सांसें चल रहीं थींं, वह रोया भी... मौत से पहले थमा दिया गया नवजात का मृत्यु प्रमाणपत्र; स्वजन ने किया हंगामा
Muzaffarpur News एसकेएमसीएच के सीनियर रेजिडेंट डॉ. विनय सागर ने एक बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया था लेकिन जब स्वजन वार्ड में गए तो उसकी सांसें चल रही थी। वह रो भी रहा था। यह देख स्वजन ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद उसका आनन-फानन में इलाज शुरू किया गया। हालांकि इसके करीब चार घंटे के बाद नवजात की मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर : एसकेएमसीएच में गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती नवजात शिशु का मरने से पहले ही मृत्यु प्रमाण पत्र थमा दिया गया।
जब शववाहन पर नवजात को रखने के लिए स्वजन वार्ड में गए तो उसकी सांसें चल रही थी। उसके बाद हंगामा करने पर दोबारा इलाज शुरू किया गया। हालांकि, इलाज शुरू होने के करीब आठ घंटे के बाद नवजात ने दम तोड़ दिया।
सीनियर रेजिडेंट ने नवजात को किया मृत घोषित
एसकेएमसीएच की एनआइसीयू में शनिवार की रात मधुबनी जिले के सहारघाट सरैया निवासी श्रीनारायण राउत ने अपने चार दिन के पुत्र को भर्ती कराया था। रविवार की शाम 6: 45 बजे एनआइसीयू में तैनात सीनियर रेजिडेंट ने नवजात को मृत घोषित कर दिया।
सीनियर रेजिडेंट डॉ. विनय सागर ने बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया। स्वजन कंट्रोल रूम से शव ले जाने के लिए वाहन ले आए। जब शव को लाने वार्ड में लेकर गए तो नवजात की सांसें चल रही थी। वह रो भी रहा था।
बच्चे का दो बार मिला मृत्यु प्रमाणपत्र
इसकी जानकारी वहां पर तैनात एएनएम को दी गई तो उसने स्वजन को ही फटकार लगा दी। यह देख श्री नारायण ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद नवजात का आनन-फानन में इलाज शुरू किया गया। इलाज शुरू होने के करीब चार घंटे के बाद रात करीब 10: 50 बजे नवजात की मौत हो गई।
इसके बाद फिर से सीनियर रेजिडेंट डॉ. विनीता ने बच्चे का मृत्यु का प्रमाणपत्र जारी किया। सुबह में स्वजन नवजात को लेकर वहां से निकल गए। इससे पहले इसकी शिकायत कंट्रोल रूम में की गई थी। अधीक्षक ने अपने स्तर से जांच कराई।
श्री नारायण ने बताया कि पत्नी को जिले के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां जब बच्चे को सांस लेने में परेशानी हुई तो उसे शनिवार को एसकेएमसीएच में लाकर भर्ती कराया गया। यहां पर इलाज के दौरान मरने से पहले ही मृत्यु प्रमाण पत्र थमा दिया गया।
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तकनीकी कारण से शरीर में हलचल
नवजात गहन चिकित्सा इकाई के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी मंडल ने बताया कि भर्ती से पहले ही बच्चे की हालत अतिगंभीर थी। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गई थी। तकनीकी कारण से वेंटिलेटर से उतारने के बाद कुछ देर तक शरीर में हलचल रहता है।
यह बात स्वजन को बताई गई। उनकी जिद पर दोबारा वेंटिलेटर पर रखा गया। हालांकि उसकी सांस थम गई थी। फिर स्वजन को शव दे दिया गया। वह लेकर चले गए। इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं हुई है।
शिशु रोग विभागाध्यक्ष व इलाज करने वाले चिकित्सक से इसकी रिपोर्ट ली जाएगी। अगर लापरवाही सामने आएगी तो कार्रवाई की जाएगी। वैसे नवजात के इलाज की यहां पर बेहतर सुविधा है। 24 घंटे चिकित्सक तैनात रहते हैं। - डॉ. दीपक कुमार, अधीक्षक एसकेएमसीएच
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