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    कमाल है, रजिस्ट्रेशन के ढाई वर्ष बाद भी शोधार्थियों ने शुरू नहीं किया काम, BRABU में पीएचडी का बुरा हाल

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 01:03 PM (IST)

    BRA Bihar University जूलाजी विभाग में पीएचडी शोधार्थियों की अर्धवार्षिक समीक्षा में हड़कंप मच गया। कई छात्रों ने ढाई साल बाद भी शोध शुरू नहीं किया। प्रजेंटेशन से पहले दो तिहाई शोधार्थी गायब हो गए। अनुपस्थित रहने पर रजिस्ट्रेशन रद करने की चेतावनी दी गई है। इसके बाद से हड़कंप की स्थिति है।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। BRA Bihar University : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के जूलाजी विभाग में नई शुरुआत हुई है। विभागाध्यक्ष प्रो.राकेश मोहन के नेतृत्व में पीएचडी शोधार्थियों के शोध कार्य की अर्द्ध वार्षिक समीक्षा की गई। इसमें सभी शोधार्थियों को विभागीय शोध परिषद के समक्ष अपने शोध कार्य की प्रगति का ब्योरा प्रस्तुत करना था। इसमें कई शोधार्थी फेल हो गए।

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    विभागाध्यक्ष ने सख्ती से शोध की प्रगति का ब्योरा लेना शुरू किया तो कई विद्यार्थियों ने स्वीकार किया कि करीब ढाई साल बीतने के बाद अभी तक उन्होंने शोध कार्य शुरू भी नहीं किया है। विभागाध्यक्ष ने बताया कि हड़कंप का आलम यह रहा कि उपस्थिति पंजी पर हाजिरी बनाने वाले करीब दो तिहाई शोधार्थी अपनी प्रस्तुति की बारी आने से पहले हाल से गायब हो गए। विभागाध्यक्ष प्रो.राकेश मोहन ने कहा डेढ दर्जन छात्रों में से मात्र चार-पांच की ही प्रस्तुति संतोषजनक रही।

    पूछने पर शोधार्थियों ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के ढाई-तीन साल होने को हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक शोध कार्य शुरू नहीं किया है। कहा कि चिंताजनक है कि अवकाशप्राप्त प्रोफेसरों के निर्देशन में जितने शोध छात्र निबंधित हैं उनमें से किसी ने इस प्रेजेंटेशन में भाग नहीं लिया।

    दूसरी ओर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वर्ष 2016 के रेगुलेशन के अनुसार सभी शोध छात्रों के लिए ऐसा करना अनिवार्य है। हालांकि इस रेगुलेशन के अनुसार अवकाशप्राप्त शिक्षकों को गाइड बनने पर रोक लगा दी गई है, लेकिन रसूख का इस्तेमाल कर कुछ वरिष्ठ प्रोफेसरों ने रिटायरमेंट से कुछ समय पूर्व ही रजिस्ट्रेशन करा कई शोध छात्र अपने निर्देशन में ले लिया है।

    एकाध ने तो यूजीसी की ओर से निर्धारित अधिकतम सीमा से भी अधिक शोध छात्र अपने निर्देशन में रख चुके हैं। इससे छात्रों के पीएचडी डिग्री की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। अनुपस्थित शोध छात्रों को शीघ्र ही एक मौका और दिया जाएगा। अनुपस्थित होने पर डीआरसी उनका रजिस्ट्रेशन रद करने की अनुशंसा की जाएगी। मौके पर डीआरसी के अन्य सदस्य डा. विपुल वैभव व डा. निक्की कुमारी थीं।