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    भूमि रिकॉर्ड पर सरकार का बड़ा एक्शन, 4.50 करोड़ जमाबंदियों के बाद जिलों को सौंपी नई जिम्मेदारी

    By Ajit kumarEdited By: Ajit kumar
    Updated: Wed, 24 Dec 2025 07:46 PM (IST)

    Land records digitization Bihar: बिहार में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में सरकार ने एक और कदम उठाया है। सभी जिलों में भूमि अधिग्रहण दस्तावेजों ...और पढ़ें

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    Jamabandi scanning update: जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। Bihar jamabandi online: बिहार में भूमि रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। राज्य के सभी जिलों में जिला भू-अर्जन कार्यालयों में उपलब्ध भूमि अधिग्रहण से जुड़े दस्तावेजों की स्कैनिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है।

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    अब इन अभिलेखों के सुरक्षित रखरखाव के साथ-साथ स्कैनिंग कार्य पूर्ण होने का प्रमाण पत्र जिला स्तर से देना अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के निदेशक ने इस संबंध में सभी जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए निर्धारित प्रपत्र भी उपलब्ध कराया गया है।

    जिसमें स्कैन किए गए अभिलेखों की संख्या, कुल उपलब्ध अभिलेख और स्कैनिंग से जुड़ी विस्तृत जानकारी भरकर प्रमाण पत्र के रूप में विभाग को भेजनी होगी।

    निदेशक ने स्पष्ट किया है कि स्कैन किए गए दस्तावेजों के संरक्षण में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं होनी चाहिए। यदि स्कैनिंग प्रक्रिया के दौरान कोई अभिलेख अनुपलब्ध पाया गया हो या किसी प्रकार की तकनीकी अथवा अन्य समस्या सामने आई हो, तो उसकी जानकारी भी रिपोर्ट में देना अनिवार्य होगा।

    उल्लेखनीय है कि राज्य में लगभग 4.50 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन करने का कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। हालांकि ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान कई मामलों में त्रुटियां सामने आई हैं। इन त्रुटियों के सुधार के लिए विभाग ने ‘परिमार्जन प्लस’ के तहत समय-सीमा निर्धारित की है।

    इसके अनुसार नाम, पिता का नाम, टाइपिंग या लिपिकीय त्रुटियों के सुधार के लिए अधिकतम 15 दिन, जबकि लगान, खाता, खेसरा और अन्य तकनीकी राजस्व संबंधी गलतियों के लिए 35 दिन की समय-सीमा तय की गई है। वहीं, जटिल मामलों में जहां विस्तृत जांच की आवश्यकता होगी, वहां 75 दिन के भीतर निराकरण करने का निर्देश दिया गया है।

    विभाग का मानना है कि इन कदमों से भूमि रिकॉर्ड प्रणाली अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनेगी, साथ ही आम लोगों को जमीन से जुड़े मामलों में बड़ी राहत मिलेगी।