Cyber Crime: साइबर अपराधियों से लड़ने की तैयारी में बिहार पुलिस, जयपुर में लेगी स्पेशल ट्रेनिंग
जयपुर में साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए पदाधिकारियों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में छह बिंदुओं पर जानकारी दी जाएगी जिसमें सभी प्रकार के साइबर क्राइम को समझना और कार्रवाई करना शामिल है। 21 से 25 अप्रैल तक प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी राज्यों से 5-5 पदाधिकारी शामिल होंगे। बिहार के पांच पदाधिकारी भी ट्रेनिंग के लिए जाएंगे।
जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। साइबर क्राइम से बचाव, रोकथाम औरव कार्रवाई करने को लेकर जयपुर स्थित सेंट्रल डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में पदाधिकारियों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें सभी राज्यों से पांच-पांच पीपी, एपीपी, न्यायिक व पुलिस पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा। गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को इससे अवगत कराया गया है।
21 से 25 अप्रैल तक होगा प्रशिक्षण
बताया गया कि 21 से 25 अप्रैल तक प्रशिक्षण सत्र होगा। इसमें अनिवार्य रूप से अपने-अपने राज्यों से पांच-पांच पदाधिकारियों को भेजें ताकि उन्हें तकनीकी रूप से दक्ष बनाया जा सके।
प्रशिक्षण सत्र में छह बिंदुओं पर जानकारी दी जाएगी। इससे वे साइबर क्राइम के बढ़ते मामले पर काफी हद तक नियंत्रण पा सकेंगे। केस का डिटेक्शन करने में भी आसानी होगी।
50 वर्ष से कम उम्र के पदाधिकारियों का चयन
अभियोजन निदेशालय के अपर सचिव सह प्रभारी निदेशक ने विधि विभाग के सचिव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने 50 वर्ष से कम उम्र वाले पदाधिकारियों का ही चयन करने को कहा है।
इसके लिए सभी जिलों से प्रस्ताव मांगा गया है। इसी आधार पर मुख्यालय स्तर पर इसमें से पांच अधिकारियों का चयन कर सीडीटीआइ को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
देश में तेजी से बढ़ रहा साइबर क्राइम का ग्राफ
बताया गया कि देश में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसका नेटवर्क विदेशों तक फैला है। प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में नए-नए केस आ रहे हैं।
हालांकि, जागरूकता के बाद इसमें थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन इस पर पूरी तरह से नियंत्रण करना आवश्यक है। इसलिए पदाधिकारियों को इससे बचाव, रोकथाम व कार्रवाई को लेकर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है।
इन बिंदुओं पर दी जाएगी जानकारी
- सभी प्रकार के साइबर क्राइम को समझना और निरोधात्मक कार्रवाई करना।
- तकनीक की सही जानकारी और इसके इस्तेमाल के संबंध में जानकारी।
- साक्ष्यों की सहेजने की शृंखला की शुद्धता की जांच करने में सक्षम होना।
- मध्यस्थ व उनके कानूनी दायित्वों की प्रासंगिकत की पहचान करने में सक्षम होना।
- प्रस्तुत साक्ष्य की प्रासंगिकता का मूल्यांकन करना।
- कानूनी प्रविधानों को लागू करना।
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