न्याय में देरी: बिहार के ये लोग जवानी में बने आरोपित, बुढ़ापे में हुआ फैसला; दो की तो हो चुकी मौत
Gopalganj News वर्ष 1987 में गोपालगंज के भोरे थाना क्षेत्र के भगवानपुर गांव में भूमि विवाद को लेकर दो पक्ष भिड़ गए थे। इस लड़ाई की एफआईआर में छह लोग आरोपित बनाए गए। तब आरोपित जवान थे लेकिन अब इस मामले का फैसला आने पर बुढ़ापे में पहुंच चुके हैं। इनमें से दो लोगों की तो मौत भी हो गई है।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज : आजादी के 76 साल बाद भी न्याय व्यवस्था उचित समयसीमा के अंदर काम नहीं करती है। कोर्ट में केस को कई सालों तक खींचा जाता है। बार-बार सुनवाई की तारीख मिलती रहती है।
न्याय व्यवस्था उचित न होने की वजह से, इसपर निर्भर हजारों लोग परेशान होते हैं। कहा भी जाता है कि देर से न्याय मिलना भी अन्नयाय है। हाल ही में साढ़े तीन दशक पुराने एक केस का निपटारा हुआ है।
साढ़े तीन दशक पुराना मामला
बात कोई साढ़े तीन दशक पुरानी है। तब भोरे थाना क्षेत्र के हुस्सेपुर टोला भगवानपुर गांव में भूमि विवाद को लेकर दो पक्ष भिड़ गए थे। घटना के बाद प्राथमिकी हुई। इस मामले में कुल छह लोग आरोपित बनाए गए।
तब आरोपित जवान थे। लंबी अवधि तक आरोपित कोर्ट का चक्कर लगाते रहे। इस क्रम में दो लोगों की मौत भी हो गई। आखिरकार बुढ़ापे में पहुंचने के बाद शेष बचे चार आरोपितों को अदालत से मुक्ति मिल गई।
सोमवार को पंचम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेश कुमार गोयल की अदालत ने चारों आरोपित शिवजी चौधरी, मैनेजर चौधरी, रमाकांत चौधरी और शंकर यादव को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया।
वर्ष 1987 में छह लोगों दर्ज हुई थी प्राथमिकी
भोरे थाने के हुसेपुर टोला भगवानपुर के जय किशन भर ने वर्ष 1987 में कुल छह लोगों पर भाई जयश्री भर पर जानलेवा हमला व चोरी की प्राथमिकी भोरे थाने में कराई थी। इनमें दो आरोपितों रामाधार चौधरी और रमाशंकर चौधरी की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।