Move to Jagran APP

बिहार दिवस पर विशेष: एक बिहारी ने मॉरिशस को दिलायी थी आजादी

105 साल के जवान बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां के लोगों ने हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़ी है। हजारों किलोमीटर दूर स्थित देश मॉरिशस को भी एक बिहारी ने ही आजाद करवाया था।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 01:39 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 11:03 PM (IST)
बिहार दिवस पर विशेष: एक बिहारी ने मॉरिशस को दिलायी थी आजादी
बिहार दिवस पर विशेष: एक बिहारी ने मॉरिशस को दिलायी थी आजादी

पटना [रवि रंजन]। आज बिहार 105 साल का हो चुका है। आज ही के दिन 22 मार्च 1905 को बिहार बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर एक नया राज्य बना था। 105 साल के जवान बिहार का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। चाहे शून्य के अविष्कार की बात हो, दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाने की या फिर आजाद भारत के इतिहास के प्रथम व्यक्ति की, बिहार के लोगों ने हर जगह अपनी अमिट छाप छोड़़ी है।

loksabha election banner

आज हम आपको बिहार की माटी के उस लाल की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने हजारों किलोमीटर दूर स्थित देश मॉरिशस को आजादी दिलवायी थी। उनका नाम है सर शिवसागर रामगुलाम। उन्होंने न सिर्फ मॉरिशस को आजादी दिलवायी, बल्कि 1961 से 1982 तक वहां के प्रधानमंत्री भी रहे।

यह भी पढ़ें: 105 साल का बिहार अब हो रहा जवान, पीएम मोदी ने दी बधाई

आज से 140 साल पहले बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव के कुछ लोग रोजी रोटी के लिए मॉरिशस गये थे। उन्हीं में से एक थे मोहित रामगुलाम। मोहित रामगुलाम ने जब 1871 में कलकत्ता बंदरगाह से मॉरिशस पहुंचकर वहां गुलामी की जिंदगी शुरू की तो उन्हें इसका जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका बेटा न सिर्फ बिहारवासियों को बल्कि पूरे मॉरिशस को आजादी दिलायेगा।

18 सितंबर 1900 को मॉरिशश के बेल रीव में मोहित रामगुलाम को बेटा हुआ। जिसे वे प्यार से ‘केवल’ कहकर बुलाते थे। इसी ‘केवल’ ने न सिर्फ देश को आजादी दिलवायी बल्कि वहां की शासकीय व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया।

यह भी पढ़ें:  बिहार दिवस: मजा लीजिए मांछ-भात,लिट्टी-चोखा का, झूमिए सुनिथि चौहान के साथ

सर शिवसागर रामगुलाम हिंदु धर्म के अनुयायी, हिन्दी भाषा के पक्षधर और भारतीय संस्कृति के पोषक थे। उनके प्रधानमंत्री रहेत हुए हिन्दी के पठन-पाठन में बहुत प्रगति हुई। विपरित परिस्थितियों में भी उन्होंने हिंदी के विकास में कोई कमी नहीं रखी। उन्होंने ही सर्वप्रथम विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थािपना का विचार रखा था।

वर्ष 2008 में जब मॉरिशश के निवर्तमान प्रधानमंत्री और सर शिवसागर रामगुलाम के बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम अपने पूर्वजों की धरती को नमन करने बिहार आये थे तो उन्होंने कहा था, “मैं अपने पूर्वजों की भूमि पर आकर अपने घर में होने का सकून महसूस कर रहा हूं। एक कहावत है कि जिंदगी नाटक से भी विचित्र होती है। आज मैं महसूस कर रहा हूं। सचमुच मेरी जिंदगी किसी भी कहानी से विचित्र साबित हुई है। मेरे पास शब्द नहीं है कि मैं अपनी खुशी व्यक्त कर सकूं”।
यह भी पढ़ें:  बिहार दिवस समारोह: पटना का गांधी मैदान तैयार, सीएम आज करेंगे उद्घाटन


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.