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    मैं बदनसीब मां हूं...नवजात को लावारिस छोड़कर जा रही हूं, मधुबनी में अजीबो-गरीब मामला

    By Dharmendra Kumar SinghEdited By:
    Updated: Mon, 13 Dec 2021 06:20 PM (IST)

    Madhubani News भूपटी पंचायत के निवर्तमान मुखिया के घर के पास मिली बच्ची बच्ची के पास से मिले खत में उसकी मां ने लाचारी में बच्ची को छोडऩे की कही बात अस्पताल में बच्ची की जांच करा बाल कल्याण समिति के हवाले की गई बच्ची।

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    चाइल्ड हेल्प लाइन को नवजात को सुपूर्द करते थानाध्यक्ष। जागरण

    मधुबनी (बाबूबरही), जासं। प्रखंड क्षेत्र में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। रविवार की आधी रात जब लोग गहरी नींद में सो रहे थे, एक लाचार मां ने भूपटी पंचायत के निवर्तमान मुखिया लक्ष्मी पासवान के घर के निकट अपनी नवजात बच्ची को छोड़ कर गायब हो गई। नवजात बच्चे की आवाज सुन मुखिया दंपती घर से बाहर निकल आवाज की दिशा में बढ़े तो सर्द रात में एक नवजात बच्ची को कपड़ों में लिपटा देख अचंभित रह गए। इस बात की सूचना थानाध्यक्ष रामाशीष कामती को दी गई।

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    थानाध्यक्ष स्वयं स्थल पर पहुंचे और बच्ची को अस्पताल लाया गया। वहां चिकित्सकों से जांच कर बच्ची को स्वास्थ बताया। ड्यूटी पर उपस्थित चिकित्सक डा. निखिल ने बताया कि बच्चे को बीसीजी, हेपेटाईटिस बी तथा ओपीबी का टीका दे दिया गया है। इधर, सूचना पर चाइल्ड हेल्पलाइन, अंधराठाढी के सदस्य आभा कुमारी व प्रकाश कुमार पहुंचे। कागजी प्रक्रिया पूरी कर बच्चे को मधुबनी ले गए। चाइल्ड लाइन की कर्मी आभा कुमारी ने कहा कि सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वे बच्ची को बाल कल्याण समिति, मधुबनी ले जा रहे हैं। वहां बच्ची को नाम दिया जाएगा। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष  ब‍िंदू भूषण ने कहा कि बच्ची को विशिष्ठ दत्तक केंद्र में पालन पोषण के लिए रखा जाएगा। दो माह के अंदर अगर इनके लीगल अभिभावक दावा प्रस्तुत करते हैं तो संतुष्ट होने के बाद बच्चे को वापस कर दिया जाएगा। अन्यथा, बच्चे को सीएआरए के तहत लीगल प्रोसेस में आने वाले दंपती को बच्चा दिया जा सकता है।

    बच्ची के पास मिला मां का मार्मिक पत्र 

    बच्चे के सिर के पास पेंसिल से लिखा एक पत्र भी मिला है। इस पत्र में बच्ची की मां ने लिखा है कि बच्ची मात्र पांच दिन की है। इसे कोई टीका नहीं दिला पाई हूं। बच्ची कमजोर भी है। मैं बदनसीब मां हूं। गरीबी व मजबूरी के कारण मैं इसे छोड़कर जा रही हूं, क्योंकि मेरे पास ना ही कुछ खाने को है और ना ही कुछ करने को। ये बीमार पड़ेगी तो दवा भी मैं नहीं करा सकती हूं।अंत में स्थानीय मुखिया लक्ष्मी पासवान को एक दयालु व नेक इंसान बताते लिखा कि बच्ची की इनके घर अच्छी देखभाल हो सकती है।

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