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    Gopalganj News: गोपालगंज में पुलिस अधिकारियों की बड़ी लापरवाही, FIR में जिलों के नाम लिख रहे गलत

    Updated: Fri, 04 Apr 2025 08:34 AM (IST)

    गोपालगंज में तैनात पुलिस अधिकारी प्राथमिकी दर्ज करते समय जिलों के नाम गलत लिख रहे हैं। वे पश्चिम चंपारण को बेतिया पूर्वी चंपारण को मोतिहारी और सारण को छपरा जिला लिखकर प्राथमिकी कर रहे हैं। यह गलतियां रोजाना एसपी और एसडीपीओ को भेजी जाती हैं लेकिन इन पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इस लापरवाही से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

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    सारण को छपरा व पश्चिम चंपारण को बेतिया जिला बता रही गोपालगंज पुलिस (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, गोपालगंज। दारोगा भर्ती में गड़बड़झाले में राजस्थान के झुंझुनूं से ट्रेनी महिला दारोगा मोनिका की गिरफ्तारी इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर चर्चा में है। दारोगा भर्ती परीक्षा में 34 वीं रैंक हासिल करने बावजूद मोनिका को ठीक से हिंदी में आवेदन तक लिखना नहीं आता। मोनिका ने झुंझुनूं में आमद के दौरान अधिकारियों को पत्र लिखा तो वह संदेह के घेरे में आ गई और फिर पूरी पोल ही खुल गई।

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    गोपालगंज में की गई पड़ताल

    इस मामले को देखते हुए जब दैनिक जागरण गोपालगंज जिले में हो रही प्राथमिकी की पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि यहां तैनात पुलिस पदाधिकारी जिलों के नाम तक सही नहीं लिखते। वे पश्चिम चंपारण को बेतिया, पूर्वी चंपारण को मोतिहारी और सारण को छपरा जिला लिखकर प्राथमिकी करते हैं।

    यह प्राथमिकी रोजाना एसपी और एसडीपीओ को भेजी जाती है, लेकिन इन गलतियों पर किसी भी वरीय अधिकारी तक का ध्यान नहीं जाता।

    थाना स्तर पर तैनात पुलिस पदाधिकारियों की इन गलतियों पर वरीय पुलिस पदाधिकारी तक गौर नहीं करते। इसका नतीजा यह कि पुलिस पदाधिकारी अपनी गलतियों को सुधारने की जगह उसे ही दोहराते जा रहे हैं।

    आलम यह कि पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और सारण पुलिस पदाधिकारी किसी घटना के बाद जब सूचक बनकर प्राथमिकी कराते हैं तो उसमें भी अपने जिले का नाम गलत लिख देते हैं। साथ ही आरोपितों का पता लिखने में इस तरह की गलती कर रहे हैं।

    पहला मामला

    एकसिधवलिया थाना में तैनात दारोगा सतेंद्र कुमार यादव ने 28 अप्रैल 2024 को सिधवलिया थाना में सूचक बनते हुए एक प्राथमिकी की।

    प्राथमिकी में वह खुद का पता लिखने के बाद सारण जिले की जगह छपरा जिले का निवासी खुद को बता रहे हैं। ऐसे में पढ़े-लिखे पुलिस पदाधिकारी की तरफ से इस तरह की गलतियों को कैसे कोई नजर अंदाज करता है।

    दूसरा मामला

    दोजादोपुर थाना में तैनात दारोगा विमलेश कुमार ने 17 नवंबर 2024 को सूचक के तौर पर एक प्राथमिकी जादोपुर थाना में की। पुलिस टीम पर हमला कर शराब लूटने के आरोप में प्राथमिकी उनकी तरफ से की गई।

    प्राथमिकी में उन्होंने आरोपितों के नाम के बाद उनके पता को अंकित करने के साथ ही जिला के नाम पर बेतिया जिला लिखा। ऐसा तब, जबकि बिहार में बेतिया नाम का कोई जिला ही नहीं है। सही नाम पश्चिम चंपारण जिला है।

    तीसरा मामला

    तीनफुलवरिया थाना में तैनात दारोगा रामबाबू सिंह ने बीते 30 नवंबर 2024 को एक प्राथमिकी की। प्राथमिकी में उन्होंने अपना खुद का पता जिला छपरा लिखा। बिहार के 38 जिलों में छपरा नामक जिला नहीं है। सही नाम सारण जिला है।

    ऐसे पुलिस पदाधिकारियों की दक्षता परीक्षा ले विभाग

    परीक्षा देने के बाद दारोगा जैसे पद पर बहाली होती है। ऐसे में पुलिस पदाधिकारी की तरफ से प्राथमिकी में की जाने वाली गलतियों पर सिविल कोर्ट के अधिवक्ता राजकिशोर साह ने कहा कि जिन पुलिस पदाधिकारियों को जिले का नाम ठीक से पता नहीं है, विभाग को उनकी दक्षता परीक्षा लेनी चाहिए। सक्षम नहीं होने पर उन्हें ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए।

    आमतौर पर लोग बेतिया, छपरा व मोतिहारी जिला बोलते है। इसमें मेरे अनुसार कोई विशेष अंतर नहीं है। लोग तो दोनों नाम से सभी जिलों को जानते भी हैं।

    निलेश कुमार, सारण डीआइजी।

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