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    शिक्षा व्यवस्था पर सवाल, मुजफ्फरपुर के नर्सिंग कालेज में 120 छात्रों के लिए मात्र दो टीचर

    By Keshav Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 09:42 PM (IST)

    मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच नर्सिंग कालेज में दो साल से पढ़ाई चल रही है, लेकिन शिक्षकों की कमी है। 60 छात्रों का नामांकन हुआ है, पर फैकल्टी मेंबर नहीं है ...और पढ़ें

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    एसकेएमसीएच बीएससी नर्सिंग कालेज। जागरण

    केशव कुमार, मुजफ्फरपुर । एसकेएमसीएच के बीएससी नर्सिंग कालेज में पिछले दो वर्षों से पढ़ाई तो शुरू हो गई, लेकिन यहां शिक्षकों की भरपाई अब तक नहीं हो सकी है। दो वर्ष से 60 छात्रों की नामांकन प्रक्रिया चल रही है, लेकिन फैकल्टी मेंबर नहीं भरे जा रहे हैं।

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    2024 से आरंभ होने वाला पहला बैच का शैक्षणिक सत्र बिना किसी फैकल्टी मेंबर के ही बीत गया। दूसरे सत्र 2025 में भी 60 छात्रों ने नामांकन ले लिया, लेकिन चार साल के इस कोर्स का पहला और दूसरा साल यूं ही बीतता देख विद्यार्थियों में निराशा और नाराजगी गहराने लगी है।

    आश्चर्य इस बात का है कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन इस कालेज में नर्सिंग बीएससी के नौ विभागों की पढ़ाई केवल महज दो शिक्षक के भरोसे है।

    प्राचार्य अनुराधा दुबे अनेकों बार यूनिर्वसिटी से शिक्षकों की मांग कर चुकी हैं, लेकिन दो वर्ष बीएससी नर्सिंग कालेज के संचालन होने के बाद 120 छात्रों ने तो नामांकन ले लिया, लेकिन इन छात्रों का भविष्य फैकल्टी मेंबर के अभाव में खतरें में है।

    संस्थान को 25 शिक्षकों की जरूरत 

    नियमों का उल्लंघन कर संस्थान महज दो शिक्षकों के सहारे संचालित हो रहा है। भारतीय नर्सिंग परिषद के मानकों के अनुसार, छात्र-शिक्षक अनुपात होना अनिवार्य है। यदि कालेज मानकों को नहीं करता है, तो भविष्य में डिग्री की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं।

    छात्रों को नेशनल यूजर आइडी रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने में समस्या आ सकती है। यह एक व्यावहारिक पेशा है। बिना अनुभवी शिक्षकों के छात्र अस्पताल के महत्वपूर्ण कौशल नहीं सीख सकते, जिससे नौकरी मिलने में छात्रों को कठिनाई हो सकती है। फैकल्टी की कमी से पाठ्यक्रम समय पर पूरा नहीं होता, जिसका सीधा असर छात्रों के प्रदर्शन और रिजल्ट पर पड़ सकता है।

    कालेज संबंधित कमियां पूरी करने के लिए हम किससे गुहार लगाएं

    विद्यार्थियों ने बताया कि पहले सत्र का छह महीना बेकार बीत गया। दो शिक्षकों का क्लास करके लौटना पड़ता है। कालेज के भव्य भवन में विभाग ने केवल बेंच डेस्क उपलब्ध कराया है। सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है।

    बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई के लिए आवश्यक न तो प्रयोगशाला है न ही पुस्तकालय। सात विभागों के लिए विभागाध्यक्ष व शिक्षक की आवश्यकता है। प्राचार्य के कोशिश के बाद भी कार्यालय स्टाफ न होने से उत्पन्न समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है।

    विद्यार्थियों ने बताया कि हमें पता ही नहीं है कि कालेज संबंधित कमियां पूरी करने के लिए हम किससे गुहार लगाएं। शिक्षक न होने के कारण हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है। हाल में ही विश्वविद्यालय द्वारा जब पहले सत्र की परीक्षा ली जाएगी तब हमारे पास किसी सवाल का जवाब देने की कोई तैयारी नहीं होगी।

    ये विषय की पढाई जरूरी

    बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर के प्रमुख रूप से एनाटामी और फिजियोलाजी के तहत छात्रों को मानव शरीर की संरचना और उसके कार्यों का अध्ययन कराया जाता है। बायोकेमिस्ट्री विषय के तहत शरीर में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का ज्ञान संबंधित अध्ययन करने का मौका मिलता है।माइक्रोबायोलाजी विषय के तहत सूक्ष्मजीवों और संक्रमणों का अध्ययन छात्र करते है।

    न्यूट्रीशन और डाइटेटिक्स विषय में छात्र पोषण के सिद्धांत और आहार प्रबंधन संबंधित जानकारी प्राप्त करते है। साइकोलाजी विषय में छात्र मानवीय व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं को समझना संबंधित पढ़ाई करते है।

    सोशियोलाजी विषय के तहत छात्र समाज और सामाजिक व्यवहार का अध्ययन करते है। इसके साथ ही छात्रों को फस्र्ट इयर में नर्सिंग फाउंडेशन विषय में नर्सिंग की मूल बातें, रोगी देखभाल, संचार, और बुनियादी नर्सिंग तकनीकें की जानकारी प्राप्त करते है। इसके बाद छात्रों का इंट्रोडक्शन टू कंप्यूटर्स विषय में कंप्यूटर और स्वास्थ्य रिकार्डिंग का परिचय विषय पर अध्ययन करने का मौका मिलता है।

    नर्सिंग कॉलेज की केवल निगरानी की जिम्मेदारी मेरे पास है। बाद बाकी सभी जवाबदेही यूनिर्वसिटी और संबंधित कालेज के प्राचार्य के पास है।
    डा. आभा रानी सिन्हा, प्राचार्य सह अधीक्षक