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    मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में नहीं थे डॉक्टर, नर्स ने कर दिया ऑपरेशन; नवजात की गर्भ में मौत

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 12:05 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर एक दुखद घटना सामने आ रही है। प्रसव पीड़ा होने पर एक महिला को सीएचसी ले जाया गया जहां चिकित्सक और कर्मचारी सो रहे थे। निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान बच्चे की मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाया है और कार्रवाई की मांग की है। पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा है।

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    नवजात की मौत के बाद परिजनों में शोक की लहर। (जागरण)

    संवाद सहयोगी, मुशहरी। मुशहरी पीएचसी के निरीक्षण में सिविल सर्जन एवं अन्य चिकित्सा पदाधिकारियों ने हमेशा कुछ ना कुछ गड़बड़ी पकड़ी, मगर कार्रवाई नहीं हुई।

    इसका नतीजा यह हुआ कि नौ माह तक गर्भ में पालने वाली एक मां से इस अव्यवस्था ने उसका बच्चा छीन लिया। कारण प्रसव पीड़ा के बाद जब उसे स्वजन रविवार सुबह मुशहरी सीएचसी लाए तो चिकित्सक से लेकर सभी स्टाफ सो रहे थे। इमरजेंसी को देखते हुए पास के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गए। यहां भी चिकित्सक नहीं थे।

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    एक नर्स ने प्रसूता का ऑपरेशन कर दिया। इससे बच्चा गर्भ में फंस गया और उसकी मौत हो गई। महिला के पति विपिन कुमार ने बताया कि उसका घर पातेपुर के तुरियापुर में है। ससुराल बेदौलिया में है।

    उसकी गर्भवती पत्नी अंशु कुमारी मायके मे रह रही थी। आज सुबह पांच बजे प्रसव पीड़ा होने पर उसकी सास और ससुराल के लोग उसे लेकर पीएचसी मुशहरी गए। वहां चिकित्सक डॉ. सतीश प्रसाद और नर्स सोए हुए थे। काफी देर जगाने के बाद वे नहीं जगे तो सभी क्षेत्र की आशा के साथ मुशहरी प्रखंड कार्यालय के पास आशीर्वाद हॉस्पिटल ले गए।

    प्रसव के दौरान नवजात की मौत

    वहां भी चिकित्सक नहीं थे। नर्स गूंजा कुमारी ने यह कहकर इलाज शुरू किया कि थोड़ी देर में चिकित्सक आ जाएंगे। बहुत देर तक चिकित्सक नहीं आए तो नर्स ने छोटा ऑपरेशन कर दिया। इस समय एनेस्थीसिया चिकित्सक थे ना महिला सर्जन। प्रसव के क्रम में बच्चा फंस गया। इससे उसकी मौत हो गई।

    विपिन ने कहा कि इस लापरवाही के बाद भी अस्पताल वालों ने राशि की मांग की। स्वजन के हंगामा के बाद अस्पताल के मालिक महावीर सहनी आए और अंशु को पानी चढ़ाने को कहकर चले गए।

    अस्पताल की नर्स गूंजा कुमारी ने बताया कि अंशु के स्वजन नार्मल डिलीवरी का दबाव दे रहे थे। चिकित्सक उस समय नहीं थे। उसका छोटा ऑपरेशन किया गया। डिलीवरी के समय बच्चा गर्भाशय में फंस गया। निकला तो मरा हुआ था। स्वजन से पैसे की मांग नहीं की गई है। प्रसूता इलाजरत है।

    इस मामले में अस्पताल संचालक एवं पूर्व मुखिया महावीर सहनी को फोन करने पर कहा कि बैठक में हैं, आवाज नहीं आ रही है। बाद में बात करते हैं। वहीं, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रीति ने बताया कि सुबह में प्रसव कराने आई महिला के जगाने पर चिकित्सक और नर्स के नहीं जगने का मामला गंभीर है। दोषियों के विरुद्ध करवाई की जाएगी।

    सुनीता की मौत के बाद भी नहीं जागी व्यवस्था

    इसे जिले की बेशर्म व्यवस्था ही कह सकते हैं जो कई मौत के बाद भी नहीं जगती है। एसकेएमसीएच में ऑपरेशन नहीं होने पर सकरा में झोलाछाप के चक्कर में किडनी गंवाने के बाद सुनीता कुमारी पिछले साल जिंदगी की जंग हार गई।

    अवैध अस्पताल में उसके गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान उसकी दोनों किडनी निकाल ली गई। वह जिला से लेकर प्रदेश तक गुहार लगाती रही, मगर उसे किडनी नहीं मिल सकी। ऐसी कितनी ही सुनीता इस अव्यवस्था के कारण जिंदगी की जंग हार नहीं, मगर जिम्मेदारों की नींद ही नहीं खुलती। जैसे पीएचसी मुशहरी के चिकित्सक और नर्स की नहीं खुली।