बिहार में जिंदा इंसान को रिकॉर्ड में बताया मुर्दा, अब पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे बुजुर्ग
मनियारी, मुजफ्फरपुर में एक बुजुर्ग, बिंदेश्वर राय, को सरकारी कागजों में मृत घोषित कर उनकी सामाजिक सुरक्षा पेंशन रोक दी गई है। वे जीवित हैं और अपनी पें ...और पढ़ें

लाभार्थी विंदेश्वर राय। फोटो जागरण
संवाद सहयोगी, मनियारी। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के क्रियान्वयन में सामान्य प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। कुढ़नी प्रखंड के मनियारी थाना क्षेत्र के ग्राम छपकी, पंचायत शाहपुर मरीचा, जिला मुजफ्फरपुर में एक जीवित बुजुर्ग लाभार्थी को कागजों में मृत घोषित कर उनकी पेंशन बंद कर दी गई, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्राप्त MIS (मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) रिपोर्ट के अनुसार लाभार्थी विंदेश्वर राय, जन्म तिथि 01 जनवरी 1949 (आचार के अनुसार जन्म वर्ष 1964) का नाम पेंशन सूची से हटा दिया गया है। रिकॉर्ड में लाभार्थी की वर्तमान स्थिति 'मृत' दर्शाते हुए उनकी पेंशन 28 दिसंबर 2025 से बंद कर दी गई है।
सत्यापन में मृत घोषित, जबकि हकीकत कुछ और MIS में पेंशन बंद करने का कारण दर्ज है, “सत्यापन/जांच के समय लाभार्थी का मृत पाया जाना।” जबकि सच्चाई यह है कि लाभार्थी पूरी तरह जीवित हैं।
पेंशन बंद होने की जानकारी मिलते ही वे संबंधित कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इससे यह साफ होता है कि सत्यापन प्रक्रिया या तो बिना भौतिक जांच के पूरी की गई या फिर डाटा एंट्री में गंभीर लापरवाही हुई है।
भुगतान विवरण ने बढ़ाया संदेह
भुगतान रिकॉर्ड के अनुसार, अक्टूबर 2025 माह का पेंशन भुगतान सफलतापूर्वक किया गया। नवंबर 2025 माह का भुगतान प्रक्रिया में भी शुरू नहीं किया गया। भुगतान रोके जाने का कारण बताया गया, मौत।
यदि लाभार्थी मृत थे, तो अक्टूबर माह का भुगतान किस आधार पर किया गया? और यदि जीवित हैं, तो नवंबर से पेंशन क्यों रोक दी गई—यह सवाल प्रशासन के सामने खड़ा है।
जीवन प्रमाणीकरण व्यवस्था बेअसर
सरकार द्वारा लागू जीवन प्रमाणीकरण (लाइफ सर्टिफिकेट) की व्यवस्था होने के बावजूद इस तरह की चूक सामने आना यह दर्शाता है कि मैदानी सत्यापन, निगरानी और तकनीकी प्रणाली में गंभीर खामियां हैं। इसका सीधा असर गरीब और बुजुर्ग लाभार्थियों पर पड़ रहा है, जिनके लिए पेंशन ही जीवनयापन का मुख्य सहारा होती है।
परिवार पर टूटा आर्थिक संकट पेंशन बंद होने से बुजुर्ग और उनका परिवार आर्थिक तंगी व मानसिक तनाव से जूझ रहा है। लाभार्थी का कहना है कि वे जीवित होते हुए भी खुद को “मृत नहीं होने” का प्रमाण देने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
जांच व कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों ने इस पूरे मामले को सामान्य प्रशासनिक लापरवाही करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही दोषी कर्मियों पर कार्रवाई, लाभार्थी की पेंशन तत्काल बहाल करने और रोकी गई राशि का भुगतान सुनिश्चित करने की मांग उठ रही है।
यह मामला केवल ग्राम छपकी का नहीं, बल्कि पूरे सामाजिक सुरक्षा पेंशन तंत्र के लिए चेतावनी है। समय रहते सुधार नहीं हुआ तो सरकारी योजनाओं पर आम लोगों का भरोसा कमजोर होना तय है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।