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    Bihar Land Mutation: बिहार में दाखिल-खारिज के नियमों में हुआ बड़ा बदलाव, यहां जानिए एक-एक बात

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 02:21 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर में अब जमीन के दाखिल-खारिज आवेदन को अंचलाधिकारी द्वारा अस्वीकृत किए जाने पर दोबारा अंचल स्तर से स्वीकृति नहीं मिलेगी। राजस्व कर्मचारी जांच कर अस्वीकृति की अनुशंसा करेंगे जिसके बाद अंचलाधिकारी डीसीएलआर कोर्ट में अपील की सलाह देंगे। राजस्व विभाग ने यह कदम अस्वीकृत आवेदनों की गलत स्वीकृति को रोकने और प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए उठाया है।

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    बिहार में दाखिल-खारिज के नियमों में हुआ बड़ा बदलाव (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। किसी जमीन के दाखिल-खारिज आवेदन (Land Mutation Bihar) को अंचलाधिकारी स्तर से अस्वीकृत किए जाने के बावजूद उसे पुन: अंचल स्तर से ही स्वीकृत कराने के प्रयास पर अब पूर्ण रूप से रोक लग जाएगी। अब ऐसे आवेदनों की दाखिल-खारिज करने की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी।

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    राजस्व कर्मचारी के स्तर से ही खाता-खेसरा, केवाला, खरीदार आदि की जांच कर आवेदन को अस्वीकृत करने की अनुशंसा अंचलाधिकारी से करेंगे। इसके बाद अंचलाधिकारी इन आवेदनों को डीसीएलआर के कोर्ट में ले जाने की सलाह देते हुए अस्वीकृत कर देंगे।

    इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त और समाहर्ता को पत्र जारी किया है। साथ ही नए निर्देश के तहत दाखिल-खारिज के आवेदनों के निष्पादन करने को कहा गया है।

    विदित हो कि विभाग ने पूर्व से यह प्रविधान किया है कि अंचल अधिकारी या अन्य किसी राजस्व कोर्ट से किसी आवेदन पर एक बार जो निर्णय लिया गया उसपर वही अधिकारी या कोर्ट के स्तर से दोबारा कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। इसके लिए उच्च अधिकारी या उच्च कोर्ट में ही सुनवाई होगी।

    इस प्रविधान के बावजूद बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज के अस्वीकृत आवेदनों को गलत तरीके से अंचल अधिकारी स्तर से स्वीकृत किया गया। विभाग की समीक्षा में इस तरह के मामले सामने आए। इसके बाद विभाग ने इसे और फुलप्रूफ करने का निर्णय लिया है।

    जारी निर्देश में सचिव ने कहा कि अंचल स्तर से बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज के आवेदन अस्वीकृत किए गए हैं। समीक्षा में यह बात सामने आई कि आवेदन अस्वीकृत होने से उसी खाता एवं खेसरा की जमीन का नए सिरे से दाखिल-खारिज के लिए आवेदन दिया जाता है।

    इन आवेदनों के वाद पर सुनवाई में कर्मचारी से लेकर राजस्व अधिकारी एवं अंचलाधिकारी स्तर तक समय लगता है, जबकि यहां बड़ी संख्या में नए आवेदन भी होते हैं। ऐसे में अस्वीकृत आवेदनों की फिर से सुनवाई में अनावश्यक समय लगता है।

    विभाग ने इसी कारण से इन आवेदनों को अब कर्मचारी के स्तर से ही अस्वीकृत करने की व्यवस्था दी है। अब आवेदनों की संवीक्षा के स्तर से ही इसे अस्वीकृत करते हुए डीसीएलआर के कोर्ट में अपील दायर करने सलाह दी जाएगी।

    कई सीओ पर इस मामले में चल रही कार्यवाही:

    विभाग की समीक्षा में यह बात सामने आई है कि प्रदेश के कई अंचलाधिकारियों ने नियम के विरुद्ध जाकर दाखिल-खारिज के अस्वीकृत मामलों को बाद में स्वीकृत किया है। इन अंचलाधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही चल रही है। कई पर कार्रवाई भी की गई है।