Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में 3 दर्जन घर जलकर राख, 4 बच्चे जिंदा जले; अफरातफरी का माहौल
मुजफ्फरपुर के बरियारपुर थाना क्षेत्र में भीषण आग लगने से पांच बच्चों की मौत हो गई। चार बच्चों के शव बरामद कर लिए गए हैं जबकि एक तीन महीने के बच्चे का शव अभी तक नहीं मिला है। आग शॉर्ट सर्किट से लगी या चूल्हे से इसको लेकर अलग-अलग बयान सामने आए हैं। वहीं डीएम ने चार बच्चों की मौत की पुष्टि की है।

संवाद सहयोगी, सकरा (मुजफ्फरपुर)। बरियारपुर थाना क्षेत्र की रामपुर मणि पंचायत की दलित बस्ती में बुधवार सुबह करीब नौ बजे भीषण आग में 4 बच्चे जिंदा जल गए। चार बच्चों के शव मिल गए हैं। तीन माह के एक बच्चे का शव नहीं मिला है। माना जा रहा है कि भीषण आग में मासूम पूरी तरह जल गया।
इस घटना से गांव में कोहराम मच गया। डीएम सुब्रत कुमार सेन ने चार बच्चों के मरने की पुष्टि की है। सभी मृत बच्चे के स्वजन को चार-चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान की राशि दे दी गई। इस घटना में तीन दर्जन से अधिक घर पूरी तरह जल गए। पांच दर्जन से अधिक परिवार बेघर हो गए हैं।
डीएम ने 15 घरों के जलने की बात कही है। घटना की सूचना पर पहुंची अग्निशमन की टीम एवं ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाया गया। देर शाम केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान पहुंचे। उन्होंने पीड़ित परिवारों को ढांढ़स बंधाया। साथ ही राहत का वितरण किया। पीड़ित परिवारों को 20-20 हजार की मदद देने की भी घोषणा की।
कैसे घटी घटना
सुबह के 10 बज रहे थे। रामपुर मणि पंचायत की दलित बस्ती के लोग गेहूं की कटनी के लिए खेतों में गए थे। इसी बीच गोलख पासवान के घर के निकट बिजली के खंभे पर लगे बॉक्स में शार्ट सर्किट के बाद एक चिंगारी घर पर आ गिरी। यह चिंगारी पहले भी गिरी थी, लेकिन किसी ने उसपर ध्यान तक नहीं दिया। परिणाम रहा कि बुधवार को गिरी चिंगारी ने घर समेत चार मासूमों को जिंदा जला डाला।
गांव में एक साथ चार बच्चों के शव को देख चीख-पुकार मच गई। परिवार के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था। मनोज पासवान की दो संतानों में एक पुत्री व एक पुत्र था। इसके अलावा उसका कोई नहीं था। घर पर काम नहीं था। गेहूं की कटनी के लिए वह अपनी ससुराल में रह रहा था।
उसने अपने बच्चों के लिए काफी सपने सजाए थे, लेकिन उनके सब अरमान राख में तब्दील हो गए। मनोज पासवान की पत्नी राहुली कुमारी बार बार बेहोश हो रही थी। वह जोर-जोर से चिल्लाती और कह रही थी कि "अब हमरा बच्चा कौन रहतई? अब हम केकरा बेटा-बेटी कहब हो बाबा"। वह बार-बार बेहोश हो रही थी।
मुखिया राहुल कुमार को पकड़ कर बेजार होकर रोती रही। उसका सब कुछ उजड़ गया था। एक ही परिवार के तीन बच्चों की जान चली गई। बताया जाता है कि बिपुल, ब्यूटी व सृष्टि एक साथ एक कमरे में सो रहे थे। आग की लपटों के बीच सिलिंडर विस्फोट कर गया।
सिलिंडर ब्लास्ट के बाद सभी की हिम्मत ने दे दिया जवाब
सभी बच्चे घर के अंदर ही थे। आग की लपटों ने जब लक्ष्मण पासवान के घर को चपेटे में लिया, तब तक आगे और पीछे से निकलने का कोई रास्ता ही नहीं था। तीनों बच्चों को निकालने के लिए किसी ने हिम्मत तक नहीं जुटाई।
एक से बढ़कर एक हिम्मतवाले लोग मौजूद रहे, लेकिन सिलिंडर विस्फोट ने सभी के हौसलों को पस्त कर दिया। छोटू पासवान की पत्नी भी बच्चे को सुलाकर बगल के खेत में गेहूं कटनी कर रही थी। आग की लपटें देखकर वह दौड़ी-दौड़ी आईं, लेकिन तीन साल के मासूम को वह घर से नहीं निकाल सकी।
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