तहत निजी विद्यालयों के बच्चों के आंकड़े संग्रहित करने और उसकी रिपोर्ट देने को कहा है।
क्यों जरूरी है आधार सीडिंग
शिक्षा विभाग का मानना है कि आधार सीडिंग से छात्रों के दोहरे नामांकन पर रोक लगाई जा सकेगी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को योजनाओं का सीधा लाभ मिल पाएगा। राज्य सरकार की लाभकारी योजनाओं की राशि सीधे छात्रों के बैंक खातों में जमा होगा।
आधार सीडिंग से निजी विद्यालयों में आरटीई के तहत प्रवेश की सही संख्या का पता लगाया जा सकेगा। साथ ही, छात्रों की जन्म तिथि, निवास स्थान, आर्थिक स्थिति और माता-पिता के नाम सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी आनलाइन उपलब्ध रहेगी।

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