Sitamarhi: लालू प्रसाद के 'सीताराम' ने कहा 'जय श्रीराम' तो लालटेन वालों को होने लगी रोशनी कम होने की चिंता
सीतामढ़ी से दो बार सांसद पुपरी से तीन बार विधायक और लालू मंत्रीमंडल में मंत्री रह चुके हैं सीताराम यादव। लालू परिवार के बेहद करीबी रहे सीताराम यादव की जिले में बोलती थी तूती। हमेशा ठहाका लगाना और पैदल ही टहलते रहना रहीं है उनकी खास पहचान।

शिवहर, [नीरज]। शिवहर में पूर्व विधायक अजीत कुमार झा समेत तीन नेताओं को राजद ने निकाला तो सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव ने भाजपा का दामन थाम लिया। पूर्व विधायक अजीत कुमार झा का राजद से निष्कासित किया जाना और सीताराम यादव का पार्टी छोड़ना, दोनों ही राजद को आने वाले समय में महंगा पड़ेगा। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। दोनों अपने-अपने इलाके में राजद का कद्दावर चेहरा माने जाते रहे है। दोनों का अपना-अपना जनाधार रहा है। दोनों के राजद से संबंध टूटने के बाद अब सियासत में एक और उलटफेर की संभावना बढ़ गई है।
भाजपा को मिला बड़ा चेहरा
सीतामढ़ी के पूर्व सांसद सीताराम यादव ने जदयू की बजाये भाजपा का दामन थामा है। इससे भाजपा को एक बड़ा चेहरा मिला है। जातीय आधार और व्यापक जनाधार वाले सीताराम यादव के आने के बाद भाजपा मजबूत होगी। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, भाजपा में इंट्री लेकर सीताराम यादव ने बड़ा सियासी दांव खेला है। राजनीति के जानकारों की माने तो सीताराम यादव ने भविष्य की लंबी राजनीति के लिए भाजपा में इंट्री ली है। सीतामढ़ी संसदीय सीट से भाजपा के पास मजबूत जनाधार का कोई नेता नहीं था। मजबूत जनाधार वाले सुनील कुमार पिंटू जदयू में शामिल हो गए थे। ऐसे में भाजपा को बड़े नेता की तलाश थी। दूसरी ओर भाजपा में दावेदारों की संख्या काफी कम है। वहीं जदयू में उनके चीर प्रतिद्वंदी पूर्व सांसद नवल किशोर राय व राम कुमार शर्मा के अलावा पूर्व विधायक जयनंदन राय समेत दर्जनभर दावेदार है। यहां उनका टिक पाना मुश्किल था। लिहाजा, उन्होंने भाजपा को चुना। माना जा रहा हैं कि अगर भविष्य में भाजपा को सीतामढ़ी सीट मिलती है तो निश्चित रूप से सीताराम को तरजीह मिलेगी।
कभी लालू के बेहद करीबी रहे सीताराम यादव
पूर्व सांसद सीताराम यादव, अपनी ठहाके और पैदल टहलने के लिए चर्चित रहे है। सादगी उनकी पहचान रही है। कार्यकर्ताओं पर उनकी जबरदस्त पकड़ रही है। 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद वह रूके नहीं। लगातार पांच साल तक पार्टी का झंडा लेकर संगठन को मजबूत करते रहे। हालांकि, चुनाव का वक्त आया तो पार्टी ने उनकी अपेक्षा पूर्व सांसद अर्जुन राय को मैदान में उतारा। बताया जाता हैं कि, पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मौका देने का आश्वासन दिया था। लेकिन संपन्न चुनाव में पार्टी अपना वादा भूल गई। वहीं उनपर सुरसंड सीट से राजद प्रत्याशी एस अबु दोजाना को हराने का आरोप लगा। आखिरकार, उन्होंने भाजपा में इंट्री ली। सीताराम यादव राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद के बेहद करीबी रहे। उन्होंने पुपरी सीट से तीन बार जीत दर्ज की। लालू मंत्रीमंडल में वह पुलिस भवन निर्माण मंत्री बनाए गए थे। एक वह भी दौर था जब सीतामढ़ी की सियासत में उनकी तूती बोलती थी। खुद मंत्री बने। पुत्र दिलीप यादव को विधान पार्षद बनाया तो बहू उषा किरण को जिला परिषद का अध्यक्ष बनाने में कामयाब रहे। लोगों ने एक नारा भी दिया था - सीतामढ़ी से सीताराम। सीताराम यादव ने वर्ष 1998 व 2004 में सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। जबकि, 2014 का चुनाव हार गए। लालू के बेहद करीबी रहे सीताराम यादव सीतामढ़ी जिले के कई विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशी भी तय करते रहे। 2015 के चुनाव में उन्होंने सुनील कुशवाहा को पार्टी का टिकट दिलवाया था और उनकी जीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।