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    बिहार: पुरुषोत्तम मास मेले में पुण्य लाभ के साथ विरासत के साक्षात्कार के लिए नालंदा का राजगीर है अच्छा विकल्प

    By Jagran NewsEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Fri, 07 Jul 2023 07:04 PM (IST)

    राजगीर की पहाड़ियों व समतल स्थल पर जैनियों के अलग-अलग तीर्थंकरों के भव्य मंदिर बने हैं। राजगीर से 18 किमी दूर पावापुरी में जैनियों के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। बड़े से सरोवर के बीचोंबीच सेतु से जुड़ा जल मंदिर जैनियों का बड़ा तीर्थ है। मंदिर में भगवान महावीर के पदचिह्न हैं। दीपावली के अवसर पर निर्वाण उत्सव मनाया जाता है।

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    बिहार: पुरुषोत्तम मास मेले में पुण्य लाभ के साथ विरासत के साक्षात्कार के लिए नालंदा का राजगीर है अच्छा विकल्प

    रजनीकांत, बिहारशरीफ। यदि आपकी अभिरुचि धर्म, आध्यात्म के साथ पेड़-पौधों से घिरे पहाड़ों, जलाशयों व खुले में विचरते वन्यजीवों को देखने में है, तो इस वर्षा ऋतु में बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर श्रेष्ठ विकल्प है।

    तीन वर्ष पर आने वाले पुरुषोत्तम मास के कारण इस बार की वर्षा ऋतु और विशिष्ट है। पांच पहाड़ियों से घिरे राजगीर में प्रकृति नव शृंगार के साथ प्रस्तुत है, जगह-जगह प्राकृतिक जलस्रोत भर गए हैं, ब्रह्मकुंड परिसर में गंधक युक्त गर्म जल की सात धाराएं कल-कल बह रही हैं।

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    18 जुलाई से 16 अगस्त तक यहां वृहद स्तर पर मेला लगेगा। मान्यता है कि सनातन धर्म का यह एकमात्र तीर्थ है, जहां पुरुषोत्तम मास में 33 कोटि देवी-देवता प्रवास करते हैं।

    इस मास में यहां के 22 प्राकृतिक कुंड व 52 धाराओं में श्रद्धालु स्नान-ध्यान, दान-पुण्य करते हैं। ब्रह्मकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है। कुंभ की तरह इस अवधि में चार शाही स्नान होंगे।

    इसके लिए देश भर के साधु-संत जुटेंगे। 29 जुलाई व 12 अगस्त को एकादशी, एक अगस्त को पूर्णिमा और अंतिम शाही स्नान 14 अगस्त अमावस्या को होगा।

    साधु-संतों व श्रद्धालुओं के लिए दो हजार बेड की टेंट सिटी तैयार की जा रही है। गंगा जल आपूर्ति योजना के तहत पटना के हाथीदह से 100 किमी लंबी पाइप लाइन के माध्यम से राजगीर लाया गया गंगा जल शोधन के बाद आगंतुकों को पीने व स्नान के लिए मिलेगा।

    राज्य सरकार ने इस मेले को राजकीय दर्जा दे रखा है। शासन ने यातायात, स्वास्थ व सुरक्षा के विशेष प्रबंध कर रखे हैं। आप निर्भीक व निश्चिंत होकर भ्रमण व प्रवास कर सकते हैं।

    राजगीर सर्व धर्म समभाव की भूमि है। गौतम बुद्ध यहां बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में आए थे।

    बुद्ध पड़ोसी जिले गया के जेठियन के वन क्षेत्र होते जिस मार्ग से पैदल राजगीर के वेणु वन पहुंचे थे और तत्कालीन सम्राट बिंबिसार ने उनकी आगवानी की थी, उस 13 किमी मार्ग पर हर वर्ष धर्म-धम्म यात्रा होती है, जिसमें बड़ी संख्या में देश-विदेश के बौद्ध धर्मावलंबी सम्मिलित होते हैं।

    रत्नागिरी पर जापान के फूजी गुरु जी द्वारा बनवाए गए विश्व शांति स्तूप के ठीक बगल में गृद्धकूट पर्वत शिखर बुद्ध का प्रिय ध्यान स्थल था। वे यहीं पर अपने प्रमुख शिष्यों को उपदेश दिया करते थे।

