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    Bihar News: 15 वर्ष से अधिक पुरानी गाड़ी के निबंधन का कराना चाह रहे नवीकरण तो नहीं करें यह गलती, विभाग ने बदली व्यवस्था

    By MD samsad Edited By: Ajit kumar
    Updated: Fri, 01 Aug 2025 02:16 PM (IST)

    Bihar News 15 साल पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण में वाहन मालिकों को परेशानी हो रही है। परिवहन विभाग की वजह से कई वाहन मालिक महीनों से जिला परिवहन कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। मुजफ्फरपुर जिला कार्यालय द्वारा आनलाइन एंट्री के लिए भेजी गई फाइलें मुख्यालय ने वापस कर दी हैं क्योंकि उनमें इंजन और चेचिस के रंगीन फोटो नहीं थे।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। 15 वर्ष पुराने वाहनों निबंधन नवीकरण कराना वाहन मालिकों के लिए परेशानी बन गया है। परिवहन विभाग की कार्यशैली से जिले के सैकड़ों वाहन मालिक परेशान हैं। महीनों से जिला परिवहन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं।

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    इनमें कई ऐसे हैं जिनके मामले छह से सात महीनों से पेंडिंग हैं। रजिस्ट्रेशन नहीं होने से वाहन मालिक जुर्माने के डर से वाहन चलाने से डर रहे हैं। जिला कार्यालय द्वारा आनलाइन इंट्री की अनुमति के लिए भेजी गईं दर्जनों फाइलों को महीनों लटकाने के बाद पटना मुख्यालय ने वापस कर दिया है।

    अधिकतर को इंजन व चेचिस के रंगीन फोटो के साथ दोबारा भेजने को कहा है। चंदवारा इमामगंज के मो.सोहैल सिद्दकी ने कहा कि कई महीने पहले उनके वाहन की फाइल पटना भेजी गई, लेकिन वहां से कई महीने लटकाने के बाद वापस कर दी गई।

    कई महीने काम को पेंडिंग रखने के बाद यह लिखकर फाइल लौटाई गई कि इंजन व चेचिस के रंगीन फोटो के साथ भेजें। कहा कि विभाग ने पूर्व में इंजन व चेचिस के रंगीन फोटों के साथ नहीं मांगा गया था। इस तरह का प्रविधान पहले नहीं था। कई वाहन मालिकों ने आरोप लगाया कि परिवहन विभाग जानबूझ कर परेशान कर रहा है। डीटीओ कुमार सतेंद्र यादव ने कहा बैकलाग इंट्री का काम विभाग के आदेशानुसार ही किया जा रहा है।

    क्या है बैकलाग इंट्री का मामला

    15 वर्ष पुराने ऐसे वाहन जिनके निबंधन का डाटा आनलाइन नहीं है उनका डाटा आनलाइन इंट्री के लिए परिवहन विभाग के मुख्यालय से अनुमति अनिवार्य है। इनमें ऐसे वाहन हैं जिनका आरसी स्मार्ट कार्ड में नहीं है। जिला मुख्यालय ने विभाग के निर्देशानुसार कार्यवाही पूरी कर बैकलाग इंट्री के लिए पटना भेजा जाता है। अनुमति मिलने के बाद ही डाटा इंट्री व निबंधन नवीकरण की प्रकिया होती है। जानकारी के अनुसार जिले में ऐसे वाहनों की संख्या 20 हजार से अधिक है।