कंफर्म Ticket; फेक आधार ID और टीटीई को ट्रांसफर की धौंस, रेलवे में बड़े रैकेट की खुल रहीं परतें
सहरसा में फर्जी आधार पर रेल टिकट का रैकेट पकड़ा गया। खिड़की खुलते ही कंफर्म टिकट एजेंटों द्वारा खरीदे जाते हैं फिर दो से तीन गुना अधिक दाम पर बेचे जाते हैं। वैशाली एक्सप्रेस में तीन यात्री फर्जी आधार के साथ पकड़े गए। उन्होंने सहरसा के एक एजेंसी से टिकट खरीदने की बात कही। रेलवे इस पूरे मामले की जांच कर रही है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। रेल टिकट विंडो खुलने पर ही वेटिंग लिस्ट की स्थिति हो जाती है। यह सब इसलिए हो रहा है कि इस खेल में बड़ा रैकेट काम कर रहा है। विंडो खुलते ही ट्रेवल एजेंसी वाले सभी श्रेणियों के दर्जनों कंफर्म टिकट कटवा लेते हैं। इसके बाद दो से तीन गुना अधिक राशि लेकर जरूरतमंदों को यही टिकट दिया जाता है।
टिकट के साथ फर्जी आधार
यहां एक और खेल होता है। ट्रेवल एजेंसी वाले फर्जी आधार भी बना देते हैं। जिस यात्री के नाम से टिकट बुक रहता है उसका नाम यात्रा करने वाले के आधार में जोड़कर फर्जी आधार कार्ड बना देते हैं। गुरुवार को इस मामले का रैकेट सामने आया।
पकड़े गए तीन यात्री
सहरसा से नई दिल्ली जा रही वैशाली सुपरफास्ट ट्रेन में फर्जी आधार पर यात्रा कर रहे तीन यात्रियों की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया। बी-2 कोच में सहरसा से नई दिल्ली जा रहे तीन यात्रियों ने बताया कि उसने दो दिन पहले किसी प्रकाश ट्रेवल एजेंसी से यह टिकट लिया था।
उसने ही आधार कार्ड में नाम भी परिवर्तन कर टिकट उपलब्ध कराआ। एसी थर्ड क्लास के लिए एक यात्री से ढ़ाई हजार रुपये लिए। जांच के बाद टीटीई ने टिकट को जब्त कर लिया।
तीनों यात्रियों को जुर्माना करते हुए टिकट बनाया गया। साथ ही मामले की अलग से जांच की बात कही है, मगर जिस तरह से मामले में लीपापोती का प्रयास किया गया उससे कई सवाल उठ रहे हैं।
टीटीई ने संदिग्ध के बाद भी किया ओके
वैशाली एक्सप्रेस के मानसी जंक्शन से चलने के बाद टीटीई ने टिकट जांच शुरू की। बी-2 में बर्थ दो, पांच और छह के यात्री के आधार को देख टीटीई ने कुछ आशंका जताई। बताया गया कि यह तो कल का बना लग रहा है। इसके बाद यात्रियों से टिकट लेने की जगह की जानकारी ली।
यात्रियों ने ट्रेवल एजेंसी से टिकट मिलने की बात कही। इसके बाद टीटीई ने एचएचटी (हैंड हेल्ड टर्बिनल) मशीन पर ओके कर दिया। इस बीच आधार के फर्जी की आशंका पर एक यात्री ने एक्स पर रेल मंत्री और रेलवे मंत्रालय को शिकायत कर दी। साथ ही सोनपुर मंडल के कंट्रोल को भी यह सूचना दी गई।
बरौनी में फिर शुरू हुई जांच
इसके बाद बरौनी से मामले की फिर जांच शुरू हुई। शुरुआती जांच में वह भी आधार देखकर इसे सही मानने लगे। कंट्रोल रूप से यात्रियों से दूसरा कोई पहचान पत्र दिखाने को कहा गया। इसके बाद मामला उलझता गया। एम-आधार एप पर यात्रियों के पास से जब्त आधार की जानकारी नहीं मिली।
वहीं यह भी पता चला कि टिकट सहरसा जंक्शन के रिजर्वेशन काउंटर से उस दिन लिया गया जिस दिन इसका विंडों ओपन हुआ था। इसके बाद महकमे में सनसनी फैली। मामले की विस्तार से जांच और यात्रियों को गिरफ्तारी की चेतावनी के बाद सारा राज खुल गया।
दूसरे नाम से यात्रा कर रहे थे यात्री
यात्रियों ने बताया उनका नाम अलग है। दरअसल, सहरसा के किसी प्रकाश ट्रेवल एजेंसी से उन्होंने टिकट लिया था। एजेंसी ने जो नाम बताए वही याद रखने को कहा गया था। टीटीई चंद्रप्रकाश ने मामले की रिपोर्ट सोनपुर मंडल के सीनीयर डीसीएम को दे दी है।
मामले को दबाने के लिए एजेंट लगातार करता रहा फोन
मामला पकड़ में आते ही ट्रेवल एजेंसी को यात्रियों ने ही सूचना दी। इसके बाद ट्रेवल एजेंट की ओर से मामले को दबाने के लिए यात्री के फोन से बार-बार टीटीई से बात की जाती रही। उसे बताया गया कि अब मामला ऊपर तक चला गया है। इसके बाद तीनों यात्रियों से जुर्माना वसूलते हुए काउंटर टिकट को जब्त कर लिया गया।
रैकेट की पहुंच लंबी
फर्जी आधार और रेल टिकट में खेल करने वाले ट्रेवल एजेंसी की पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रेन में चल रहे एक टीटीई ने कहा, एजेंसी वालों की पहुंच बहुत है। पता नहीं सोनपुर पहुंचने से पहले उसका ही ट्रांसफर ना हो जाए।
टीटीई की बात में दम इसलिए है कि यह रैकेट विंडो ओपन होते ही बड़ी संख्या में कंफर्म टिकट ले लेता है। यहां सवाल उठता है कि एक या दो मोबाइल नंबर बार-बार काउंटर से टिकट कटने की जांच क्यों नहीं होती।
लंबे समय से यह मामला चलने के बाद भी पकड़ में क्यों नहीं आया। आज भी शुरुआती जांच में मामला संदिग्ध होने पर भी टीटीई ने आगे शिकायत क्यों नहीं की। टीटीई को आधार की जांच के लिए प्रशिक्षण और उपकरण क्यों नहीं उपलब्ध कराए गए।
इस तरह पकड़ा गया फर्जीवाड़ा
ट्रेवल एजेंट ने अभिषेक (29), प्रिंस (27) और सुशांत (20) नाम से थर्ड एसी का टिकट बनवाया था। इस टिकटों पर नवीन कुमार (28), रिशू कुमार (22) और दीपक कुमार (27) सफर कर रहे थे। यह तीनों अभिषेक, प्रिंस और सुशांत के नामपर बने फर्जी आधार पर यात्रा कर रहे थे। माना जा रहा है कि प्रतिदिन सैकड़ों यात्री इसी तरह से यात्रा करते हैं।
मामला संज्ञान में आया है। प्रकरण की जांच की जा रही है। जो भी दोषी होंगे उनपर कार्रवाई की जाएगी। रैकेट का पर्दाफाश किया जाएगा।
रोशन कुमार, सीनियर डीसीएम, सोनपुर मंडल
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