Bihar Farmers: बिहार में तापमान बिगाड़ सकता है लीची का मंजर, गेहूं-सरसों और मटर पर भी असर; किसानों की बढ़ी चिंता
बढ़ते तापमान का असर लीची गेहूं सरसों और मटर की फसलों पर पड़ रहा है। मुजफ्फरपुर में दिसंबर में औसत तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री अधिक रहा जिससे लीची के पेड़ों में नए पत्ते आने लगे हैं। इससे किसानों और वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। वहीं गेहूं सरसों मटर और आलू की फसलों पर भी मौसम का असर दिख रहा है।

अमरेंद्र तिवारी, मुजफ्फरपुर। दिसंबर का महीना खत्म हो गया। इस माह में कड़ाके की ठंड की जगह गर्मी का असर दिखा। औसत तापमान सामान्य से तीन-चार डिग्री अधिक रहा। इसका असर लीची पर देखने को मिल सकता है। गेहूं, सरसों, मटर व आलू पर भी मौसम का प्रभाव दिखेगा।
नवंबर व दिसंबर में लीची के पेड़ सुप्तावस्था में रहते हैं। तापमान अधिक रहने के कारण पेड़ में नए पत्ते आने लगे हैं। इससे किसानों के साथ विज्ञानियों की भी चिंता बढ़ गई है।
उद्यान रत्न किसान भोलानाथ झा के अनुसार, चाइना वेरायटी में नए पत्ते दिख रहे हैं। नए पत्ते आने से मंजर नहीं आएगा। शाही लीची पर इसका प्रभाव कम है।
शाही में बेहतर फलन की उम्मीद है। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष किसान बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया कि सितंबर-अक्टूबर में अगर नए पत्ते आते तो उस पेड़ में बेहतर फलन होता है।
नवंबर-दिसंबर में नए पत्ते नुकसानदेह हैं। मीनापुर की लीची उत्पादक किसान मालती सिंह ने कहा कि उनके बाग में भी नए पत्ते दिख रहे हैं।
मंजर होगा प्रभावित
- राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने कहा कि लीची के पेड़ पर अक्टूबर मध्य तक नया पत्ता आता है तो लीची उत्पादन के लिए बेहतर माना जाता है।
- अक्टूबर के मध्य से दिसंबर मध्य तक नए पत्ते आते हैं तो उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है। लीची के लिए 60 दिन महत्पपूर्ण है।
- नवंबर मध्य से जनवरी मध्य तक यानी फूल आने से पहले न्यूनतम तापमान 12 डिग्री के बीच होना चाहिए, जबकि अधिकतम तापमान 20 डिग्री के नीचे रहना चाहिए।
- इस यह बार ज्यादा रहा। किसानों से जो फीडबैक मिल रहे हैं उसमें चाइना वेरायटी में करीब 30 प्रतिशत डालियों में नए पत्ते आए हैं।
- आमतौर पर अभी टहनियों में मंजर (फूल) तैयार होते हैं। अगर पत्ते आ गए तो मंजर को मिलने वाली शक्ति पत्ते को मिल जाती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ता है।
- पिछले साल 20 से 25 प्रतिशत लीची के पेड़ों में दिसंबर में नए पत्ते आए थे। इससे उत्पादन प्रभावित हुआ था।
- 30 वर्षों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो केवल मुजफ्फरपुर के न्यूनतम तापमान में 0.8 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान में 0.6 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
गेहूं, सरसों, मटर व आलू पर भी प्रभाव
वरीय मौसम विज्ञानी डॉ. ए सत्तार ने कहा कि दिसंबर में औसत अधिकतम तापमान 22 से 23 डिग्री रहना चाहिए, जो 24 से 27 डिग्री के बीच रहा। न्यूनतत तापमान नौ से 11 के बीच रहना चाहिए, जो नौ से 15 के बीच रहा। गेहूं में सामान्य बुआई 15 से 30 नवंबर तथा लेट बुआई दिसंबर महीने में होती है।
गेहूं के लिए न्यूनतम तापमान छह से 11 डिग्री तथा अधिकतम तापमान 16 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए। दिसंबर में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तथा अधिकतम 27 डिग्री तक गया।
इससे गेहूं का विकास प्रभावित होगा। कल्ला कम बनेगा। देर वाली वेरायटी में अंकुरण कम होने की संभावना रहेगी।
सरसों के फूल में दानें बनने के लिए अधिकतम तापमान 20 से 22 डिग्री तथा न्यूनतम 6 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। ज्यादा तापमान से अचानक सरसों के पौधों में वृद्धि हो रही है।
मटर के लिए तापमान 12 से 16 डिग्री रहना चाहिए। ज्यादा तापमान से फूल कम होगा। दाने प्रभावित होंगे। इसी तरह आलू के लिए तापमान 16 से 18 डिग्री चाहिए। अधिक तापमान के कारण आलू में कंद कम आने की संभावना रहती
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