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    50 साल पहले भी गांधी मैदान में बसा था दशमेश नगर, जानिए खास बातें

    By Amit AlokEdited By:
    Updated: Tue, 03 Jan 2017 10:36 PM (IST)

    पटना में गुरु गोविंद सिंह का 350वां प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है। इसके पहले भी 50 साल पहले 300वें प्रकाशोत्सव में गांधी मैदान में दशमेश नगर बसाया गया थ ...और पढ़ें

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    प्रकाशोत्सव। आयोजन के नाम से ही लगता है कि जग उजियारा हो रहा हो। अद्भुत, आकर्षक। पटना का सौभाग्य है कि यहां दशमेश गुरु श्री गोविंद सिंह जी महाराज अवतरित हुए। उनका जन्मस्थल पटना साहिब सिखों का दूसरा बड़ा तख्त है। आज एक बार फिर तख्त साहिब की छटा अलौकिक बन आई है। उसके दायरे में मनोरम और विहंगम माहौल है। यह दशमेश गुरु के 350वें प्रकाशोत्सव का कमाल है।

    कुछ इसी तरह श्रद्धा-भक्ति की सरिता आज से 50 साल पहले भी बही थी। तब गुरु साहिब का 300वां प्रकाशोत्सव आयोजित हुआ था। उस पांच दिवसीय आयोजन से देश-दुनिया में बिहार की मेहमाननवाजी का डंका बजा था। वह डंका आज दोबारा बज रहा है। चौतरफा तैयारी है और श्रद्धालु निहाल हो रहे हैं। सब कुछ गुरु साहिब की कृपा से। पटना धन्य-धन्य हो रहा है।

    पटना [अनिल कुमार]। विश्व में सिखों के दूसरे बड़े तख्त व दशमेश गुरु श्री गोविंद सिंह जी का जन्मस्थल पटना साहिब आजाद भारत में दूसरी बार प्रकाशोत्सव की अलौकिक छटा से रौशन हो रहा है। आज से 50 साल पहले 1967 में एतिहासिक गांधी मैदान में 300वें प्रकाशोत्सव का आयोजन हुआ था। तब पांच दिवसीय कार्यक्रम के लिए गांधी मैदान में दशमेश नगर बसाया गया था और पूरी पटना सिटी को गुरुघर की मान्यता दी गई थी।

    350वां प्रकाशोत्सव भी पांच दिवसीय है। प्रमुख कार्यक्रमों का आयोजन एक जनवरी से आरंभ है। इस बार देश-विदेश से पांच लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। सिखों के इस सबसे बड़े महाकुंभ की तैयारियों के लिए 1967 में हुए आयोजन से भी मार्गदर्शन मिल रहा है। श्रद्धालुओं की भारी तादाद को देखते हुए मुख्य कार्यक्रम इस बार भी गांधी मैदान में हो रहा है।

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    गांधी मैदान से गुरुघर के बीच की स्थिति इन 50 वर्षों में पूरी तरह बदल गई है। अब सड़क किनारे खेतों में कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। ऐसे में कार्यक्रम को व्यवस्थित करना किसी चुनौती से कम नहीं। उसी अनुसार तैयारियां भी अद्भुत हैं।

    सन् 1967 में 15 जनवरी को 300वां मुख्य समारोह शुरू हुआ था। गांधी मैदान में अस्थायी तौर पर दशमेश नगर बस गया। उसमें लगाए गए टेंट में श्रद्धालु ठहराए गए थे। दस्तावेजों के मुताबिक पांच हजार से अधिक टेंट लगाए गए थे। आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय, तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री रामलखन ङ्क्षसह यादव और पटना के मेयर एहसानुल जफर थे।

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    नगर कीर्तन में हुई थी पुष्प वर्षा

    1967 में 16 जनवरी को नगर कीर्तन फ्रेजर रोड बांकीपुर गुरुद्वारा से पटना साहिब के लिए निकला था। श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी तादाद थी कि फ्रेजर रोड गुरुद्वारा से पटना साहिब की दूरी तय करने में दिन से रात हो गई। दिन में 11 बजे निकला नगर कीर्तन शाम आठ बजे पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचा। साइंस कॉलेज, पटना में रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. आरएस गांधी उस आयोजन के गवाह हैं। वे बताते हैं कि अशोक राजपथ के दोनों किनारे खड़े स्थानीय लोग नगर कीर्तन में शामिल श्रद्धालुओं पर पुष्प-वर्षा कर रहे थे।

