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    अब शिक्षक को बताना होगा क्लास में क्या पढ़ाया, वेबसाइट पर अपलोड होगी डेली टीचिंग रिपोर्ट

    By Prashant Kumar Edited By: Ajit kumar
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 08:10 PM (IST)

    बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब पढ़ाई की निगरानी और सख्त होगी। शिक्षकों को अब विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर बताना होगा कि उन्होंने क्लास में ...और पढ़ें

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    राज्यपाल सचिवालय से होगी पठन-पाठन की निगरानी।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar University News : प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब पठन-पाठन की निगरानी और सख्त होने जा रही है। शिक्षक वर्ग में क्या पढ़ा रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी अब विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। इस व्यवस्था की निगरानी सीधे राज्यपाल सचिवालय से की जाएगी।

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    राज्यपाल सचिवालय की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को इस संबंध में पत्र जारी किया गया है। प्रधान सचिव डॉ. रॉबर्ट एल. चोंग्थू ने कुलपतियों को निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर वेबसाइट को अपडेट कर नई व्यवस्था लागू की जाए। साथ ही इसके अनुपालन की रिपोर्ट भी लोक भवन को भेजनी होगी।

    निर्देश के अनुसार विश्वविद्यालयों को संकायवार प्रतिदिन संचालित कक्षाओं की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इसमें यह स्पष्ट रूप से दर्ज होगा कि किस दिन, किस विषय की कक्षा हुई और संबंधित प्राध्यापक का नाम क्या है। इसका उद्देश्य यह जानना है कि कक्षाएं नियमित रूप से चल रही हैं या नहीं और शिक्षण कार्य कितना प्रभावी है।

    परीक्षा व शैक्षणिक कैलेंडर भी होगा ऑनलाइन

    वेबसाइट पर स्नातक, पीजी और अन्य पाठ्यक्रमों की आगामी परीक्षाओं की पूरी जानकारी भी अपलोड करनी होगी। इसमें परीक्षा प्रारंभ होने की तिथि, समाप्ति तिथि और शैक्षणिक कैलेंडर शामिल रहेगा। इससे छात्र-छात्राएं यह आसानी से जान सकेंगे कि विश्वविद्यालयों में सत्र समय पर चल रहा है या नहीं।

    इस पहल से यह भी स्पष्ट होगा कि विश्वविद्यालय केवल शैक्षणिक कैलेंडर बना रहे हैं या उसके अनुरूप परीक्षा और परिणाम भी समय पर जारी कर रहे हैं।

    कहीं कक्षा नहीं, कहीं नाममात्र उपस्थिति

    वर्तमान स्थिति यह है कि कई कॉलेजों में नामांकन के शुरुआती दिनों को छोड़ दिया जाए तो कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति लगातार घटती जाती है। जिन विषयों में सैकड़ों छात्रों का नामांकन होता है, वहां भी कक्षा में कभी-कभी गिनती के छात्र ही नजर आते हैं। कम उपस्थिति के कारण कई जगह शिक्षक भी नियमित रूप से कक्षा संचालन नहीं करते।

    सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद हर छह महीने में परीक्षा, इंटरनल मूल्यांकन, अगली सेमेस्टर की प्रक्रिया और नामांकन जैसे कार्यों में शिक्षण समय और भी सीमित हो जाता है। सत्र नियमित करने के दबाव में कभी-कभी बहुत कम अवधि में ही परीक्षाएं आयोजित कर दी जाती हैं।

    कोरोना काल की तर्ज पर फिर डिजिटल निगरानी

    कोरोना काल में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने पढ़ाई के लिए वेबसाइट पर कंटेंट, वीडियो लेक्चर और ऑनलाइन कक्षाओं के लिंक अपलोड किए थे। उस समय यह दूरदराज के छात्रों के लिए शिक्षा का मुख्य माध्यम बना था। अब एक बार फिर डिजिटल माध्यम से पठन-पाठन की निगरानी को मजबूत किया जा रहा है।