Mission 2024: वैशाली जनसभा से उत्तरी बिहार का ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे गृहमंत्री अमित शाह, यह है इस सीट का सियासी समीकरण
केंद्रीय गृह मंत्री पांच नवंबर को वैशाली के दौरे पर आनेवाले हैं। वह वैशाली में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सबसे कठिन सीटों में से एक वैशाली पर भाजपा 1996 के बाद पहली बार दावेदारी ठोक रही है। ऐसे में गृह मंत्री की सभा पर विरोधियों के साथ भाजपा और उसके सहयोगियों की भी नजर है।

प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। केंद्रीय गृह अमित शाह पांच नवंबर को जिले के दौरे पर आ रहे हैं। वह वैशाली लोकसभा क्षेत्र के पताही हवाई अड्डे के मैदान में सभा को संबोधित करेंगे।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सबसे कठिन सीटों में से एक वैशाली पर भाजपा 1996 के बाद पहली बार दावेदारी ठोक रही है। ऐसे में गृह मंत्री की सभा पर विरोधियों के साथ भाजपा और उसके सहयोगियों की भी नजर है।
उत्तरी बिहार के लिए भाजपा का ब्लूप्रिंट आएगा सामने
गृहमंत्री की यह सभा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वैशाली के साथ-साथ उत्तर बिहार की अन्य लोकसभा सीटों को लेकर भाजपा की रणनीति का ब्लू प्रिंट सामने आ जाएगा।
जदयू की ओर से पूछा जा रहा कि पीएम के पताही हवाई अड्डा चालू करने के दावे का क्या हुआ? सभा को लेकर राजद की ओर से कुछ चुप्पी जरूर है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैशाली राजद में ही घमासान मचा है।
सभा पर राजद नेताओं की भी रहेगी नजर
पिछले दिनों राजद के नेताओं में पहली बार तकरार दिखी है। राजद के जिलाध्यक्ष को पद से हटाने के लिए एक मंच से राजद के प्रदेश सचिव स्तर के कई नेता मुहिम शुरू कर चुके हैं।
जिलाध्यक्ष पर राजद के कोर वोटर ग्रुप के नेता उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में राजद नेताओं की नजर भी इस सभा पर होगी।
डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के बाद राजद को इस क्षेत्र में कद्दावर नेता की तलाश है। वहीं, सबसे महत्वपूर्ण है कि भाजपा और सहयोगी दलों के नेता इसे किस रूप में ले रहे है।
वैशाली पर भाजपा की दावेदारी पर रहेगी नजर
वैशाली सीट पर भाजपा अगले लोकसभा चुनाव के लिए दावा कर रही है। यह दावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की इसी वर्ष जनवरी में हुई सभा में ही सामने आ गया था। माना जा रहा कि दावे को पुष्ट करने के लिए गृहमंत्री यहां आ रहे हैं।
भाजपा के दावे पर सबसे पहले राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (पारस गुट) की नजर होगी। वर्तमान सांसद वीणा देवी इसी पार्टी से जुड़ी हैं। इससे पहले वह भाजपा में ही थीं। राजद से रातोंरात भाजपा में शामिल होकर गायघाट विधानसभा सीट से टिकट लेकर वर्ष 2010 में विधायक बनीं।
वैशाली सीट भाजपा के खाते में आती है, तो वीणा देवी दल वापसी कर फिर मैदान में उतरना चाहेंगी। यहां मौका नहीं मिला तो आईएनडीआईए के एक घटक जदयू में शामिल एमएलसी पति दिनेश प्रसाद सिंह की मदद से मैदान में उतरना चाहेंगी।
जातीय समीकरण के क्या हैं मायने
जदयू के लिए यह सीट कभी मुफीद नहीं रही, इसलिए पार्टी के लिए उम्मीदवारी पर अधिक जोर नहीं है। समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में वृषिण पटेल दो बार डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह से मात खा चुके हैं। वहीं, जदयू ने वर्ष 2014 में विजय सहनी को उम्मीदवार बनाया था। वह तीसरे नंबर पर रहे थे।
भाजपा के दावे की स्थिति में पश्चिमी क्षेत्र के तीन विधायकों समेत कई जिलास्तर के नेता भी नजर गड़ाए हैं। चूंकि, इस सीट पर लगातार राजपूत उम्मीदवार जीतते रहे हैं और पश्चिमी क्षेत्र के तीनों विधायक इसी जाति से आते हैं, इसलिए वे भी उम्मीद बनाए हुए हैं।
जिला स्तर के कई भूमिहार नेताओं की भी सीट पर नजर है। सभा की सफलता को लेकर वे पूरा दमखम लगाए हैं, ताकि इसका लाभ मिल सके। गृहमंत्री की यह सभा सवालों के जवाब देगी, तो कुछ सवाल छोड़ भी जाएगी; इसलिए इसपर सबकी नजर है।
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