मुजफ्फरपुर में छात्रवृत्ति घोटाला: पंचायत सचिव पर आरोप गठित, 4.5 लाख के गबन का मामला
Muzaffarpur Scholarship Scam: मुजफ्फरपुर के कटरा की बर्री पंचायत में छात्रवृत्ति राशि में घपले का मामला सामने आया है। पंचायत सचिव कृष्णनंदन सहनी पर आर ...और पढ़ें

तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव ने मिलकर किया था घपला। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Panchayat Secretary Scam Muzaffarpur: कटरा प्रखंड की बर्री पंचायत में छात्रवृत्ति राशि के गबन का मामला वर्षों बाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है। अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और मुशहर छात्रवृत्ति मद की राशि में कथित घपले को लेकर पंचायत सचिव कृष्णनंदन सहनी के खिलाफ आरोप पत्र गठित किया गया है।
कटरा के बीडीओ ने साक्ष्यों के साथ जिला पंचायती राज पदाधिकारी को आरोप पत्र भेजते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा की है।जांच रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2006-07 से 2011-12 के बीच बर्री पंचायत को अनुसूचित जाति एवं महादलित छात्रों के लिए 3.61 लाख रुपये, पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति मद में 1.17 लाख रुपये तथा मुशहर छात्रवृत्ति मद में 17 हजार रुपये प्राप्त हुए थे। शिकायत मिली थी कि इस राशि का आंशिक वितरण कर शेष रकम का गबन कर लिया गया।
फर्जी छात्रों के नाम पर दिखाया गया वितरण
जांच में सामने आया कि जिन विद्यालयों में अनुसूचित जाति के छात्रों की संख्या अधिक थी, वहां छात्रवृत्ति का वितरण ही नहीं किया गया। कई मामलों में छात्रों को कम राशि देकर अधिक रकम प्राप्त करने के नाम पर हस्ताक्षर करा लिए गए। वहीं, कुछ ऐसे छात्रों के नाम पर भी भुगतान दिखाया गया, जो वर्षों से गांव से बाहर रह रहे थे।
अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति मद में 3.61 लाख रुपये में से केवल 29,700 रुपये के वितरण का ही साक्ष्य मिला। शेष 3.32 लाख रुपये का गबन तत्कालीन मुखिया नूतन देवी और पंचायत सचिव कृष्णनंदन सहनी की मिलीभगत से किए जाने की पुष्टि जांच में हुई। इसी तरह पिछड़ा वर्ग छात्रवृत्ति की 1.17 लाख रुपये की राशि में से केवल 18 हजार रुपये के वितरण के प्रमाण मिले, जबकि करीब 99 हजार रुपये का गबन पाया गया। मुशहर छात्रवृत्ति की राशि का भी कोई स्पष्ट हिसाब नहीं मिल सका।
2013 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
मामले में वर्ष 2013 में ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी, लेकिन विभागीय कार्रवाई शुरू होने में करीब 12 वर्ष लग गए। अब आरोप पत्र गठित होने के बाद पंचायत सचिव के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया तेज होने की संभावना है।

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