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    BIHAR POLITICS: सीएम नीतीश की पार्टी ने तैयार किया राजद-बीजेपी को पछाड़ने का फार्मूला

    By Ajit KumarEdited By:
    Updated: Mon, 04 Oct 2021 08:05 AM (IST)

    BIHAR POLITICS अब हर गांव में 10-10 कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करने का मुजफ्फरपुर समेत सभी जदयू जिलाध्यक्षों को निर्देश। दो माह का दिया गया है समय। प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की ओर से इस आशय का पत्र जारी।

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    जदयू संगठन में बदलाव के बाद पार्टी को मजबूत करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया गया। फाइल फोटो

    मुजफ्फरपुर, आनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आशा के अनुसार परिणाम नहीं आने से परेशान जदयू ने करीब एक साल बाद खुद को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत ग्रास रूट लेवल से की गई है। अब गांव के स्तर पर संगठन को मजबूत करने का फार्मूला तैयार किया गया है। इससे पहले करीब एक साल तक पार्टी के शीर्ष स्तर पर बदलाव के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए गए। कहा जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी आने वाले लोकसभा और उसके बाद के विधानसभा चुनाव में फिर से राजद और बीजेपी को पीछे छोड़ने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। लव-कुश फार्मूले को अपनाने के साथ ही साेशल इंजीनियरिंग पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलाध्यक्षों को प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इस आशय का एक पत्र जारी किया है। 

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    पार्टी को गांव के स्तर पर मजबूत करने की तैयारी

    जदयू प्रदेश कार्यालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि पार्टी को अब गांव के स्तर पर मजबूत करना है। इसके लिए सभी गांवों में 10-10 कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की जाएगी। इस टास्क को पूरा करने के लिए जिलाध्यक्षों को दो माह का समय दिया गया है। ये कार्यकर्ता पार्टी के प्रति वफादार होंगे। ढांचा तैयार हो जाने के बाद इसका विस्तृत ब्योरा तैयार कर जिलाध्यक्ष प्रदेश कार्यालय को सूचित करेंगे। जिलाध्यक्षों को जारी पत्र में कहा गया है कि तय समय सीमा के अंदर सभी प्रखंड, पंचायत और गांव के स्तर पर संगठन का ढांचा तैयार हो जाना चाहिए।

    जानकारी लोगों तक पहुंचाना सरल हो जाएगा

    पार्टी की इस तैयारी से यह साफ हो गया है कि जदयू अब किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाह रहा है। 2010 के स्तर को हासिल करने के लिए हर जतन किए जा रहे हैं। पार्टी की अवधारणा यह है कि गांव के स्तर तक संगठन तैयार होगा तो पार्टी को सही फीडबैक मिल सकेगा। उसके अनुसार रणनीति तैयार करने में सुविधा होगी। सरकार के काम की जानकारी लोगों तक पहुंचाना सरल हो जाएगा। उसके आधार पर पार्टी वोट मांग सकेगी। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में जहां सीएम नीतीश कुमार की पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं भाजपा ने 91 सीटों पर। राजद और एलजेपी को केवल 25 सीटें ही मिल सकी थीं।