Bihar Sharab Bandi: शराब ढोने के लिए बनाई जा रही स्पेशल गाड़ी, तस्करी का नया तरीका जानकार आप भी हो जाएंगे हैरान!
शराब तस्करों द्वारा एम्बुलेंस और डाक पार्सल वैन जैसे वाहनों का इस्तेमाल शराब और गांजा ढोने के लिए किया जा रहा है। इन वाहनों में गुप्त तहखाने बनाए जाते हैं जिनका निर्माण मुरादाबाद और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में हो रहा है। पुलिस ने कई ऐसे वाहनों को पकड़ा है जिनमें शराब छिपाई गई थी। तस्कर महिलाओं को मरीज बनाकर एम्बुलेंस में ले जाते हैं ताकि पुलिस को शक न हो।

आकाश कुमार, मुजफ्फरपुर। अगर आपके आसपास से सायरन देती एंबुलेंस, डाक पार्सल या पेट्रोलियम वाहन गुजरे तो कोई जरूरी नहीं कि वह अनिवार्य सेवा में ही भागे जा रहे।
इनमें ऐसा सामान भी हो सकता है, जिसे आप सोच भी नहीं सकते। आमतौर पर एंबुलेंस देखकर हम सहानुभूति जताते हुए रास्ता दे जाते हैं, लेकिन ऐसे वाहन शराब या गांजा ढोने के काम आ रहे।
इसमें तैनात कर्मी विभाग के नहीं और मरीज बीमार भी नहीं। दरअसल वे धंधेबाज हैं। अगर, यकीन नहीं तो पिछले कुछ दिनों में पकड़े गए वाहन और तस्करों का ब्योरा जान लीजिए। यह खेल राज्य भर में हो रहा है।
दो मई को मुजफ्फरपुर के कांटी क्षेत्र में उत्पाद विभाग ने एंबुलेंस में छिपाकर सिलीगुड़ी से लाई जा रही शराब के 42 कार्टन पकड़े थे। एंबुलेंस के अंदर गुप्त तहखाने बनाए गए थे।
पकड़ा गया ड्राइवर स्थानीय ही निकला और वह पहले से शराब तस्करी में शामिल रहा है। एंबुलेंस से शराब ढोने के लिए 20 से 25 हजार रुपये कमीशन लेता था।
पूर्वी चंपारण के आदापुर के हरपुर थाने की पुलिस ने बारवा गांव के पास एंबुलेंस से ही 78 किलो गांजा जब्त किया था।
कटिहार में आसनसोल से डाक पार्सल वैन से लाई जा रही शराब की बड़ी खेप पांच जनवरी को पकड़ी गई थी। इसमें भी गुप्त स्थान बनाया गया था।
गैराज की आड़ में चल रहा यह धंधा
वाहनों में गुप्त स्थान बने होते हैं, जिनका निर्माण उत्तर प्रदेश के मेरठ-अलीगढ़ व मुरादाबाद से लेकर मुजफ्फरपुर तक हो रहा है।
मुजफ्फरपुर के चांदनी चौक, बैरिया के गैराजों में ऐसा धंधा हो रहा है। 30 से 40 हजार रुपये खर्च कर वाहनों में अतिरिक्त जगह बनाई जा रही।
बाइक की पेट्रोल टंकी और सीट के नीचे से लेकर चार पहिया या बड़े वाहनों की बोनट, डिक्की, चेसिस के ऊपर, ड्राइवर केबिन तक में गुप्त स्थान बनवाए जा रहे हैं। कांटी और ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के कई इलाकों में यह धंधा चल रहा है।
लोहे की प्लेट लगाकर कर दी जाती वेल्डिंग
चांदनी चौक के एक बाडीमेकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि शराब धंधेबाजों की ज्यादातर ट्रक चालकों से साठगांठ होती है।
ट्रक के चालक की सीट के पीछे, केबिन, बाडी के ऊपर-नीचे, दाहिने और बाएं साइड में विशेष रूप से गुप्त स्थान बनवाते हैं। इसे बनवाने में ज्यादा खर्च नहीं आता है। बस लोहे की प्लेट बिछाकर वेल्डिंग कर दी जाती है।
बाडी मेकर बताता है कि ज्यादातर धंधेबाज ट्रकों में गुप्त स्थान बनाने के लिए उत्तर प्रदेश का रुख करते हैं। वहां आसानी से बनाया जाता है।
चेसिस के ऊपर एक लेयर बनाने का काम मुरादाबाद के कारीगर करते हैं। वह बताता है कि चैंबर दो से पांच फीट तक का होता है।
विशेष परिस्थितियों में इसे ट्रक में तीन से चार फीट का ही धंधेबाज बनाते है। इससे पुलिस की नजर नहीं जाती है।
एंबुलेंस में महिला को बना देते मरीज
एंबुलेंस से शराब मंगवाने के लिए तस्कर महिलाओं का सहारा लेते हैं। महिला को ही मरीज और अटेंडेट बनाकर ले जाते हैं।
दूरी या एसाइनमेंट के अनुसार कमीशन दिया जाता है। ये लोग आसानी से सिक्किम, गोवा, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, वेस्ट बंगाल, मणिपुर, मध्य प्रदेश, असम समेत अन्य राज्यों से यहां पहुंच जा रहे।
एंबुलेंस में महिला मरीज होने के कारण चेकपोस्ट पर पुलिस जांच नहीं करती या शक भी नहीं होता। मुजफ्फपुर में पकड़े गए मामले में यही हुआ था। दो महिलाएं भी इसमें संलिप्त थीं।
ट्रक में हिडन बाक्स बनाने का मामला सामने आया है। अब तक दर्जनभर से अधिक ट्रकों को पकड़ा गया है, जिसमें हिडन बाक्स बनाकर शराब छिपाई गई थी। बिहार के कई ट्रक बाडी मेकर द्वारा रुपये के लालच में इस तरह का हिडन बाक्स बनाया जा रहा है। इसकी जांच की जा रही है, पकड़े जाने पर पर कार्रवाई की जाएगी।-दीपक कुमार सिंह, उत्पाद इंस्पेक्टर
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