TB Symptoms And Treatment: फेफड़े ही नहीं, अब शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है टीबी... इन लक्षणों की बिल्कुल ना करें अनदेखी
टीबी बीमारी के बारे में आपने काफी सुना होगा। अधिकतर लोगों को यही लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों में होती है। लेकिन यह सत्य नहीं है। पिछले कुछ समय से टीबी अपना रूप बदल रही है। अब टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। ऐसे में आपको इसको लेकर और सजग होने की जरूरत है। इस आर्टिकल में हम आपको टीबी से बचने के उपाय और लक्षणों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ। Tuberculosis Symptoms And Prevention जब भी टीबी की बात होती है तो अधिकांश लोग फेफड़े के टीबी के बारे में ही जानते हैं। लेकिन टीबी की बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। जिला यक्षमा पदाधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि जब फेफड़े से बाहर टीबी होता है तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। इनमें से एक है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्यूबरक्लोसिस।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टीबी पेट के पेरिटोनियम और लिंफ में होती है। इसमें माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस का संक्रमण हो जाता है। टाइफाइड बुखार के बाद आंतों में होने वाली यह दूसरी सबसे आम बीमारी है। डायबिटीज और एचआईवी पॉजिटिव रोगियों में इस बीमारी के होने का जोखिम सबसे ज्यादा रहता है।
टीबी एक खास तरीके की बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के संक्रमण के कारण होती है। पेट की टीबी आंत (इंटेस्टाइन) के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, कोलन, रेक्टम आदि में हो सकती है। इसकी वजह से आंत जकड़ जाती है।
पेट की टीबी का यदि पहले तीन महीने में पता चल जाए तो इसका उपचार आम टीबी की तरह आसानी से हो सकता है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि यह जल्दी पकड़ में नहीं आती। जब तक यह पकड़ में आती तब तक टीबी आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा चुका होती है। इसकी वजह से आंतों में घाव हो जाते हैं और टीबी जानलेवा हो जाती है।
पिछले कुछ समय से अपना रूप बदल रही है टीबी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, आमतौर पर टीबी को मुंह से खून आना, रात को बुखार आना, बार-बार खांसी होना जैसे लक्षणों से पहचानते हैं। हमारी धारणा रही है कि टीबी फेफड़ों को प्रभावित करती है। लेकिन पिछले कुछ समय से टीबी अपना रूप बदल रही है। यह शरीर के अन्य हिस्सों जैसे- पेट, स्पाइनल कार्ड, हड्डी, ब्रेन, यूटरस, ओवरी तक में भी हो सकता है। इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस के मामले हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़े हैं।
इन लक्षणों की न करें अनदेखी
- पेट की टीबी के शुरुआती लक्षण फूड प्वाइजनिंग और अपेंडिक्स के दर्द जैसे ही होते हैं।
- खाते ही उल्टी हो जाना, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द का महसूस होना, बार-बार दस्त होना, मल के साथ खून या मवाद आना, कब्ज का बहुत समय तक ठीक न होना, अचानक वजन कम होने लगना, अचानक से भूख कम लगना आदि लक्षण होने पर डाक्टर से परामर्श लें।
अल्ट्रासाउंड में यह बीमारी पकड़ में नहीं आती
पेट की टीबी का पता लगाने के लिए दर्द वाले हिस्से में कोलोनोस्कोपी, एंडोस्कोपी या लिंफ नोड की बायोप्सी की जाती है। अल्ट्रासाउंड में यह बीमारी पकड़ में नहीं आती। अगर छोटी आंत (स्मॉल इंटेस्टाइन) में टीबी है, तो एंडोस्कोपी में पता लगता है।
वहीं, बड़ी आंत, कोलन और रेक्टम की टीबी का कोलोनोस्कोपी में पता लगता है। जांच होने के बाद स्टैंडर्ड टीबी का इलाज चलता है, जो 6 महीने से लेकर 12 महीने तक का हो सकता है। इसके अलावा रोगी का मोंटेक्स टेस्ट (स्किन टेस्ट) व ईएसआर द्वारा भी टीबी का पता लगाने की कोशिश की जाती है।
पेट की टीबी से बचाव के लिए ये जरूरी
- पेट की टीबी होने का सबसे प्रमुख कारण दूध को बिना उबाले पीना है, इसलिए दूध हमेशा अच्छी तरह उबाल कर ही पीएं। कच्चा दूध पीने से आंतों की टीबी का खतरा होता है। हल्के उबालने की स्थिति में भी टीबी का बैक्टीरिया ठीक से नष्ट नहीं होता।
- फेफड़ों की टीबी से भी यह रोग इंटेस्टाइन तक पहुंचता है। ऐसे में फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज के खांसते समय उससे दूर रहें।
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