Maternity Leave Bihar: मातृत्व अवकाश नहीं देने पर 2 BDO, प्रधानाध्यापक और कर्मी फंसे; DM ने भेजी रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर के साहेबगंज प्रखंड में एक शिक्षिका को मातृत्व अवकाश न देने के मामले में दो BDO समेत कई अधिकारी मुश्किल में हैं। शिक्षिका ने 2019 में अवकाश के लिए आवेदन किया था जिसे BDO ने नामंजूर कर दिया। जांच में BDO और अन्य अधिकारियों को लापरवाही का दोषी पाया गया जिसके बाद विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। प्रखंड शिक्षक को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर दो बीडीओ और प्रधानाध्यापक व लिपिक फंसते दिख रहे हैं। तत्कालीन दोनों बीडीओ पर विभागीय कार्रवाई का संचालन करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। वहीं, प्रधानाध्यापक और लिपिक को भी दोषी पाया गया है। इनपर अलग से विभाग अपने स्तर से कार्रवाई करेगी। मामला साहेबगंज प्रखंड के सोमगढ़ उत्क्रमित मध्य विद्यालय का है।
दरअसल, वर्ष 2019 में प्रखंड शिक्षक सगुफता इकबाल ने दो माह के लिए मातृत्व अवकाश का आवेदन तत्कालीन बीडीओ अरविंद कुमार सिंह को दिया था, लेकिन उन्होंने अवकाश की स्वीकृति नहीं प्रदान की। इसके बाद शिक्षक की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
इसके आलोक में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया। इसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, डीआरडीए निदेशक और एसडीओ पश्चिमी को टीम में शामिल किया गया। उक्त विद्यालय पर पहुंचकर जांच कमेटी ने अभिलेख का अवलोकन किया।
तत्कालीन बीडीओ से जानकारी प्राप्त की। उनके द्वारा बताया गया कि नियमानुसार दो बच्चे तक ही मातृत्व अवकाश का प्रविधान है। इसी कारण से अवकाश स्वीकृत नहीं किया गया। जांच कमेटी ने रिपोर्ट देते हुए स्पष्ट किया कि बीडीओ की ओर से प्रखंड शिक्षका को इस नियम से अवगत नहीं कराया गया और उनके आवेदन को लंबित रखा गया। इसके अलावा कोर्ट में प्रतिशपथ पत्र भी दायर करना था। इसपर भी संज्ञान नहीं लिया गया। इसलिए ये पूर्ण रूप से जिम्मेवार हैं।
दूसरे बीडीओ ने भी नहीं लिया संज्ञान:
वर्ष 2021-24 तक साहेबगंज बीडीओ के पद पर अलाउद्दीन अंसारी रहे। इस दौरान मामला कोर्ट में सुचारू रूप से चलता रहा। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना की ओर से भी इन्हें प्रतिशपथ पत्र दायर करने को कहा गया, लेकिन उन्होंने भी संज्ञान नहीं लिया और न मामले का निष्पादन करने में रुचि ली।
इसके अलावा, प्रधानाध्यापक और लिपिक ने भी इस मामले में संज्ञान नहीं लिया। जबकि प्रखंड शिक्षक के आवेदन का त्वरित निष्पादन करने की जवाबदेही उक्त पदाधिकारियों की थी। अगर उन्हें मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता था तो इसकी जानकारी देते हुए आवेदन का निष्पादन किया जाना चाहिए था।
जांच कमेटी ने सभी को इस मामले में जिम्मेदार ठहराते हुए रिपोर्ट दी। इसके आलोक में डीएम ने प्रपत्र क गठित करते हुए ग्रामीण विकास विभाग को रिपोर्ट भेज दी।
दो बच्चे तक ही मातृत्व अवकाश देने का प्रविधान है, लेकिन इसकी जानकारी प्रखंड शिक्षिका को नियमानुसार देनी चाहिए थी और आवेदन को लंबित नहीं रखना चाहिए था। तीसरे बच्चे पर मातृत्व अवकाश मिलता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें लागू हैं। - कुमार अरविंद सिन्हा, जिला शिक्षा पदाधिकारी
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