गरमाई Muzaffarpur Nagar Nigam की राजनीति, कैबिनेट के तीन सदस्यों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
Muzaffarpur Municipal Corporation महापौर और उपमहापौर के खिलाफ तीन कैबिनेट सदस्यों समेत कई पार्षदों ने विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए धरना दिया। पार्षदों ने प्रशासनिक शिथिलता और योजनाओं में बदलाव जैसे मुद्दे उठाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनशन करेंगे। महापौर ने कहा कि सभी कार्य नियमानुसार हो रहे हैं और बातचीत से हल निकाला जा सकता था।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur Municipal Corporation: नगर निगम कैबिनेट के तीन सदस्यों राजीव कुमार पंकू, अभिमन्यु चौहान एवं उमा पासवान ने निगम सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया है।
महापौर निर्मला देवी एवं उपमहापौर मोनालिसा पर मनमानी करने एवं विकास कार्यों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए सशक्त स्थायी समिति के तीनों सदस्यों समेत 28 वार्ड पार्षद मंगलवार को निगम कार्यालय में महापौर कक्ष के बाहर धरना पर बैठ गए।
धरना देर रात्रि तक जारी रहा। इसके साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले नगर निगम की राजनीति गरमा गई है। विकास कार्यों को समय से पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए सशक्त स्थायी समिति सदस्य एवं वार्ड 28 के पार्षद राजीव कुमार पंकू ने दोपहर करीब तीन बजे नगर निगम कार्यालय में धरना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते समिति के दो सदस्यों के साथ दो दर्जन से अधिक पार्षद इसमें शामिल हो गए। धरना पर बैठे पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर निगम में प्रशासनिक शिथिलता और लेटलतीफी के कारण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इससे शहर की जनता में आक्रोश है। पार्षदों ने कहा है कि यदि उनकी बात नहीं सुनी गई तो बुधवार से अनशन पर बैठ जाएंगे।
वहीं पार्षद राजीव कुमार पंकू की तबीयत देर शाम खराब हो गई। इससे पार्षदों में महापौर के खिलाफ आक्रोश दिखा। इन पार्षदों के साथ देने के लिए पूर्व उपमहापौर माजिद हुसैन भी पहुंचे। उन्होंने भी महापौर पर मनमानी करने का आरोप लगाया। वहीं सशक्त स्थायी समिति की सदस्य सुरभि शिखा ने कहा कि नगर विधायक विजेंद्र चौधरी के इशारे पर सारा खेल हो रहा है। समिति के सदस्यों का धरना देना उचित नहीं है।
धरना पर बैठे पार्षदों का आरोप
- नगर निगम सशक्त स्थायी समिति एवं बोर्ड की बैठक की कार्यवाही समय से नहीं निकाली जाती। इससे विकास कार्य बाधित हो रहा है।
- पार्षदों द्वारा दिए गए विकास योजनाओं को बदल दिया जाता है, जिससे काम आधा अधूरा रह जाता है।
- नल-जल योजना का काम सही तरीके से नहीं हो रहा है। कार्य करने वाले संवेदकों पर रखरखाव की जिम्मेवारी होने के बाद भी उनके द्वारा काम नहीं किया जाता। निगम प्रशासन की मिली भगत से संवेदकों को बिना काम भुगतान किया जाता है।
- वार्ड की सफाई के लिए न समय पर सफाई वाहन मिलता है और न ही खराब ठेला की मरम्मत की जाती इससे सफाई कार्य बाधित हो रहा है और इसका खामियाजा जनता के आक्रोश के रूप में पार्षदों को भुगतना पड़ता है।
- आपका शहर आपकी बात कार्यक्रम के तहत वार्डों में आयोजित सभा में जनता से लिए गए शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है।
- ग्रामीण क्षेत्र से कटकर शहर से जूड़े इलाकों के विकास के लिए विकास राशि का चालीस प्रतिशत खर्च करने की घोषणा का अब तक अमल नहीं हुआ।
- निगम कार्यालय में पार्षदों के बैठने तक के लिए कोई जगह नहीं है। इस पर महापौर ने कभी ध्यान नहीं दिया।
धरने में शामिल पार्षद
अर्चना पंडित, उमेश पासवान, मधु विजेता, मो. अंजार, पूनम देवी, अनिसुल फातमा, मनौवर हुसैन, आरती राज, सैफ अली, सुषमा देवी, प्रिय रंजन सिंह, रूपम कुमारी, मंगल सहनी, रश्मि राउत, मीरा देवी, राज कुमारी देवी, ममता कुमारी, एनामुल हक, अमित कुमार, संजू कुमारी, मो. हसन।
सशक्त स्थायी समिति एवं निगम बोर्ड द्वारा लिए गए फैसलों को अनुपालन नगर आयुक्त को करना है। नियमानुसार सभी कार्य किए जा रहे हैं। कार्य में विलंब होने पर नगर आयुक्त से तेजी लाने को कहा है। जो भी कार्य हो रहा या निर्णय लिए जा रहे उसमें सशक्त स्थायी समिति के सदस्य शामिल हैं। यदि किसी को शिकायत थी तो बातचीत करनी चाहिए थी। सीधे धरना पर बैठना उचित नहीं है।
निर्मला देवी, महापौर
पार्षद संघ ने कहा, पहले इस्तीफा दें कैबिनेट के सदस्य
पार्षद संघ में शामिल पार्षद अजय ओझा, संजय केजरीवाल, चंदा कुमारी ने बयान जारी कर कहा है कि दो माह जब नल-जल योजना को लेकर पार्षदों ने धरना दिया था। तब राजीव कुमार पंकू एवं अर्चना पंडित ने आरोप लगाया था कि महापौर एवं नगर आयुक्त बेहतर काम कर रहे हैं।
उनको बदनाम करने के लिए पार्षद संघ धरना दे रहा है। दो माह में आखिर क्या हो गया कि महापौर की वाहवाही करने वालों को स्वयं धरना पर बैठना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि महापौर कैबिनेट के सदस्य को अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना देना हास्यास्पद है। यदि समिति के सदस्यों को विरोध करना है तो पहले वह सशक्त स्थायी समिति से इस्तीफा दे।
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