Bihar Election 2025: शादी; बारात और 'पेट पूजा' थी रघुवंश बाबू की अनोखी शैली, चुनाव प्रचार का रोचक किस्सा
मुजफ्फरपुर के अमरेंद्र तिवारी के अनुसार आजकल नेता चुनाव में करोड़ों खर्च करते हैं जबकि पहले सादगी से चुनाव लड़े जाते थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के कई किस्से हैं जब वे सुबह दही-चूड़ा खाकर प्रचार के लिए निकलते थे। एक बार बेलसंड में रात 11 बजे शादी में बिना निमंत्रण ही भोजन किया। वे जनसंपर्क के लिए नेवता-पेहानी को भी महत्वपूर्ण मानते थे।

अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। आज चुनाव में नेता करोड़ों खर्च कर देते हैं। प्रचार के दौरान नाश्ता व भोजन का बढ़िया इंतजाम करते हैं। तीन दशक पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। बहुत से नेता सादगी से चुनाव लड़ते थे। कार्यकर्ता के यहां भोजन कर लेते थे। शादी समारोह में पहुंच जाते थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ इस तरह के बहुत से किस्से जुड़े हैं। वे प्रचार के लिए सुबह नौ बजे दही-चूड़ा खाकर घर से निकलते थे।
उनके सहयोगी रहे हरेश कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, बात 1980 के विधानसभा चुनाव की है। रघुवंश बाबू बेलसंड विधानसभा क्षेत्र में सुबह करीब नौ बजे भ्रमण पर निकले थे।
वहां से सीतामढ़ी जाने के दौरान रात के करीब 11 बज गए थे। साथ चल रहे सुरक्षाकर्मी व सहयोगियों को भूख भी लगी थी।
रास्ते में रघुवंश बाबू ने देखा कि पेट्रोमैक्स जल रहे हैं। बोले गाड़ी रोको। वहां लोगों से पूछा कि क्या हो रहा है। बताया गया कि शादी-बारात का माहौल है।
वे उसमें जाने को तैयार हुए तो चालक ने कहा, सर हमें नेवता नहीं मिला है। सुनते ही बोले, ‘जेकर नेवता न रहतई ओकरा कन हम सब न जबई...।’
हरेश कहते हैं, तब मैंने कहा कि नहीं सर नेवता मिला है। उसके बाद वे गाड़ी से उतरे। उनकी आवाज सुनकर घर के लोग आ गए। रघुवंश बाबू को देखते ही प्रणाम किया। वहां सभी ने भोजन किया।
हरेश बताते हैं कि तब इंटरनेट मीडिया हावी नहीं था। नेवता-पेहानी भी जनसंपर्क का बड़ा जरिया था। सौ-पचास लोग एक जगह मिल जाते, वहीं छोटी सभा हो जाती थी। रघुवंश बाबू जिस गांव में जाते, वहीं दोपहर, शाम व रात को नाश्ता भोजन का इंतजाम हो जाता था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।