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    Kitne Surakshit Hain School: मुजफ्फरपुर के इस स्कूल को मिला उधार का भवन वह भी जर्जर, फर्श पर पूरी शिक्षा व्यवस्था

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 01:09 PM (IST)

    Kitne Surakshit Hain School मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय रतनौली खील की हालत जर्जर है। विद्यालय के पास अपनी ज़मीन और भवन नहीं है जिससे बच्चों को पैक्स गोदाम पेड़ के नीचे या मंदिर में बैठकर पढ़ना पड़ता है। मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण 130 छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

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    भवन की जर्जर छत को दिखाते शिक्षक। जागरण

    जयप्रकाश, कुढ़नी (मुजफ्फरपुर)। कुढ़नी प्रखंड का राजकीय प्राथमिक विद्यालय रतनौली खील उधार के जर्जर भवन में चल रहा है। विद्यालय को न तो अपनी ज़मीन है और न ही कोई स्थायी भवन। जर्जर पैक्स गोदाम छत कब टूटकर गिर जाए, इसका सदैव डर बना रहता है।

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    हालत यह कि बरसात में छत से पानी टपकने लगता है। हादसे के डर से बच्चे पेड़ के नीचे और मंदिर परिसर में फर्श पर पढ़ाई करने को विवश हैं। विद्यालय के पास संसाधन के नाम पर बेंच-डेस्क तक नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार वर्ष 1995 में पंचायत की एकादश योजना के तहत तत्कालीन पंचायत सचिव द्वारा एक व्यक्ति की निजी ज़मीन पर दो कमरों का भवन बनवाया गया था।

    उस भवन में ही इस विद्यालय का संचालन हो रहा था। समय के साथ देखरेख के अभाव में यह भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया। प्लास्टर गिरने और छात्रों के घायल होने की शिकायतों के बाद विभाग ने पांच वर्ष पूर्व विद्यालय को अस्थायी रूप से पैक्स गोदाम में स्थानांतरित कर दिया, लेकिन अब इसकी स्थिति भी गंभीर हो चुकी है। छत से प्लास्टर टूटकर गिर रहा है। इस स्थिति में हादसे का डर देख बच्चों की शिक्षा अब पेड़ और मंदिर की छांव में हो रही है।

    बताया जाता है कि विद्यालय में नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 130 है। उन्हें पढ़ाने के लिए सात शिक्षक भी पदस्थापित हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले भूमि विवाद के कारण विद्यालय को डेढ़ किलोमीटर दूर एक मध्य विद्यालय में स्थानांतरित किया गया था, लेकिन तत्कालीन जिलाधिकारी अनुपम कुमार ने बच्चों की परेशानी को देखते हुए पुनः पैक्स गोदाम में शिक्षण कार्य शुरू करवाया।

    विद्यालय की ज़मीन का मामला वर्षों से विवादित है। विद्यालय में शौचालय, पीने का पानी, बिजली, पंखा, चहारदीवारी, खेल मैदान, डेस्क-बेंच, किचन शेड और फर्स्ट एड जैसी कोई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कई बार विभागीय अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

    वसुंधरा कुमारी, प्रधानाध्यापिका

    ग्रामीणों और अभिभावकों ने प्रशासन से मांग की है कि विद्यालय के लिए स्थायी ज़मीन उपलब्ध कराकर भवन निर्माण और आवश्यक सुविधाएं जल्द से जल्द मुहैया कराई जाएं, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

    पकाही में बच्चों को डरा रही स्कूल की जर्जर छत

    मनियारी: कुढ़नी प्रखंड की पकाही पंचायत के सुबधिया गांव स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन अत्यंत जर्जर स्थिति में है। छत से पानी टपकता है, प्लास्टर झड़ रहा है। फर्श टूट चुका है। दीवारों में दरारें हैं और खिड़की-दरवाजे कमजोर हो चुके हैं। हादसे के डर से बच्चे पेड़ की छांव के नीचे पढ़ने को विवश हैं।

    बताया जाता है कि इस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1980 में की गई थी। इसके लिए ग्रामीण (स्व.) सीताराम सिंह ने नौ डिसमिल निजी भूमि दान की थी। विद्यालय परिसर में सरकार की 23 डिसमिल गैरमजरूआ जमीन भी है। विद्यालय में केवल दो कमरे हैं, जिनकी स्थिति चिंताजनक है।

    बारिश के मौसम में सभी कक्षाओं की पढ़ाई एक ही स्थान पर कराने की विवशता बन गई है। विद्यालय में बिजली, पानी, शौचालय, हाथ धोने के लिए नल-बेसिन, खेल सामग्री और प्राथमिक उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं, किंतु भवन की खस्ता हालत के कारण बच्चे अक्सर पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। प्रधान शिक्षक वसीम अकरम ने बताया कि उन्होंने कई बार शिक्षा विभाग को भवन की स्थिति के बारे में सूचित किया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।