    ये सारे रमणीक स्थल आज भी विद्यमान हैं। चेयर व केबिन रोप वे के माध्यम से विश्व शांति स्तूप तक पहुंचने की व्यवस्था है, पहाड़ काटकर सीढ़ियां भी बनीं हैं।

    राजगीर की पहाड़ियों व समतल स्थल पर जैनियों के अलग-अलग तीर्थंकरों के भव्य मंदिर बने हैं। राजगीर से 18 किमी दूर पावापुरी में जैनियों के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था।

    बड़े से सरोवर के बीचोंबीच सेतु से जुड़ा जल मंदिर जैनियों का बड़ा तीर्थ है। मंदिर में भगवान महावीर के पदचिह्न हैं। दीपावली के अवसर पर निर्वाण उत्सव मनाया जाता है, जिसमें विश्व भर के जैन धर्मावलंबी जुटते हैं।

    राजगीर में सिखों के प्रथम गुरु नानक का आगमन हुआ था। मान्यता है कि उस कालखंड में राजगीर के सभी जलस्रोत से गर्म जल निकलता था, जिसके उपयोग में लोगों को परेशानी होती थी।

    स्थानीय लोगों के आग्रह पर गुरु नानक ने एक कुंड के जल को चरण से स्पर्श किया तो वह शीतल हो गया। दो वर्ष पूर्व इस स्थल पर भव्य गुरुद्वारे का निर्माण हो चुका है।

    प्रकाश पर्व में देश-विदेश के सिख श्रद्धालु बड़ी संख्या में आए थे। शीतल कुंड के जल का सिख व सनातन धर्मावलंबियों के बीच समान महत्व है।

    द्वापर युग में जरासंध ने राजगीर को अपने मगध साम्राज्य की राजधानी बनाया था। उस कालखंड के कई निर्माण आज भी विद्यमान हैं।

    उन्होंने राजगीर की पहाड़ियों की दीवारों से घेराबंदी कर अभेद्य बना रखा था। वह दीवार आज साइक्लोपियन वाल से जानी जाती है। उसके अवशेष कौतूहल पैदा करते हैं।

    वैभारगिरी पर्वत वह शिव मंदिर व शिवलिंग आज भी विद्यमान है, जिनका जलाभिषेक जरासंध प्रतिदिन किया करते थे।

    मंदिर की छत अब नहीं रही, स्तंभ खड़े हैं। सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर से प्रसिद्ध इस शिवालय में आज भी लोग पूजा-अर्चना करते हैं।

    राजगीर से 12 किमी पर प्राचीन नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेष हैं। यह स्थल विश्व धरोहर की सूची में शामिल है।

    हर वर्ष बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक भारत की गौरवशाली ज्ञान परंपरा के दर्शन करने आते हैं। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यात्रा वृतांत में इस महाविहार का विस्तार से वर्णन किया है।

    इस महाविहार की महत्ता इसी से समझी जा सकती है कि अपने स्वर्णिम कालखंड में इसके द्वारपाल भी इतने ज्ञानी होते थे, जिनके प्रश्नों का उचित उत्तर देने के बाद ही परिसर में प्रवेश की अनुमति मिलती थी।

    विदेशी आक्रांता बख्तियार खिलजी ने इस महाविहार को जलाकर नष्ट कर दिया था।

    क्या होता है पुरुषोत्तम मास

    हिंदू पंचाग के अनुसार हर तीसरे वर्ष में एक मास अधिक हो जाता है। यह स्थिति 32 माह 16 दिन यानी लगभग हर तीसरे वर्ष बनती है।

    इस अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। पुरुषोत्तम मास में एक माह तक मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।

    धार्मिक आस्था को लेकर हिंदू धर्मावलंबी इस मास में शुभ कार्य नहीं करते हैं। इस मास में भगवान शिव और विष्णु की आराधना फलदायी मानी जाती है।

    एक महीने तक नहीं दिखते काग

    पूरे एक मास तक चलने वाले इस मेले में राजगीर के आकाश में काग दिखाई नहीं देते हैं। इसके पीछे वजह यह बताई जाती है कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र राजा वसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड में जिस महायज्ञ का आयोजन किया था।

    उसमें 33 कोटि देवी-देवताओं को तो उन्होंने निमंत्रण दिया लेकिन काग को निमंत्रण देना भूल गए थे। यही कारण है कि पुरुषोत्तम मास के दौरान राजगीर के आकाश में काग दिखाई नहीं देते हैं।

