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    घर में नहीं था राशन का एक दाना, एक चौकी पर सोते थे 6 लोग; बच्चों के साथ सुसाइड करने वाले अमरनाथ की कहानी

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 04:12 PM (IST)

    बिहार के मुजफ्फरपुर में गरीबी के कारण एक पिता ने अपने पांच बच्चों के साथ फांसी लगा ली, जिसमें चार सदस्यों की मौत हो गई, जबकि फांसी का फंदा गले में न क ...और पढ़ें

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    मृतक अमरनाथ की फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। नवलपुर मिश्रौलिया में हुए एक दुखद हादसे से हर कोई स्तब्ध है। मृतक के घर की हालत देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि परिवार कितनी बड़ी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। घर में राशन का एक दाना नहीं था और जो चावल बचे थे, उसे रविवार को बना लिया गया था। इसके बाद आंटा-दाल कुछ भी नहीं बचा था।

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    इंदिरा आवाज योजना से मृतक अमरनाथ के पिता टुनटुन राम के समय घर बना था। चारों तरफ से ईंट की दीवार और सामने से लकड़ी और बांस से बनाकर इसे ढंका गया था। घर का दरवाजा भी बांस से ही बनाया गया था। छत एसबेस्टस की थी। घर में बिजली का कनेक्शन था और दोनों कमरों में एक-एक पंखा और बल्ब लगा था।

    घर में शौचालय भी नहीं था। एक कमरे में बड़ी चौकी लगी थी। इसपर ही अमरनाथ अपने पांचों बच्चों के साथ सोते थे। दूसरा कमरा उनके भाई शिवनाथ राम का है। वह शादी के बाद पत्नी के साथ पंजाब रहकर मजदूरी करता है। उसका भी पांव टूटा हुआ है, इस कारण वह घटना के बाद घर नहीं पहुंच सका।

    अमरनाथ की दो बहनें भी हैं। दोनों शादीशुदा हैं और घटना के बाद ससुराल पहुंचीं। अमरनाथ ने पीडीएस दुकान से 20 नवंबर को राशन उठाया था। यह भी अब समाप्त हो चुका था। मौके पर पहुंचे डीलर ने बीडीओ को बताया कि इस माह का आवंटन नहीं मिला है। पिछले माह अमरनाथ की बेटी आई थी।

    उसे पांच व्यक्ति के हिसाब से 25 किलोग्राम अनाज दे दिया गया था। घर के आंगन और कमरों की हालत देखकर लग रहा था कि महीनों से झाड़ू तक नहीं लगी है। घर में दो मिट्टी के चूल्हे थे। आंगन में रखा चूल्हा टूटा हुआ था, जबकि कमरे के बाहर जो चूल्हा था, उसपर लकड़ी के जलावन से बड़ी बेटी ही खाना बनाती थी।

    दोपहर में मध्याह्न भोजन करते थे चारों बच्चे

    अमरनाथ की तीनों बेटियों और एक बेटे का नामांकन गांव में स्थित माध्यमिक विद्यालय में था, जिसमें ये सभी पढ़ाई करने जाते थे। सबसे छोटे बेटे का नामांकन नहीं हुआ था। एक बेटी तो स्कूल ड्रेस वाले फ्रॉक में ही फंदे से झूलती मिली।

    परिवार की तंग आर्थिक स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दिन में चारों बच्चे स्कूल में ही मध्याह्न भोजन करते थे। इसी से कुछ खाना बचाकर छोटे भाई के लिए भी ले जाते थे। अमरनाथ भी दिन में कहीं भी खा लेता था। जानकारी के अनुसार, रविवार को दिन में ही अमरनाथ की बड़ी बेटी ने चावल व आलू सोयाबीन की सब्जी बनाई थी। 

    रात में सिर्फ अंडे की भुजिया बनाई, जिसे सभी ने खाना खाया। छह लोगों के परिवार में चार अंडे ही बने थे। इससे रुपये की किल्लत होने का पता लगता है। अंडे के छिलके, जली हुई लकड़ियां, झूठे बर्तन भी उसी प्रकार चूल्हे के समीप फैले हुए मिले थे।

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    पत्नी ने कराया था अपने और पति के नाम पर बीमा

    कमरे की तलाशी लेने के दौरान दो झोले मिले, जिनमें बच्चों के आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र के अलावा अमरनाथ का ई-श्रम कार्ड और जॉब कार्ड बरामद हुआ। इनके अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम के दो कागजात भी मिले।

    बीमा का एक कागज अमरनाथ और दूसरा उसकी पत्नी दीपा के नाम का था। अमरनाथ वाले बीमा के कागजात पर एक लाख और पत्नी वाले पर दो लाख रुपये लिखे हुए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि अमरनाथ की पत्नी ने ही दोनों बीमा कराया था। पुलिस ने कागजों को जब्त कर लिया है। अब पता किया जा रहा है कि बीमा की राशि मिली थी या नहीं।