चुनौतियों से भरा है नए नगर आयुक्त का ताज
नालंदा। स्मार्ट सिटी का तमगा लगने के बाद नगर निगम में रहने वाले लोगों की जहां उम्मीद बढ़ी। वहीं निगम की बागडोर संभालने वाले अधिकारियों के समक्ष पिछले कुछ सालों में चुनौतियां भी बढ़ी हैं। पूर्व के नगर आयुक्त अंशुल अग्रवाल ने वैसे समय में योगदान दिया था जब कोरोना का हर जगह आक्रांत था। नगर आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल कोरोना महामारी से लोगों को निजात दिलाने में ही बीत गया।

नालंदा। स्मार्ट सिटी का तमगा लगने के बाद नगर निगम में रहने वाले लोगों की जहां उम्मीद बढ़ी। वहीं, निगम की बागडोर संभालने वाले अधिकारियों के समक्ष पिछले कुछ सालों में चुनौतियां भी बढ़ी हैं। पूर्व के नगर आयुक्त अंशुल अग्रवाल ने वैसे समय में योगदान दिया था, जब कोरोना का हर जगह आक्रांत था। नगर आयुक्त के रूप में उनका कार्यकाल कोरोना महामारी से लोगों को निजात दिलाने में ही बीत गया। हालांकि, ऐसी विषम परिस्थिति में उनके योगदान को शहर हमेशा याद रखेगा। उनके कार्यकाल में सशक्त कमेटी की बामुश्किल आठ से दस बैठकें ही हो पाई। इसमें विकास की बातें कम कोरोना से जंग जीतने पर ही बहस चलती रही। सोमवार को 2017 बैच के आइएएस तरनजोत सिंह ने बिहारशरीफ नगर आयुक्त का कार्यभार ग्रहण किया। वे सीतामढ़ी में डीडीसी के पद पर तैनात थे। बताया गया कि बिहारशरीफ के नगर आयुक्त का ताज उनके लिए भी चुनौतियों से भरा होगा। क्योंकि स्मार्ट सिटी का लेबल लगने के बाद से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं। लोग शहर को हर हाल में व्यवस्थित देखना चाहते हैं।
----------------------------------------------------------------------------------------------
चाटुकारों की फौज से बचकर रहना होगा
नगर निगम में चाटुकारों की एक बड़ी फौज खड़ी है। जिनके कारण अक्सर विकास का कार्य प्रभावित होता रहा है। ऐसे में नए नगर आयुक्त तरनजोत सिंह को हर कदम फूंक-फूंककर रखना होगा। चाटुकारों की फौज से अलग रहना होगा।
----------------------------------------------------------------------------------------
जाम से बचाना होगा शहर को
जाम के साथ जलजमाव से शहर को निजात दिलाना नए नगर आयुक्त के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी। स्मार्ट बनते इस शहर में पार्किंग की कोई व्यवस्था न होना शहर के लिए बड़ी चुनौती है। पार्किंग नहीं होने की वजह से अधिकांश गाड़ियां सड़कों पर नजर आती हैं, जो जाम का सबसे बड़ा कारण है। पिछली कई बैठकों में मणिराम अखाड़ा में नए शवदाह गृह के निर्माण की बातें भी उठीं। हालांकि, इस पर अब तक कोई काम नहीं हो सका है। ऐसे में शवदाह गृह का निर्माण किया जाना भी नगर आयुक्त के लिए एक बड़ी चुनौती है।
----------------------------------------------------------------------------
नए नगर आयुक्त के समक्ष चुनौतियां हजार
- सिवरेज सिस्टम को दुरुस्त करना
- पार्किंग की व्यवस्था करना
- गार्वेज रिसाइकलिग की व्यवस्था किया जाना
- जाम से शहर को निजात दिलाना
- सड़कों से अतिक्रमण हटाना
- जल-जीवन-हरियाली के तहत तालाबों को पुनर्जीवित करना
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।