मुजफ्फरपुर में एटीएम को निशाना बनाने वाले बदमाशों को सिम कार्ड मुहैया कराने वाला गिरफ्तार
मुजफ्फरपुर में नौ माह पहले आईडीबीआई बैंक के एटीएम को गैस कटर से काटने के दौरान आग लगने और चार लाख रुपये जलने के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को सिवान स ...और पढ़ें

इसमें प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर । करीब नौ माह पूर्व बीबीगंज इलाके में आईडीबीआई बैंक के एटीएम को गैस कटर से काटने के दौरान आग लगने से चार लाख रुपये जलने के मामले में शामिल बदमाशों को सिम कार्ड मुहैया कराने वाले आरोपित दुकानदार को सिवान से पुलिस ने गिरफ्तार किया है
। उसकी पहचान सिवान जिले के रघुनाथपुर पंजुआर निवासी अभिषेक कुमार के रूप में हुई है। जांच में पता चला कि मोटी रकम लेकर बदमाशों को सिम कार्ड मुहैया करवाया था। उक्त सिम कार्ड महिला के नाम का था। पुलिस ने टावर डपिंग व वैज्ञानिक जांच के जरिए मोबाइल नंबर को ट्रैक किया। इसके बाद सिवान से विक्रेता को गिरफ्तार किया।
पूछताछ कर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। विदित हो कि 18 मार्च की रात कार से आए छह बदमाशों ने बीबीगंज में आईडीबीआई बैंक के एटीएम को गैस कटर से काटा था। इस दौरान मशीन में आग लग गई थी। उसमें रखे चार लाख 33 हजार 400 रुपये जल गए थे।
पिछले सात माह में दूसरी बार उस एटीएम को निशाना बनाया गया था। जांच के क्रम में पुलिस ने तकनीकी सेल ने 18 मार्च की देर रात से लेकर सुबह का टावर लोकेशन को खंगाला। इसमें हजारों मोबाइल नंबरों के बीच कुछ ऐसे नंबर मिले जो घटना के वक्त वहां पर सक्रिय थे।
कई नंबरों की जांच में इस नंबर का पता चला कि फर्जी दस्तावेज पर लिए गए है। इसके बाद पुलिस ने जांच दर जांच के बाद सिवान के उक्त आरोपित को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि सिम विक्रेता फर्जी तरीके से सिम एक्टिवेट करने का खेल करता है।
बदमाशों से मोटी रकम लेकर हिला के नाम का सिम कार्ड बेच दिया था। बदमाशों ने इसी सिम का उपयोग चोरी की साजिश रचने और घटना के दौरान आपस में तालमेल बिठाने के लिए किया था।
सदर थानाध्यक्ष अस्मित कुमार ने बताया कि सिम विक्रेता से पूछताछ में गिरोह के बदमाशों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। उसके आधार पर आगे की कार्रवाई चल रही है।
अंगूठे की छाप नहीं मिलने पर दो-तीन बार में निकाल लेता था सिम कार्ड
आरोपित से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि सिम कार्ड खरीदने आए ग्राहकों के अंगूठे की छाप स्पष्ट नहीं होने का झांसा देकर वह उसी ग्राहक के नाम पर कई सिम जारी करा लेता था। इसके बाद ग्राहक को एक सिम देकर उसके नाम पर एक्टीवेट किए गए सिम को बदमाशों को बेच देता था।
इसके बदले में उसे मोटी रकम मिलता था। उसने बदमाशों को दो महिला ग्राहकों के नाम पर पहले से एक्टीवेट दो सिम कार्ड बेचने की बात बताया है। बदमाश नेट कालिंग कर अन्य साथियों से जुड़े रहने के लिए करते थे, ताकि पहचान उजागर न हो सकें।

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