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    खूनी खांसी से परेशान युवक की श्वासनली से निकली पेन की कैप, पांच वर्ष से अस्पताल का काट रहा था चक्कर

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 06:36 PM (IST)

    विभागाध्यक्ष डा. मनीष शंकर ने जांच में पाया कि श्वास नली में प्लास्टिक के पेन की कैप फंसी हुई है। इसके बाद डा. मनीष शंकर ने अपनी टीम के साथ ब्रोंकोस्कोपी की मदद से एक घंटे की जटिल प्रक्रिया कर पेन की कैप को बाहर निकाला। इसके बाद युवक के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार शुरू हो गया।

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    युवक की श्वासनली से निकली पेन की कैप

    जागरण संवाददाता, पटना। पूर्णिया के नाथपुर का निवासी 21 वर्षीय युवक पांच वर्षाें से पुरानी खांसी, बलगम व खूनी खांसी से परेशान था। खूनी खांसी की स्थिति बिगड़ने पर डाक्टरों ने बाएं फेफड़े में ब्रोंकिइक्टेसिस (फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी) बताकर इलाज शुरू किया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। सीने में दर्द, बलगम व खांसी की शिकायत बनी रहने पर वह जुलाई 2025 में आइजीआइएमएस के पल्मोनरी विभाग में पहुंचा। विभागाध्यक्ष डा. मनीष शंकर ने जांच में पाया कि श्वास नली में प्लास्टिक के पेन की कैप फंसी हुई है। इसके बाद डा. मनीष शंकर ने अपनी टीम के साथ ब्रोंकोस्कोपी की मदद से एक घंटे की जटिल प्रक्रिया कर पेन की कैप को बाहर निकाला। इसके बाद युवक के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार शुरू हो गया।

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    पांच वर्ष में पेन की कैप ने बिगाड़ी फेफड़े की सेहत

    युवक ने बताया कि 2020 में जब वह मुंह में पेन की कैप रखे हुए था तो उसका ऊपरी हिस्सा निगल गया था। उस समय लगा कि वह मल के साथ निकल गई होगी। कुछ माह बाद उसे खांसी, सीने में दर्द व सांस फूलने जैसी समस्या होने लगी। इसके बाद खांसी, बलगम व खूनी खांसी का जो दौर शुरू हुआ, वह अभी तक जारी था। इस बीच उसने टीबी की आशंका में कई बार एक्स-रे व अन्य जांचें कराई पर डाक्टर समझ नहीं पाए और दवाएं देते रहे। दवाओं से तात्कालिक लाभ होता था और फिर खांसी शुरू हो जाती थी। डा. मनीष शंकर ने बताया कि पांच वर्ष में पेन की कैप ने फेफड़ों को काफी हदतक खराब कर दिया था।

    बिना चीरफाड़ के निकाली गई कैप

    डा. मनीष शंकर ने बताया कि ब्रोंकोस्कोप की लचीली ट्यूब को मरीज के गले के रास्ते फेफड़े तक पहुंचाया गया। उसकी मदद से अंदर की पूरी स्थिति को देखने के साथ पेन की कैप को एक घंटे की जटिल मिनिमल इनवैसिव प्रक्रिया से बाहर निकाल लिया गया। पेन की कैप ही उसकी समस्या व दर्द का कारण थी। यह मामला उदाहरण है कि सही जांच व तकनीक से वर्षों पुराना रोग जड़ से समाप्त किया जा सकता है। साथ ही मरीज की गहन मेडिकल हिस्ट्री सही उपचार करने के लिए बहुत जरूरी है। ब्रोंकोस्कोपी न केवल जांच बल्कि श्वास नली-फेफड़ों में फंसी बाहरी चीजों को निकालने में भी प्रभावी है। इस प्रक्रिया में गले में खराश या हल्की खांसी हो सकती है लेकिन लाभ कहीं अधिक हैं।