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    50 हजार से अधिक श्रद्धालु थे नगर कीर्तन में

    प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो नगर-कीर्तन में देश-विदेश के 50 हजार से अधिक सिख श्रद्धालु शामिल हुए थे। 51 हाथी, 51 घोड़े और 51 ऊंटों के अलावा 11 बैंड पार्टी थी। दो सौ ट्रक, तीन सौ मोटरसाइकिल-स्कूटर और कार काफिले में शामिल रहे।

    मुख्य समारोह में आए थे उप राष्ट्रपति

    सन् 1967 में 18 जनवरी को 300वें प्रकाशोत्सव का मुख्य समारोह आयोजित हुआ। तत्कालीन उप राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, तत्कालीन लोकसभा अध्य्क्ष सरदार हुकुम सिंह, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मद्रास (तमिलनाडु) के तत्कालीन राज्यपाल सरदार उज्ज्वल सिंह, पटियाला के महाराज यादवेंद्र सिंह,ङ्क्षसह, सिखों की धर्म नगरी मनेर कोटला के नवाब की बेगम साजिदा की उपस्थिति बतौर मुख्य अतिथि रही।

    आयोजन की सफलता बड़ी चुनौती

    पटना साहिब की मिट्टी को घरों में रख पूजा करने वाले दुनिया भर के सिखों की निगाहें इस बार के आयोजन पर टिकी हैं। कार्यक्रम में देश-विदेश से विशिष्ट जन पधार रहे। दूसरी ओर इन 50 सालों में पटना की स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। गांधी मैदान से पटना साहिब के बीच खुली सड़क अब संकरे रास्ते में तब्दील हो चुकी है। गुरुद्वारा के आसपास घनी आबादी बस चुकी है। ऐसे में अायोजन की सफलता बड़ी चुनौती है।

    सौभाग्य कि प्रकाश पर्व के लिए बनाई गई योजनाएं धरातल पर उतर आई हैं। गांधी मैदान, बाइपास तथा कंगन घाट में बनी टेंट सिटी एक नए शहर के रूप में दिख रही है। पटना साहिब जगमग है।

    300वें प्रकाशोत्सेव तब और अब

    - तब तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय ने ली थी सफल आयोजन की जिम्मेदारी

    - अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में हो रहा धर्म-जगत का अद्भुत आयोजन

    खालसाई ध्वज और शस्त्रों का प्रदर्शन

    - गांधी मैदान में 135 फीट ऊंचा खालसाई रंग का ध्वज दूर से ही श्रद्धालुओं को दिख रहा था और समारोह स्थल के प्रति आकर्षण पैदा करता रहा।

    - समारोह के पहले दिन आनंदपुर साहिब, हांडी साहिब और इंग्लैंड के गुरुद्वारा से लाए गए दशमेश गुरु के शस्त्रों का प्रदर्शन हुआ था।

    - लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की अपील और दिल खोलकर मदद : 300वें प्रकाशोत्सव के दौरान अपने भाषण में जेपी ने उस साल बिहार में पड़े भयंकर सूखा का जिक्र किया था। उन्होंने सिख समुदाय से मदद की अपील की थी। लोगों ने सूखाग्रस्त इलाके की मदद दिल खोलकर की।

    इनकी भी सुनें

    'मैंने 300वां प्रकाशोत्सव देखा है। उसके सफल आयोजन पर आज भी पटना साहिब के सिख समुदाय को गर्व है। 350वें प्रकाशोत्सव में उस गरिमा को बनाए रखने और सिख समाज में अब तक के सबसे बड़े आयोजन की नजीर पेश करने की चुनौती है। सरकार भी लगी है और गुरु की कृपा से हम लोग जरूर सफल होंगे।'

    - सरदार सरजिंदर सिंह (महासचिव, तख्त श्री हरिमंदिर जी प्रबंधक समिति)

    '350वें प्रकाशोत्सव में प्रबंधक समिति के साथ-साथ बिहार सरकार भी जुटी है। गुरु की कृपा से सब काम सफल हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद आयोजन की सफलता में जुटे हैं। देश के संत-महापुरुष के अलावा स्थानीय लोगों का सहयोग मिल रहा है। हम पूरी तरह से तैयार हैं। देश-विदेश से आए संगतों के ठहरने और लंगर की व्यवस्था की गई है। समारोह एतिहासिक होगा।'

    - सरदार गुरेंद्रपाल सिंह (अध्यक्ष, 350वां शताब्दी समारोह)