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    Muzaffarpur News: मानसून की कमजोर रफ्तार से धान रोपनी में सुस्ती, लक्ष्य के मुकाबले 19 प्रतिशत ही रोपनी

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 03:10 PM (IST)

    मानसून की कमजोर रफ्तार ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बारिश नहीं होने से किसान चिंतित हैं। नमी की कमी के कारण वे खेत को तैयार नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि जिले में खरीफ 2025 सत्र के तहत धान की रोपनी निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में केवल 27868 हेक्टेयर में ही रोपनी हो सकी है।

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Muzaffarpur News: मानसून की कमजोर रफ्तार व बारिश की अनिश्चितता से किसान धान की रोपनी में पिछड़ते नजर आ रहे हैं। मौसम की बेरुखी व पानी की कमी से किसान चिंतित हैं। नमी की कमी से खेत तैयार नहीं हो पा रहे हैं। जहां-तहां बिचड़ा तैयार है, लेकिन रोपनी नहीं हो रही। अगर अगले कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो परेशानी बढ़ेगी।

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    जिले में खरीफ 2025 सत्र के तहत धान की रोपनी निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में कुल 1,46,364 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपनी का लक्ष्य है। अब तक केवल 27,868 हेक्टेयर में ही रोपनी हो सकी है। यह कुल लक्ष्य का मात्र 19.04 प्रतिशत है।

    जिले में मोतीपुर में 2288.50 हेक्टेयर, पारू में 2658.80 हेक्टेयर व कुढ़नी में 2691.35 हेक्टेयर सबसे अधिक रोपनी वाले प्रखंडों में शामिल हैं। इनमें अभी 20 प्रतिशत से कम लक्ष्य की ही पूर्ति हो सकी है। सकरा में 9113 में 1745.20 हेक्टेयर रोपनी हुई, जबकि गायघाट में 10696 में अब तक 2098.25 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो पाई है।

    किसानों का कहना है कि मानसून सक्रिय नहीं हुआ तो रोपनी बहुत प्रभावित होगी। अभी वे अपने डीजल पंपसेट, बिजली मोटर चलाकर रोपनी कर रहे है। बारिश नहीं होने से जिन क्षेत्रों में सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, वहां के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। मौसम की बेरुखी व बारिश की कमी से खरीफ की उत्पादन क्षमता प्रभावित होने की संभावना बढ़ रही है।

    विभागीय स्तर पर भी प्रखंडवार निगरानी की जा रही है और जहां जरूरत होगी, वहां तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। किसान से अपील की कि जलसंचयन, डीजल पंपसेट व वैकल्पिक सिंचाई संसाधनों का उपयोग करें ताकि खेतों में नमी बनाकर रोपनी जारी रखी जा सके।

    सुधीर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी