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    अब घर तक सांपों की पहुंच को रोकेगा यह डिवाइस, बचाव में होगा कारगर

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 10:31 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर में एक नया स्नेक डिटेक्टर बैरियर विकसित किया गया है जो सांपों को घरों और भंडारण क्षेत्रों से दूर रखेगा। यह प्रणाली सांपों को नुकसान पहुंचाए ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    प्रशांत कुमार, मुजफ्फरपुर। घरों के आसपास व भंडारण क्षेत्रों तक सांप नहीं पहुंच सकेंगे। उन्हें अब स्नेट डिटेक्टर बैरियर रोकेगा। अभिनव प्रयोग से तैयार किया गया नया सिस्टम किसी भी प्रकार के सांपों से बचाव के लिए कारगर साबित होगा।

    इस नवोन्मेषी सिस्टम से भवनों व भंडारण क्षेत्रों के आसपास सांपों की आवाजाही को रोका जा सकेगा। इससे न केवल वहां के कर्मी सुरक्षित रह सकेंगे, बल्कि सांपों को भी कोई नुकसान नहीं होगा। इससे सर्प दंश से होने वाली मौतों पर तो विराम लगेगा। सांपों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

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    इस दृष्टिकोण से नव-विकसित सिस्टम को सर्प संरक्षण की दिशा में भी एक विशिष्ट उपलब्धि मानी जा रही है। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के साइंस के पूर्व डीन प्रो. मनेंद्र कुमार व पीजी जूलाजी विभाग के डॉ. ब्रज किशोर प्रसाद सिंह ने इस नए सिस्टम को तैयार किया है।

    सर्प निवारक अवरोध (स्नेक डिटेरेंट बैरियर) का डिजाइन किया है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी मिली है। इस नवाचार को मान्यता देते हुए यूनाइटेड किंगडम इंटेलेक्चुअल प्रापर्टीज ऑफिस की ओर से इस डिजाइन को पेटेंट देते हुए इसका पंजीकरण कराया गया है।

    प्रो. मनेंद्र कुमार ने बताया कि इससे सर्प दंश से होने वाली मौतों पर तो विराम लगेगा। साथ ही सांपों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। भारत में सर्पों की करीब 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें करीब 60 ही विषधर हैं। इनमें भी अधिकतर मौत कोबरा, कामन करैत, रूसेल्स पिट वाईपर व सा स्केल्ड वाईपर के काटने से ही होती हैं।

    सर्पदंश से भारत में प्रतिवर्ष करीब 60 हजार लोग मरते हैं जो विश्वभर में इससे होने वाली मौतों के आधे से भी अधिक हैं। यही कारण है कि सांपों से भयाक्रांत लोग विषहीन सांपों को भी मार देते हैं, जिससे इनकी संख्या में भारी कमी आई है और पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ने की आशंका है।

    इस परिदृश्य में यह नव-विकसित उपकरण न केवल लोगों से सांपों को दूर रखकर उन्हें सुरक्षा देगा, बल्कि सांपों को भी बचाए रखेगा।

    उपकरण तैयार करने में खर्च कम, रिफलिंग भी होगा

    इस उपकरण की डिजाइनिंग तैयार कर इसका पेटेंट कराया गया है। यह डिजाइन लोहे का बना होगा। यह प्रणाली जंग प्रतिरोधी माइल्ड स्टील से बने डुअल लेयर रिपलेंट स्टेशन से बना होगा। प्रत्येक स्टेशन में एक छोटा स्वनियंत्रित निरोधक यूनिट की तरह कार्य करेगा।

    इसके ऊपरी चेंबर में 300 ग्राम कंकड़ या रेत व 20 एमएल कार्बोलिक एसिड या पर्यावरण अनुकूल तेल जैसे लौंग और सिट्रोनेला भरे जाते हैं। रसायनिक अभिक्रिया से यह मिश्रण गंध छोड़ता है और सांप इससे दूर भागते हैं। इसका निर्माण कंपनी की ओर से कराया जा सकता है। इसमें करीब 1500 से अधिक का खर्च आएगा।

    इस उपकरण के भीतर प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रसायनों के आधार पर यह सिस्टम कार्य करेगा। एक बार मिश्रण तैयार करने के बाद उसे 15 दिनों के बाद दोबारा रिफलिंग करना होगा। इसमें 40 से 50 रुपये का खर्च आएगा। उपकरण से एक तीखी गंध निकलेगी। उपकरण में दो से तीन छेद बने होंगे।

    इससे जहां तक गंध जाएगा वहां से आगे सांप नहीं बढ़ सकेगा। स्टेशन को सीधे बोल्ट से कंक्रीट पर या स्टैंड माउंटेड फ्रेम से मिट्टी में स्थिर किया जा सकता है। हर यूनिट में नियंत्रित गंध प्रसार के लिए ओपनिंग व रिफिलिंग के लिए हटाने वाले ढक्कन का प्रयोग किया गया है। गंध कम होने पर यह एलइडी या वायरलेस सिग्नल से अलर्ट भी भेजता है।

    वैकल्पिक सौर हीट प्लेट ठंडे मौसम में गंध प्रसार बढ़ाती है। इसे 15 दिनों में रिफलिंग किया जाएगा। प्राकृतिक रुप से उपलब्ध रसायनों पर आधारित यह पर्यावरण प्रिय सिस्टम सुदूर क्षेत्रों में भी सुगमता से इंस्टाल किया जा सकता है और यह टिकाऊ भी है।