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    मुजफ्फरपुर में नगर निगम की राजनीति ने ली करवट, पार्षदों की नई खेमाबंदी से बढ़ेगा टकराव

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 02:54 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर नगर निगम में राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रही है। महापौर के खिलाफ विद्रोह और पार्षदों के खेमे बदलने से स्थिति गंभीर हो गई है। सशक्त स्थायी समिति दो गुटों में बंट गई है जिससे विकास कार्यों में बाधा आ सकती है। पार्षदों के बीच भी विभाजन हो गया है और बैठकों में टकराव की आशंका है।

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    नगर निगम की राजनीति ने ली करवट। (फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। नगर निगम सरकार के खिलाफ महापौर कैबिनेट के तीन सदस्यों के विद्रोह एवं वार्ड पार्षदों की नई खेमाबंदी के बाद निगम की राजनीति ने करवट ली है।

    ढाई साल तक निगम सरकार के हर फैसले में महापौर निर्मला देवी के साथ रहने वाले सशक्त स्थायी समिति सदस्य एवं वार्ड 28 के पार्षद राजीव कुमार पंकू और उनके साथ अन्य दो सदस्य अभिमन्यु कुमार व उमा पासवान के विद्रोह के कारण अब समिति दो खेमों में बंट गई है।

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    समिति के अन्य चार सदस्य केपी पप्पू, सुरभि शिखा, कन्हैया कुमार व अमीत रंजन महापौर के साथ हैं। वहीं, समिति सदस्य एवं उपमहापौर डॉ. मोनालिसा पहले से ही महापौर की विरोधी रही हैं।

    अब हंगामेदार होगी बैठक

    वर्तमान हालात में अब महापौर को सशक्त स्थायी समिति की बैठक में कोई भी फैसला लेना आसान नहीं होगा। अब हंगामेदार बैठक होगी। निगम सरकार को बदले हालात में शहर के विकास की योजना बनाने में भी टकराव हो सकता है।

    सशक्त स्थायी समिति के साथ नगर निगम के वार्ड पार्षद भी दो खेमों में बंट गए हैं। अब तक महापौर के साथ खड़े नगर विधायक विजेंद्र चौधरी समर्थक खेमा जिसका नेतृत्व वार्ड 42 की पार्षद अर्चना पंडित कर रही थीं, वह अब महापौर के विरोध में खड़ा हो गया।

    वहीं, ढाई साल तक महापौर के विरोध में खड़ी रहीं वार्ड 34 की पार्षद चंदा देवी के नेतृत्व वाला वार्ड पार्षद संघ महापौर के साथ हो गया है।

    बताते चलें कि दो माह पहले पार्षद संघ मजबूत स्थिति में था और लगातार महापौर पर राजनीतिक हमला कर रहा था।

    इसके बढ़ते कद को छोटा करने के लिए नगर विधायक के सहयोग से दो भागों में बांट दिया गया था और आदर्श विकास पार्षद समिति का गठन कर अर्चना पंडित को अध्यक्ष बनाया गया था।

    होगा जमकर टकराव

    इसमें सशक्त स्थायी समिति सदस्य राजीव कुमार पंकू भी शामिल थे। अब निगम में नया राजनीतिक समीकरण बन गया है। इसका असर नगर निगम बोर्ड की बैठक में दिखेगा। पहले हुईं बैठकों में पार्षद संघ में शामिल पार्षदों की आवाज को दबा दिया जाता था, लेकिन अब बैठक में जमकर टकराव होगा।

    जानकार बताते हैं कि नई खेमाबंदी विधानसभा चुनाव को लेकर हुई है। महापौर विरोधी खेमा में शामिल वार्ड 38 के पार्षद पति एवं पूर्व पार्षद इकबाल कुरैशी का कहना है कि महापौर का संबंध भाजपा से है इसलिए बीते दो माह से विकास का कोई काम नहीं किया जा रहा ताकि कांग्रेस विधायक विजेंद्र चौधरी चुनाव हार जाएं।

    इसको लेकर विधायक समर्थक पार्षद महापौर के खिलाफ हो गए हैं। कुल मिलाकर आने वाले समय में नगर निगम की राजनीति में जमकर टकराव होगा और इसका असर शहर की विकास योजनाओं पर पड़ेगा।