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    म्यूल अकाउंट से देश-विदेश में करोड़ों का ट्रांजेक्शन, पारू का सत्यम भी गिरोह में शामिल

    By Sanjiv Kumar Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sun, 28 Dec 2025 01:19 PM (IST)

    पटना पुलिस ने एक बड़े साइबर ठग गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसमें बैंक एजेंट और इंजीनियर सहित 13 लोग गिरफ्तार हुए हैं। यह गिरोह एटीएम में कार्ड फंसाकर ...और पढ़ें

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    पटना के गर्दनीबाग पुलिस ने गिरोह का किया था भंडाफोड़। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Mule Account Cyber Fraud: पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में साइबर ठगी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह में पारू निवासी सत्यम कुमार समेत कुल 13 आरोपित शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपितों में एक निजी बैंक का लोन एजेंट और कंप्यूटर इंजीनियर भी शामिल है।

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    पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह म्यूल अकाउंट्स के जरिए देश-विदेश में करोड़ों रुपये का लेनदेन करता था। अब तक 50 से 55 करोड़ रुपये से अधिक के संदिग्ध ट्रांजेक्शन का पता चला है। गिरोह के खातों में पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य देशों से क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भी रकम भेजी गई थी।

    बैंक एजेंट स खुलवाए अकाउंट

    पकड़ा गया सौरभ द्विवेदी पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। वह पहले सूरत में काम करता था और लॉकडाउन के दौरान घर लौटने के बाद अपने कंप्यूटर इंजीनियर मित्र सत्यम कुमार के संपर्क में आया। दोनों ने मिलकर साइबर ठगी का नेटवर्क खड़ा किया।

    सौरभ ने बैंक एजेंट राहुल की मदद से कई म्यूल अकाउंट खुलवाए, जिनके जरिए ठगी की रकम को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया जाता था। बैंक एजेंट गिरोह को ग्राहकों की बैंकिंग जानकारी और डेटा भी उपलब्ध कराते थे।

    एटीएम में कार्ड फंसाकर ठगी

    गिरोह के सदस्य एटीएम मशीन के कार्ड स्लॉट में गोंद लगाकर कार्ड फंसा देते थे। उसी समय बूथ में मौजूद एक बदमाश ग्राहक का पिन देख लेता था। कार्ड फंसने पर ग्राहकों को फर्जी कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करने को कहा जाता था। कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति भी गिरोह का सदस्य होता था, जो मदद के बहाने कार्ड क्लोन कर खाते से पैसे निकाल लेता था।

    गेमिंग एप के जरिए भी स्कैम

    पुलिस को जांच में डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चला कि गिरोह गेमिंग एप्लिकेशन के जरिए भी ठगी करता था। एप में वर्चुअल करेंसी और रुपये के लेनदेन के माध्यम से लोगों से पैसे ऐंठे जाते थे। क्रिप्टो करेंसी के जरिए विदेशी ट्रांजेक्शन के भी ठोस प्रमाण मिले हैं।