जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में एक विचाराधीन बंदी की मौत के मामले में जेल चिकित्सक की लापरवाही सामने आई है।
स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कार्रवाई करते हुए जेल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. उमेश कुमार चौधरी की दो वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी है।
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव उपेंद्र राम ने अधिसूचना जारी की, जिसे सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति प्राप्त है।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार नगर थाना पुलिस ने सिकंदरपुर कुंडल निवासी दीपक सहनी को 9 सितंबर 2018 को उत्पाद अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा था।
चिकित्सक पर आरोप हैं कि जेल में दाखिला के समय दीपक की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग तो की गई, लेकिन डॉ. चौधरी ने उसकी रिपोर्ट अस्पताल के रजिस्टर में दर्ज नहीं की।
इस बीच 24 सितंबर 2018 से दीपक को लगातार खांसी की शिकायत थी, लेकिन उसकी जांच नहीं करवाई गई और ना ही एक्स-रे की व्यवस्था की गई। 4 अक्टूबर 2018 को उसकी हालत बिगड़ने पर मौत हो गई।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ यक्ष्मा का खुलासा
दीपक की मौत के बाद जेल अधीक्षक के निर्देश पर कराए गए पोस्टमार्टम में सामने आया कि वह यक्ष्मा (टीबी) से पीड़ित था। जेल में आने के समय उसकी बीमारी को सही से दर्ज कर इलाज शुरू नहीं किया गया।
चिकित्सक ने न केवल स्क्रीनिंग रिपोर्ट दर्ज करने में लापरवाही बरती, बल्कि विचाराधीन बंदी को समुचित चिकित्सा सुविधा भी नहीं उपलब्ध कराई।
साथ ही, इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी सूचना नहीं दी गई, जो कारा संचालन के प्रावधानों का उल्लंघन है। इस गंभीर चूकों को देखते हुए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
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