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    राजगीर में वर्ल्ड क्लास फैसिलिटीज से लैस है वाइल्ड लाइफ जू सफारी स्थित जंगली जानवरों का अस्पताल

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 05:32 PM (IST)

    191.12 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित वाइल्ड लाइफ जू सफारी परिसर का यह अत्याधुनिक वन्यजीव अस्पताल लगभग 700 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमें निदान और उपचार के लिए आधुनिक मशीनरी और किसी भी प्रमुख ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध है। जो इसे विश्व स्तरीय अस्पताल का दर्जा देती है।

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    वाइल्ड लाइफ जू सफारी स्थित जंगली जानवरों का अस्पताल

    संवाद सहयोगी, राजगीर (नालंदा)। वाइल्ड लाइफ जू सफारी परिसर स्थित वर्ल्ड क्लास फैसिलिटीज से लैस, जानवरों का अस्पताल जख्मी जंगली जानवरों के ईलाज में महत्ती भूमिका अदा कर रहा है। यहां वीटीआर यानि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व, संजय गांधी जैविक उद्यान सह पटना जू इत्यादि तथा अन्य स्थानों से रेस्क्यू कर लाए गए। जख्मी जंगली जानवरों को इलाज के साथ क्वारंटाइन करने की विशेष व्यवस्था इसे खास बनाती है।

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    बता दें कि पटना जू से बीते वर्ष 2023 के मई माह में बेबी नामक बाघिन को राजगीर जू-सफारी लाकर उसे 28 दिनों के लिए क्वारंटीन किया गया था।

    इस अस्पताल को एक्स-सीटू कंजर्वेशन यानि किसी प्रजाति या जीव को उसके प्राकृतिक आवास से अलग, कृत्रिम वातावरण में संरक्षित करने की संकल्पना पर आधारित है। केवल पर्यटन के दृष्टिकोण से हीं नहीं। बल्कि अब जंगली जानवरों के समुचित इलाज के लिए यह सफारी अब देश‌भर के जानवरों के अस्पताल में शुमार हो चुका है।

    191.12 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित वाइल्ड लाइफ जू सफारी परिसर का यह अत्याधुनिक वन्यजीव अस्पताल लगभग 700 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमें निदान और उपचार के लिए आधुनिक मशीनरी और किसी भी प्रमुख ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध है। जो इसे विश्व स्तरीय अस्पताल का दर्जा देती है।

    इस वन्यजीव अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे रूम, ऑब्जर्वेशन रूम, अल्ट्रासाउंड रूम, हाथ से पालन के लिए नर्सरी और इन-पेशंट यानि समुचित इलाज को कम से एक रात जानवरों को रखने के लिए सेल और कराल, लैब, फार्मेसी, स्टाफ रूम और स्टोर रूम भी उपलब्ध हैं। अस्पताल के सभी कमरों में, विशेष रूप से इनपेशंट वार्ड, सेल और कराल में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ताकि उपचाराधीन जानवरों की सातो दिन 24 घंटे निगरानी की जा सके। और बिना किसी अनावश्यक मानव हस्तक्षेप के उनकी देखभाल की जा सके। वन्यजीव अस्पताल में सभी प्रकार के वन्यजीवों के रेस्क्यू एवं उपचार हेतु केजेज़, ट्रेन्क्युलाइज़र गन इत्यादि प्रकार के उपकरण उपलब्ध है।

    वन्यजीव राहत व बचाव कार्यों के दौरान जानवरों को पकड़ने और स्थानांतरित करने के लिए केज और ट्रेंकुलाइजर गन का उपयोग किया जाता है। केज एक पिंजरे जैसा ढांचा होता है जो जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल होता है। जबकि ट्रेंकुलाइजर गन एक विशेष प्रकार की बंदूक होती है जो जानवरों को बेहोश करने वाली दवा इंजेक्ट करने के लिए इस्तेमाल होती है।

    वाइल्ड लाइफ जू सफारी के निदेशक रामसुंदर एम ने बताया कि सफारी के वन्यजीव अस्पताल ने, अब तक सफलतापूर्वक बिहार के विभिन्न हिस्सों से बचाए गए कई वन्यजीवों का उपचार और पुनर्वास किया है। वन्यजीव अस्पताल में बेतिया से रेस्क्यू किया गया बाघ, लेपर्ड का उपचार किया गया है। वहीं कलन्दर से रेस्कयु किये गये स्लाॅथ बियर भालू का भी उपचार किया गया है। जबकि बारिश के मौसम में चीतल, ब्लैकबक हिरणों का उपचार भी किया जाता है। कुछ समय पहले नालन्दा जिले से रेस्क्यु किये गये पक्षियों में उल्लू, गिद्ध का उपचार भी किया जा चुका है। जिन्हें उपचार के उपरान्त उनके प्राकृतिक आवास में उन्हें पुनः छोड़ दिया गया।

    यहाँ पर वन्यजीवों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध है। वर्तमान में राजगीर जू सफारी में जन्में शेर के दो नवजात शावकों का हैंड रियेंरिंग यानि मानव द्वारा हाथ से लालन पालन के क्रम में देखभाल और खिलाने की प्रक्रिया वन्यजीव अस्पताल में किया गया है।

    उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सीएम नीतीश कुमार द्वारा भी नवजात शावकों का निरिक्षण किया गया है। साथ ही उनके द्वारा आवश्यक निदेश भी दिये गये है। उन्होंने आगे बताया कि राजगीर जू सफारी के वन्यजीव अस्पताल में वन्यजीवों के उपचार एवं देख-रेख हेतु दो पशु चिकित्सा पदाधिकारियों में डाॅ अमित कुमार और डॉ संजीत कुमार पदस्थापित है। वहीं पशु चिकित्सा पदाधिकारी के सहयोग हेतु 03 पशुमिश्रक, 01 लैब टेक्निशियन उपलब्ध है। सभी वन्यजीवों के स्वास्थ के देख-रेख में इन सभी का अहम योगदान रहा है।