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    बोर्ड ट्रामा सेंटर का, इलाज कैंसर का हो रहा; SKMCH में कागजों तक सिमटी सुविधाएं

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 02:34 AM (IST)

    मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में 1.25 करोड़ का ट्रामा सेंटर कागजों तक सीमित है। इसे टाटा कैंसर अस्पताल को आवंटित कर दिया गया है, जिससे सड़क दुर्घटना पीड़ि ...और पढ़ें

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    बस नाम का ट्रामा सेंटर, चल रहा दूसरे विभाग का अस्पताल। फोटो जागरण

    केशव कुमार, मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज हास्पिटल (एसकेएमसीएच) में ट्रामा सेंटर की सुविधा कागजों और बोर्ड तक ही सिमट कर रह गई है।

    गंभीर रूप से घायल मरीजों को तत्काल और उच्च स्तरीय इलाज देने के लिए बने सवा सौ करोड़ रुपये का ट्रामा सेंटर फिलहाल टाटा मेमोरियल सेंटर के कैंसर अस्पताल के अधीन है। इस कारण सड़क हादसों में घायल होने वाले मरीजों को समय पर सही उपचार नहीं मिल पा रहा है। सुविधा के अभाव में मरीज को लेकर स्वजन निजी अस्पताल लेकर चले जाते।

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    नेशनल हाइवे किनारे स्थित होने के कारण एसकेएमसीएच में प्रतिदिन आमतौर पर बीस से अधिक मरीज सड़क हादसों के शिकार होकर पहुंचते हैं। नियमतः इन्हें ट्रामा सेंटर में विशेषज्ञ डाक्टरों की देखरेख में रखा जाना चाहिए, लेकिन वहां कैंसर विभाग का ओपीडी और ओटी संचालित होने के कारण घायलों को जनरल सर्जरी वार्ड या इमरजेंसी के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

    संसाधनों के अभाव में गंभीर मरीजों को अक्सर पटना रेफर कर दिया जाता है। इससे रास्ते में ही कई दम तोड़ देते हैं। हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2020 में बना ट्रामा सेंटर के लिए आवंटित भवन और वहां की सुविधाओं का उपयोग दूसरे मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है।

    अस्पताल प्रशासन ने अस्थायी व्यवस्था के तहत टाटा कैंसर संस्थान को यह जगह दी थी। यह अब स्थायी हो गया है। कैंसर के मरीजों को सुविधा मिलना सुखद है, लेकिन इसके लिए ट्रामा सेंटर की बलि चढ़ाना हजारों घायलों की जान से भी खिलवाड़ हो रहा है।

    अस्पताल परिसर में मौजूद मरीज के स्वजन का कहना है कि ट्रामा सेंटर के बाहर बोर्ड तो लगा है, लेकिन अंदर जाने पर पता चलता है कि वहां कैंसर का इलाज हो रहा है। हड्डी टूटने या सिर में गंभीर चोट लगने पर मरीजों को घंटों स्ट्रेचर पर इंतजार करना पड़ता है।

    बताया जा रहा कि एसकेएमसीएच में 250 बेड की नई बिल्डिंग और सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं के माध्यम से इन सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन ट्रामा सेंटर के पूर्ण रूप से कार्य न करने से मरीजों को अक्सर निजी अस्पतालों में विशेषज्ञों से इलाज के लिए जाना पड़ता है। मरीजों को गंभीर चोटों और आपातकालीन स्थितियों के लिए विशेष सुविधाएं मिलनी चाहिए।

    हालांकि, वर्तमान में ट्रामा सेंटर के भवन का उपयोग कैंसर संस्थान द्वारा किए जाने के कारण ये सुविधाएं बाधित हैं। चिकित्सक बताते हैं कि एक ट्रामा सेंटर में त्वरित प्राथमिक उपचार कक्ष की सुविधा रहती है। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता 24 घंटे जनरल सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, न्यूरोसर्जन और एनेस्थेटिस्ट की मौजूदगी होती।

    आधुनिक डायग्नोस्टिक सेवाएं 24x7 सीटी स्कैन, एमआरआई, डिजिटल एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा के साथ आपातकालीन आपरेशन थिएटर की भी व्यवस्था रहती है। जिसके तहत गंभीर चोट, अंदरूनी रक्तस्राव या मस्तिष्क की चोट के मामलों में तुरंत सर्जरी के लिए ओटी में ले जाया जा सके। गंभीर हालत वाले मरीजों को बचाने के लिए वेंटिलेटर और लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस बेड जरूरी है।

    तीन वर्षों में नौ सौ से अधिक लोगों की हादसे में मौत

    जानकारी अनुसार एक अप्रैल 2022 से मई 2025 तक विभिन्न सड़क हादसों में 929 लोगों की मौत हुई है। वहीं पड़ोस के जिला सीतामढ़ी में 318, मोतिहारी में 914 और शिवहर में 37 लोगों की मौत हुई। मुजफ्फरपुर के अलावा सीतामढ़ी, शिवहर और मोतिहारी के मरीज एसकेएमसीएच रेफर होकर पहुंचते हैं।