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    Krishna Janmashtami 2025: पूजा करते समय भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगाते हैं छप्पन भोग?

    नारदीगंज के ओड़ो गांव में राधा कृष्ण ठाकुरबाड़ी में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू हो गई है। कोसला गांव के ठाकुरबाड़ी में कई दशकों पुरानी राधा कृष्ण की प्रतिमा है जहां कृष्ण जन्माष्टमी और झूलनोत्सव मनाया जाता है। 16 अगस्त 2025 को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का अवतरण होगा जिस अवसर पर 56 भोग अर्पित किए जाएंगे।

    By Amrendra Kumar Mishra Edited By: Ashish Mishra Updated: Thu, 14 Aug 2025 02:19 PM (IST)
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    श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा करते समय लगाएं छप्पन भोग। फाइल फोटो

    संवाद सूत्र, नारदीगंज। ऐतिहासिक व पौराणिक गांव ओड़ो में राधा कृष्ण ठाकुरबाड़ी में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व की तैयारी शुरु कर दी गई है। इसके अलावा नारदीगंज बाजार, कोसला, रामे, नंदपुर, जफरा, हंडिया, भदौर समेत गांवों में भी कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह बना हुआ है।

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    कोसला गांव के ठाकुरबाड़ी के पुजारी चंदन झा ,गौरव झा ने कहा इस गांव में कई दशक पुराना राधा कृष्ण का ठाकुरबाड़ी में स्थापित राधा कृष्ण की प्रतिमा है। कृष्ण जन्माष्टमी व पांच दिवसीय झूलनोत्सव कार्यक्रम श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है।

    ग्रामीण सह जागरण पंचायत क्लब कोसला के सदस्य पंकज कुमार, पैक्स अध्यक्ष राजीव कुमार, शैलेश कुमार, प्रह्लाद सिंह, कमलेश कुमार, सत्येन्द्र कुमार सुमन समेत अन्य ग्रामीणों की भूमिका बढ़ चढ़ कर रहता है।

    कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर ठाकुरबाड़ी को सजाने व आकर्षक बनाने के साथ पूजा की तैयारी में लगे हुए हैं। आगामी 16 अगस्त 2025 यानी शनिवार को है। इस दिन रोहणी नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ है।

    भक्तिभाव से पूजा अर्चना कर श्री कृष्ण को झूला पर झुलाया जाएगा। उसके उपरांत श्री कृष्ण छप्पन भोग को अर्पित करेंगे।

    भगवान श्रीकृष्ण को क्यों लगते हैं छप्पपन भोग

    ओड़ो ठाकुरबाड़ी के व्यवस्थापक सह पुजारी पंडित दिनकर मिश्र कहते हैं कि नटखट बाल गोपाल की शिकायत गोपियां जब माता यशोदा के पास लेकर जाती हैं, तब माता यशोदा अपने पुत्र कन्हैया को ओखल में सात दिनों तक बांध देती हैं। चूंकि माता यशोदा भगवान कृष्ण को प्रत्येक दिवस आठ पहर भोजन कराती थी।

    इसलिए जब मैया यशोदा सात दिनों के उपरांत अपने प्यारे लल्ला को ओखल से खोलती है। तो उस दिन सातों दिन को जोड़कर 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर अपने कन्हैया को प्रेम पूर्वक खिलाती है। तभी से यह 56 भोग भगवान कृष्ण को लगाने की परंपरा चली आ रही है। यह परम्परा सदियां से चलते आ रही है।