    कुंड में स्नान का है विशेष महत्व

    राजगीर में धार्मिक महत्ता के 22 कुंड व 52 धाराएं हैं, लेकिन ब्रह्मकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है। देश व विदेश के श्रद्धालु यहां के कुंडों में स्नान व पूजा-पाठ करते हैं।

    अधिकतर श्रद्धालु यहां के सभी कुंडों में पूरे विधि-विधान से स्नान व पूजा-पाठ करते हैं। शाही स्नान का मेले में विशेष महत्व है। शाही स्नान वह क्षण होता है, जिसमें साधु-संतों की टोलियों द्वारा विभिन्न कुंडों में स्नान किया जाता है।

    • राजगीर के 22 कुंड: ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्केंडेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चंद्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत और शालीग्राम कुंड।
    • धर्म स्थल: सनातन धर्म का ब्रह्म कुंड, ब्रह्मा कुंड परिसर स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, सूर्य कुंड, मां जरा देवी मंदिर, गणेश मड़ैया, कृष्ण रथ चक्र निशान, अभिनव कैलाश विद्यातीर्थ आश्रम, अजातशत्रु किला मैदान स्थित गढ़ महादेव मंदिर, गुप्ती महारानी, बाबा शनिदेव मंदिर, पौराणिक वैतरणी नदी, वैभारगिरी पर्वत स्थित, महाभारतकालीन सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर। सिख पंथ के प्रथम गुरु नानक देव शीतल कुंड व गुरुद्वारा। जैन धर्म का नौलखा मंदिर, श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, विपुलांचलगिरी स्थित शमोशरण मंदिर, वैभारगिरी पर्वत स्थित मुनि सुब्रत स्वामी मंदिर व वीरायतन स्थित पार्श्वनाथ मंदिर। बौद्ध धर्म से जुड़ा रत्नागिरी पर्वत स्थित विश्व शांति स्तूप, अशोक स्तूप, भगवान बुद्ध की अतिप्रिय तपस्थली गृद्धकूट पर्वत, वेणुवन विहार, जापानी मंदिर, वैभारगिरी पर्वत स्थित सप्तपर्णी गुफा (प्रथम बौद्ध संगिति व बौद्ध धर्म ग्रंथ त्रिपिटक का प्रस्तावना स्थल) तथा बाबा मखदूम कुंड एवं मजार।
    • ऐतिहासिक स्थल: बिंबिसार की जेल, सोन भंडार, मनियार मठ, जरासंध अखाड़ा, अजातशत्रु किला मैदान, मेला सैरात स्थित अजातशत्रु स्मारक, सायक्लोपियन वाल, पिप्पली गुफा, जीवक आम्रवन आदिक।
    • सांस्कृतिक स्थल: पांडू पुष्करणी पोखर, अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, वीरायतन स्थित ब्राह्मी कला मंदिरम्।
    • पर्यटन स्थल: खुले में विचरण करते बाघ, शेर, भालू, हिरण युक्त जू सफारी, ग्लास सस्पेंशन ब्रिज युक्त नेचर सफारी, पहाड़ों के बीच वन क्षेत्र में सात किमी लंबे आल वेदर रोड से जुड़ा इको टूरिज्म स्पाट घोड़ा कटोरा झील, विश्व शांति स्तूप तक जाने को सिंगल चेयर रोपवे व केबिन रोप वे, गंगा जल आपूर्ति योजना के तहत बना रिजर्वायर।
    • बड़ी स्थापनाएं: अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय, मेक इन इंडिया के तहत अब तक आयात होने वाले तोपों के बाई मॉड्यूलर चार्जर का उत्पादन कर रही आयुध निर्माणी, पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, सीआरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र।

    ऐसे पहुंचें राजगीर

    पटना से राजगीर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। यह नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 25 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

    राजगीर आने के लिए दिल्ली, हावड़ा, पटना आदि स्थानों से ट्रेन की सुविधा है। पटना से नियमित बस सेवा भी है। नजदीकी हवाई अड्डा गया व पटना है।

    दोनों लगभग 100 किमी दूर हैं। बजट के हिसाब से राजगीर में कई होटल हैं। कई सुविधाजनक धर्मशालाएं भी हैं।