बिहार के 52 प्रतिशत परिवार जमीन पाने के योग्य नहीं? सरकार के इस सर्वे से समझें मामला
अभियान बसेरा-दो अभियान में गड़बड़ी पाई गई है। यह सरकार की महत्वकांक्षी योजना है। ऐसे में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध जांच का आदेश दिया है। इसका साथ ही जिम्मेदार लोगों से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है।

राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने अभियान बसेरा-दो अभियान में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध जांच का आदेश दिया है। अभियान में खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों से स्पष्टीकरण भी पूछा जाएगा।
आनलाइन समीक्षा के दौरान दिया आदेश
दरअसल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने यह आदेश सोमवार को विभिन्न सेवाओं की आनलाइन समीक्षा के दौरान दिया। लगान, आरओआर एवं, सरकारी भूमि का सत्यापन, अभियान बसेरा दो और सरकारी भूमि की दाखिल-खारिज की स्थिति की हुई समीक्षा की गई। इसमें वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के अपर समाहर्ता जुड़े थे।
बसेरा-दो राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना
अभियान बसेरा-दो राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसके तहत सरकार द्वारा सुयोग्य श्रेणी के वास भूमिहीन परिवारों को पांच डिसमिल तक जमीन दी जाती है। समीक्षा में अरवल, बांका, भागलपुर, जमुई, जहानाबाद, पटना एवं शेखपुरा जिलों को मिशन मोड में काम करने का निर्देश दिया गया।
योग्य नहीं पाए जाने पर दिया जांच का आदेश
इस अभियान के तहत 52 प्रतिशत सर्वेक्षित परिवारों को भूमि आवंटन के लिये योग्य नहीं पाया गया। इसी संदर्भ में जांच का आदेश दिया दिया। अभियान बसेरा-दो के सर्वेक्षण में लापरवाही बरतने वाले एवं गलत सूचना एकत्रित करने वाले संबंधित कर्मियों-पदाधिकारियों की जवाबदेही तय होगी।
दाखिल-खारिज की समीक्षा में भी सुस्ती
सरकारी भूमि के दाखिल-खारिज की समीक्षा में भी सुस्ती पाई गई। जय सिंह ने इसे प्राथमिकता सूची में रखने का निर्देश दिया। समीक्षा में पाया गया कि 13 जिलों में अभी तक यह शुरू ही नहीं हुआ है। सचिव ने कहा कि इसी के आधार पर आगे की रैंकिंग निर्धारित की जाएगी।
नालंदा, नवादा एवं रोहतास की प्रशंसा
सरकारी भूमि के सत्यापन के मामले में नालंदा, नवादा एवं रोहतास जिलों की उपलब्धि की प्रशंसा की गई। खगड़िया, पटना, गोपालगंज एवं पूर्वी चम्पारण ऐसे जिले हैं, जहां लगान की वसूली धीमी गति से हो रही है।
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